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@thewriterVDS
"कबीर" पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय । ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि लोग बड़ी से बड़ी पढाई करते हैं लेकिन कोई पढ़कर पंडित या विद्वान नहीं बन पाता। जो इंसान प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ लेता है वही सबसे विद्वान् है। . ©@thewriterVDS #कबीर #पोथी #पढ़ #जग #पंडित #न #कोई #ढाई #प्रेम #sadak
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"कबीर" पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ। एकै आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंडित होइ॥ सारे संसारिक लोग पुस्तक पढ़ते-पढ़ते मर गए कोई भी पंडित (वास्तविक ज्ञान रखने वाला) नहीं हो सका। परंतु जो अपने प्रिय परमात्मा के नाम का एक ही अक्षर जपता है (या प्रेम का एक अक्षर पढ़ता है) वही सच्चा ज्ञानी होता है। वही परम तत्त्व का सच्चा पारखी होता है। . ©@thewriterVDS कबीर का दोहा #pothi #pandit #prem #पोथी #पंडित #प्रेम #HeartBook
Shubham Bhardwaj
ग्रंथों की बातें सुनी और पोथी पढ़कर जाना है। माया की इस नगरी में,नही कोई ठिकाना है ।। बचपन बीता आई जवानी,इसको भी तो जाना है। क्यों कहता है मेरा-मेरा, यह जग तो वीराना है।। आये हो,चंद रोज ठहर लो,इसको अपना जानो न। आना-जाना लगा रहेगा, यह तो मुसाफिरखाना है।। ©Shubham Bhardwaj #ग्रंथों #की #बात #सुनी #पोथी #पढ़कर #जाना
Shubham Bhardwaj
पोथी पढ़कर देख लो,न होगा कल्याण। मर्म समझ में आ गया तो मिल जायेंगे भगवान।। मिल जायेंगे भगवान, धर्म की बात निराली । मन से भजकर देख लो,धर्म बनेगा निज प्राण।। ©Shubham Bhardwaj #पोथी #पढ़ #पढ़कर #देख #लो #नही #होगा
Anita Saini
पोथी पढ्यां आँक आवैं पोथी पढ्यां जाण पावै आपणां देस दुनिया नै पोथी ज्ञान बढ़ावै बुद्धि बढ़ावै पोथी पढ्यां पण्डत कोणी कहावै पोथी री सिकस्या संस्कार कोणी देवै चोखी पोथी पढ्यां आछी सीख आवै पोथी पढ्यां आँक आवैं पोथी पढ्यां जाण पावै आपणां देस दुनिया नै पोथी ज्ञान बढ़ावै बुद्धि बढ़ावै पोथी पढ्यां पण्डत कोणी कहावै पोथी री सिकस्या संस्कार कोणी देवै चोखी पोथी पढ्यां आछी सीख आवै
पोथी पढ्यां आँक आवैं पोथी पढ्यां जाण पावै आपणां देस दुनिया नै पोथी ज्ञान बढ़ावै बुद्धि बढ़ावै पोथी पढ्यां पण्डत कोणी कहावै पोथी री सिकस्या संस्कार कोणी देवै चोखी पोथी पढ्यां आछी सीख आवै
read moreखामोशी और दस्तक
बूढी औरत -न्यायपालीका ..दो साल पहले मेरी गाड़ी से एक छोटा सा एक्सिडेंट हो गया था उस समय मै कार चलाना सीख ही रही थी , ज्यादा नुकसान भी नही हुअा था तो मामला निपटा लिया गया था पर ताकीद दे दी गईं थी की एक दो बार कोर्ट आना पड सकता है , मैं लगभग भूल ही चुकी थी सब पर दो साल के बाद कोर्ट से बुलावा आया और मै तय समय से कुछ पहले ही कोर्ट पहुच गयी और इंस्पेक्टर का इंतज़ार करने लगी ,मेरी नज़र पेड़ के नीचे बैठी एक महिला पर पड़ी ...काफ़ी बुजुर्ग थी फटे हुए कपड़े ..कमर झुकी हुई ..चेहरे पर झुर्रिंयाँ , आँखे अंदर तक धँसी हुई , टूट
..दो साल पहले मेरी गाड़ी से एक छोटा सा एक्सिडेंट हो गया था उस समय मै कार चलाना सीख ही रही थी , ज्यादा नुकसान भी नही हुअा था तो मामला निपटा लिया गया था पर ताकीद दे दी गईं थी की एक दो बार कोर्ट आना पड सकता है , मैं लगभग भूल ही चुकी थी सब पर दो साल के बाद कोर्ट से बुलावा आया और मै तय समय से कुछ पहले ही कोर्ट पहुच गयी और इंस्पेक्टर का इंतज़ार करने लगी ,मेरी नज़र पेड़ के नीचे बैठी एक महिला पर पड़ी ...काफ़ी बुजुर्ग थी फटे हुए कपड़े ..कमर झुकी हुई ..चेहरे पर झुर्रिंयाँ , आँखे अंदर तक धँसी हुई , टूट
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 10 - नाम का मोह 'मुझे कोई आराधना बताइये! कोई भी अनुष्ठान बता दीजिये। मैं कठिन-से-कठिन अनुष्ठान भी कर लूंगा। महेश आज एक संत के पैर पकड़कर बैठ गया था। आस-पास के लोग कहते हैं कि मुनीश्वर महाराज सिद्ध संत हैं। वे जिसे जो बात कह देते हैं, वही हो जाती है। किसी को वे सीधे तो आशीर्वाद देते नहीं, कोई पूजा कोई पाठ, कोई अनुष्ठान बता देते हैं। लेकिन जिसे वे कुछ बता देते हैं, वह ठीक-ठीक उनकी आज्ञा का पालन करे तो उसका काम हो जाता है।
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 14 - सात्विकी श्रद्धा 'मैं एक प्रार्थना करने आया हूँ।' जिन्हें लोग 'सरकार' 'अन्नदाता' कहते थकते नहीं थे, वे नरेश स्वयं आये थे एक कंगाल ब्राह्मण की झोंपड़ी पर। उन्हें भी - जिनकी आज्ञा ही उनके राज्य में कानून थी और जिनकी इच्छा किसी को भी उजाड़-बसा सकती थी, उन्हें उस मुट्ठीभर हड्डी के दुर्बल ब्राह्मण से अपनी बात कहने में भय लगता था। 'क्या कहना है तुम्हें?' न सरकार, न अन्नदाता - वह ब्राह्मण इस प्रकार बोल रहा था जैसे नरेश वह है और जो नरेश उस
read moreAshish Jain
उलटत पोथी पलटत पोथी, पोथी में सब ज्ञान व्हाट्सअप पर हिस्ट्री बांचे, बतरा की संतान #जोगीरा सारारारारा… #NojotoQuote