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Bindu Sharma
White उमड़ घुमड़ जो आज बदरा छाईं है लगता है बादलों को भी मस्ती आई है आज तो जम के बरसेंगें नहीं अब पेंड पौधे वर्षा को तरसेंगे ©Bindu Sharma #बादल #घुमड़ #बदरा
Rajni Vijay singla
White कुदरत का जाम पी ले बंदे ! सुबह शाम पी ले ©Rajni Vijay singla कुदरत के मतवाले #बदरा# बरसे जैसे#गीत हमारे
कुदरत के मतवाले #बदरा# बरसे जैसेगीत हमारे
read moreCalmKazi
ओह ! आज फिर बदरा ने किवाड़ हटाया है, शायद चाँद दर पर आया है । #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #Hindi #चाँद #बदरा #किवाड़ #लुकाछुपी
Ashi Singh
#सावन कैसी दे गया, यादों की सौगात,,, #बदरा बरसे दो घड़ी, नैना सारी रात...🥰🥰 ©Ashi Singh
Shweatnisha Singh🌸
"बदरा"... ©श्वेतनिशा सिंह🌸 (अनुशिर्षक में पढ़ें) "बदरा"... शाम सुहानी बदरा लाए, बूंदों ने भी शोर मचाए... पंछी चहककर घर को लौटे, हवा बहती मद्धम-मद्धम... मन को सुकून पहुँचाए,
"बदरा"... शाम सुहानी बदरा लाए, बूंदों ने भी शोर मचाए... पंछी चहककर घर को लौटे, हवा बहती मद्धम-मद्धम... मन को सुकून पहुँचाए,
read more✍️ # ASHISH GUPTA
#KisanDiwas #रूक रुक कर #बदरा बरसे। प्यासी #मिट्ठी बूंद को तरसे।। आस #नयन से देखे किसान। चारो पहर करे नभ का ध्यान।। सुन लो #बिनती करे किसान। अबकी देर न करियो भगवान।। ✍️ #आशीष_गुप्ता
Mo k sh K an
जाने कौन ये बदरा काले क्या क्या ले कर आए हैं उम्मीदों के पैर हवा हैं पानी के फाहे हैं जाने कौन ये करवट बदलें और तूफ़ाँ बन जाएँ थिरक थिरक कर आसमान पर ऐसे ही छन जाएँ मुट्ठी में हैं जब तक पासे, तब तक ही हमसाये हैं जाने कौन ये बदरा काले क्या क्या ले कर आए हैं #बदरा #tassavuf #skand #mera_aks_paraya_tha #मेरा_अक्स_पराया_था
Saurabh Verma
रिमझिम बरस रहे है, बदरा, हमारी प्यास बुझा रहे है, बदरा, किसानों के चेहरों पे, खुशियां ला रहे है, बदरा, गर्मी की तपिश को, दूर ले जा रहे है,बदरा, धरती को हरा-भरा, बना रहे है,बदरा, मौसम को खुशनुमा, बना रहे है,बदरा, आसमान से, अमृत, बरसा रहे है,बदरा, रिमझिम बरस रहे है,बदरा…..✍️
Sadashiv Yadav
बदरा बदरा सखि बरसत नाही उमस उदर सुख ई पावत नाही मुरझा तरू अरू ब्याकुल पंछी शीतल समीर मन भावत नाही
बदरा बदरा सखि बरसत नाही उमस उदर सुख ई पावत नाही मुरझा तरू अरू ब्याकुल पंछी शीतल समीर मन भावत नाही
read moreAnita Sudhir
वर्षा ऋतु *** दोहावली तपे दोपहर जेठ की ,व्याकुल सब नर नार। ऋतु बदले आषाढ़ में, दादुर रहे पुकार ।। श्वेत वसन धारण किये, नील गगन मुस्क़ाय। घिर घिर बदरा आय जब ,हिय हर्षित हो जाय।। कागज की किश्ती चले ,इस मौसम बरसात । उस निर्धन की झोपड़ी ,टपकी पूरी रात ।। please read in Caption *** #वर्षा ऋतु #दोहे#Nozoto hindi *** तपे दोपहर जेठ की ,व्याकुल सब नर नार। ऋतु बदले आषाढ़ में, दादुर रहे पुकार ।। श्वेत वसन धारण किये, नील गगन मुस्क़ाय। घिर घिर बदरा आय जब ,हिय हर्षित हो जाय।।