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Aditya Wargis

शंकर कि नगरी बनारस हुं मै। #lordshiva #varanasi #Ganga #assighat #varansi #Up #Hindi

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Lavanya gupta

Anand

#varansi

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the_unsung_teller

गर पड़े भी मोहब्बत में कभी, तो वो बनारस की गलियां हों.. #Banaras #gangaghat #kashi #pyaar #varansi

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गर पड़े भी मोहब्बत में कभी,
तो वो बनारस की गलियां हों..
खुद में घूमती, मुझे भी घुमाती,
ख्वाब अनगिनत से दिखाती,
घाट पर आकर मिलती ऐसे,
जैसे बचपन की दो सखियां हों ।।

©the_unsung_teller गर पड़े भी मोहब्बत में कभी,
तो वो बनारस की गलियां हों..



#Banaras #gangaghat #kashi #pyaar #varansi

KRISHNA KR SAGAR

दुनिया से मै हारा #Reels #motivatation #nojota #Indian #lucknow #varansi #foryou #foryoupage #GoodCharacter

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Arya

My Prasnalti My Pride...!! #Sultanpur #delhincr #varansi #lucknow #UttarPradesh #Mirazapur #Comdey Rakesh Srivastava Rakesh Srivastava

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Abhishek Mishra

#yqbaba #yqdidi #Hindi #कविता #kavita # banaras #varansi Poster credits : Jaya Pandey

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        #Yqbaba #Yqdidi #Hindi #कविता #kavita # banaras #varansi

Poster credits : Jaya Pandey

Abhishek Mishra

कृपया पूरा पढ़ कर प्रतिक्रिया दें। मैं मूरत होऊँ जिस मंदिर की, तुम उसका कोई कपाट बनो, मैं होऊँ शाम बनारस की, तुम गंगा आरती घाट बनो। मैं कोई किनारा हो जाऊँ,

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मैं होऊँ शाम बनारस की,
तुम गंगा आरती घाट बनो।

(अनुशीर्षक में पढ़िए) कृपया पूरा पढ़ कर प्रतिक्रिया दें।

मैं मूरत होऊँ जिस मंदिर की,
तुम उसका कोई कपाट बनो,
मैं होऊँ शाम बनारस की,
तुम गंगा आरती घाट बनो।

मैं कोई किनारा हो जाऊँ,

Adarsh Verma

#varansi.. ..Galiyo ka Nagar..

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theunnamedpoet99

ये बनारसी शाम कुछ आलस भरी, कुछ उबासियां भरी, कुछ शिथिल सी है यह शाम। कहीं मुस्कान, कहीं थकान, कहीं कौतूहल भरी है यह शाम। कभी गुमनाम, कभी बेनाम, कभी शोहरत भरी है यह शाम।

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ये बनारसी शाम

कुछ आलस भरी, कुछ उबासियां भरी,
कुछ शिथिल सी है यह शाम।
कहीं मुस्कान, कहीं थकान,
कहीं कौतूहल भरी है यह शाम।
कभी गुमनाम, कभी बेनाम,
कभी शोहरत भरी है यह शाम।
कहीं गंगा किनारे, कभी अस्सी के नाम,
बिताए जाए कुछ सुकून भरी शाम।
चलो चले, शहरी शोर से दूर।
मिलकर बिताए, एक ख़ामोश शाम।
ख़ूबसूरत सी, मंत्र - मुग्ध सी,
लुभावनी सी यह बनारसी शाम।

©theunnamedpoet99 ये बनारसी शाम

कुछ आलस भरी, कुछ उबासियां भरी,
कुछ शिथिल सी है यह शाम।
कहीं मुस्कान, कहीं थकान,
कहीं कौतूहल भरी है यह शाम।
कभी गुमनाम, कभी बेनाम,
कभी शोहरत भरी है यह शाम।
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