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Dr. Devbrat Pundhir
मैं तुझे भूल जाऊं तो कैसे, तेरी कुछ निशानियां आज भी मेरे पास हैं, तू समझता है, मैं बहुत खुश हूं, कभी मेरे सिरहाने रखे तकिए से पूंछ, कि कैसे गुजरती हैं, मेरी रातें, अब तू ही बता, तेरे बिना मुस्करा दूं तो कैसे, मैं तुझे भूल जाऊं तो कैसे।। #भूलना#निशानियां#सिरहाने#तकिये#मुस्कुराना#yqbaba#yqdidi
Mayaank Modi
कहने को तो, बात ज़रा सी है । भीतर मेरे, कई उदासी है । तुमसे मिल कर बिछड़ना, जायज़ कहाँ ? आंखें अब भी देखो, कितनी प्यासी है । कहने को तो, बात ज़रा सी है ।। तुम वादों के गलीचे बिछा कर गए । तुम यादों के तकिये लगा कर गए । खुद भी रोये दूर हमसे होकर । और हमको भी कितना रुला कर गए । हमदोनों में कैद अब, सिर्फ रुआँसी है । कहने को तो बात, ज़रा सी है ।। कहने को तो बात, ज़रा सी है ।। तू कई वादें लिए मेरे पास आया था । तेरा हर सितम हमको, रास आया था । मिलते थे हम शामो - सुबह । तुझसे ही मुझमें हर एहसास आया था ।। दूर जब से हुए तुम, नैनों में ही काबा, नैनों में काशी है ।। कहने को तो बात ज़रा सी है ।। कहने को तो बात ज़रा सी है ।। #yqbaba #yqhindi #बात #काशी #उदासी #तकिये #ज़रा
Nagvendra Sharma( Raghu)
कुछ वादे चुप रहकर निभाये जाते है, कुछ जज्बात बोल कर छिपाये जाते है, लफ्ज़ दिखने लगे आँखों में जब कभी, कुछ लफ्ज़ तकिये पर बहाये जाते है ।। कुछ #वादे चुप रहकर निभाये जाते है, कुछ #जज्बात बोल कर छिपाये जाते है, लफ्ज़ दिखने लगे #आँखोंमें जब कभी, कुछ #लफ्ज़ #तकिये पर बहाये जाते है ।। -:नागवेन्द्र शर्मा(रघु) #nagvendrasharma #yqhindi
Kaushal Kaushik
पैग़ाम मैं अपनी शायरी से तुझ तक,पैगाम भेजा करता हु। मैं रोना और मुस्कुराना दोनों साथ किया करता हू। जब से गई है ओ मेरे शहर से हाल मेरा प्यासे कुआँ सा हो गया है जो मिलकर बनाये थे चाँद पे घर अब ओ घर घर नहीं ,श्मशान सा हो गया है जब भी कभी सोफ़े पे बैठे ,ये बात सोचा करता हूं हाँ! मैं रोना और मुस्कुराना दोनों साथ किया करता हूं जब से देखा है कॉलेज में तुझे हाले दिल गवाए बैठा हूँ तेरे नाम के तकिये सीने से लगाये बैठा हूँ। जब-जब सर्द राते तड़पती है। मुझे तेरे यादों का कम्बल ओढ़ा करता हूँ हाँ! मैं रोना और मुस्कुराना दोनों साथ किया करता हु ©Kaushal Kaushik पैग़ाम मैं अपनी शायरी से तुझ तक,पैगाम भेजा करता हु। मैं रोना और मुस्कुराना दोनों साथ किया करता हू। जब से गई है ओ मेरे शहर से हाल मेरा प्यासे कुआँ सा हो गया है जो मिलकर बनाये थे चाँद पे घर अब ओ घर घर नहीं ,श्मशान सा हो गया है
पैग़ाम मैं अपनी शायरी से तुझ तक,पैगाम भेजा करता हु। मैं रोना और मुस्कुराना दोनों साथ किया करता हू। जब से गई है ओ मेरे शहर से हाल मेरा प्यासे कुआँ सा हो गया है जो मिलकर बनाये थे चाँद पे घर अब ओ घर घर नहीं ,श्मशान सा हो गया है
read moreतेजस
खुशियों से भरा मन अचानक, देख ले ना कोई अगर उजाले में कहीं रोयेगा वो लड़का है आज फिर गिले तकिये पे सोयेगा अचानक खुशियों से भरा मन याद आया है आज फिर उसे वो बचपन याद आया था दोस्तों ने उसे भी तो गाँव बुलाया था बड़ा बेटा है जिम्मेदारी लेनी ही थी पापा के बाद ये बारी लेनी ही थी एक बार आयी जिम्मेदारी अब ताउम्र ढोयेगा वो लड़का है आज फिर गिले तकिये पे सोयेगा (पूरी रचना कैप्शन में पढ़ें) देख ले ना कोई अगर उजाले में कहीं रोयेगा वो लड़का है आज फिर गिले तकिये पे सोयेगा आज गाँव से उसके संदेसा आया था इस बार दिवाली में क्यों नहीं आया था माँ ने उसे ये उलाहना सुनाया था क्या वो नहीं चाहता था दिवाली में जाना भाई बहनों संग छत पर दीप जलाना
देख ले ना कोई अगर उजाले में कहीं रोयेगा वो लड़का है आज फिर गिले तकिये पे सोयेगा आज गाँव से उसके संदेसा आया था इस बार दिवाली में क्यों नहीं आया था माँ ने उसे ये उलाहना सुनाया था क्या वो नहीं चाहता था दिवाली में जाना भाई बहनों संग छत पर दीप जलाना
read morePallavi Raj
कितने हीं अनकहे राज़ जज़्ब किये बैठा है मुझे मुझसे भी ज़्यादा जानता है तकिया मेरा #तकिये का राज़
#तकिये का राज़
read moreParnassian's Cafe
लिपट कर तेरी यादों के तकिये से सो जाता हूँ। बड़ा सुकूँ मिलता है जब तेरी यादों में खो जाता हूँ।। #लिपट #कर #तेरी #यादों #के #तकिये #से #सो #जाता #हूँ। #बड़ा #सुकूँ #मिलता #है #जब #तेरी #यादों #में #खो #जाता #हूँ।।
योगेन्द्र सिंह यादव
नीद पूरे बिस्तर में नही होती, वो पलंग के एक कोने में दाये या बाये किसी मख़सूस तकिये की तोड़-मोड़ में छिपी होती है,जब तकिये औऱ गर्दन में समझौता हो जाता है तो आदमी चैन से सो जाता है नीद पूरे बिस्तर में नही होती, वो पलंग के एक कोने में दाये या बाये किसी मख़सूस तकिये की तोड़-मोड़ में छिपी होती है,जब तकिये औऱ गर्दन में समझौता हो जाता है तो आदमी चैन से सो जाता है
नीद पूरे बिस्तर में नही होती, वो पलंग के एक कोने में दाये या बाये किसी मख़सूस तकिये की तोड़-मोड़ में छिपी होती है,जब तकिये औऱ गर्दन में समझौता हो जाता है तो आदमी चैन से सो जाता है
read moreAkash Pandey
आते जाते दिल में मेरे एक कहानी रहती है, तकिये के नीचे अब भी उसकी एक फोटो पुरानी रहती है।। Akash#अम्बर Full piece in Caption.. आते जाते दिल में मेरे एक कहानी रहती है, और तकिये के नीचे अब भी उसकी एक फोटो पुरानी रहती है।। माँ से थोड़ा छुप छुप कर माँ से थोड़ा छुप छुप कर हम उसको निहारा करते हैं,
आते जाते दिल में मेरे एक कहानी रहती है, और तकिये के नीचे अब भी उसकी एक फोटो पुरानी रहती है।। माँ से थोड़ा छुप छुप कर माँ से थोड़ा छुप छुप कर हम उसको निहारा करते हैं,
read moreAmit Srivastava
तन्हाईयों से अक्सर लिपट कर मै इस कदर रो देता हूँ ; किसे से बोलता नहीं बस तकिये भींगो देता हूँ ; धीरे धीरे सिमट रहा है उन यादों का कारवा; जिन्हें देख कर मै आज भी रो देता हूँ ; ख़्वाबों के साथ सारे भ्रम भी है टुटे वादे सारे उनके निकले थे झुटे ; अब तो तन्हाईयाँ है साथ मेरे ; दिल के बहुत है पास मेरे ; और अब ईनही से लिपट कर मै रो देता हूँ कुछ बोलता नहीं बस तकिये भींगो देता हूँ ; कुछ बोलता नहीं बस तकिये भींगो देता हूँ ; my new lines
my new lines
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