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Gumnaam
मुद्दा नही जंग है जिसमे इंसानियत मर रही है। #शुक्रिया# एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
read moreGumnaam
हमारा है देखना ये है जीत उनके इश्क की होती है या हमारे नफरत की। एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
read moreDarshan Blon
एक हो तो बतलाऊँ मैं मुद्दा जो है आज का, बद से बदतर हुआ है हाल देखो हमारे समाज का, हर गली नुक्कड़ मे बैठे है गिद्ध नज़र गड़ाए, हर चौक चौबारे मे रहते हैं अवसरवाद घात लगाए, अपने ही घर गलियारों मे सुरक्षित नहीं हमारी माँ और बहनें, रक्षक ही यहां भक्षक बन पड़े हैं बोलो अब इसमे और क्या कहने, धर्म और जाति के नाम पर बट रहें कट रहें इंसान यहाँ, ए "ऊपरवाले" अब तो तू खुद भी पहचान ना पाएगा अपना ये जहाँ एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
read moreDiksha Bahri
उठती है बात जब किसी मुद्दे की तो आते हैं हजारों सवाल। कहते हैं कि ऐसा होता तो सही होता ऐसा होगा तो सही होगा। पर पर खुद हम कितना प्रयास करते हैं। दरसल बात यह नहीं कि मुद्दा क्या है बात यह है कि मुद्दा क्यों है। नजर घुमा कर देखें तो सामने आएंगे हर रोज़ नये सवाल जिनके जवाब अकसर ढुंढने होते हैं हमें। कभी यह सोचने की भी कोशिश ना की हमने क्यों है ये सब। मानवता मानवता नहीं एक शब्द है जो अब किताबों तक सीमित है। हमारे मौलिक अधिकार हमें मालूम हैं पर मौलिक कर्तव्य बस किताबों तक सीमित हैं। बातें सब करते है शांति और अखंडता की परंतु आजकल के हाल देख ये सब बातें ही लगतीं हैं। कहने को सारी मानव जाति एक है परंतु भेद फिर भी किए जाते है नसल, रंग आदि के आधार पर। सारा विश्व शांति की मांग करता है परंतु देखते हैं मौके दूसरे देश में अशांति पैदा करने की। एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
read moreशिवानन्द
👇 #हिंदू_मुस्लिम से होने लगी #सियासत है, यही तो #हमारे_देश की गिरती हुई #हकीकत है! #नफ़रत जहां पांव फैलाती वहीं 👇 #रोती_बिलखती भाईचारे की #विरासत है 😔😔 एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है। क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये। *आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
read moreVibha Katare
विरोध है या प्रतिशोध है.. जाने क्यों ये अवरोध है.. ज़ायज़ है या नाज़ायज़ ये क्रोध है.. जाने क्यों लगता सालों से चलता शोध है .. माना जहाँ विरोध है वहाँ प्रदर्शन है.. लेकिन अहिंसक आज़ादी का ये कैसा हिंसक समर्थन है.. #आजकामुद्दा #cabprotests #nrcprotests #politicaldrama #letsbehuman #yqdidi
Nand Gopal Aghnihotri
बहुत दे चुके मोहब्बत का पैगाम, लेकिन नफरत का जहर घटता ही नहीं । किसी को किसी से कुछ लेना-देना नहीं, फिर भी निर्दोषों पर कहर थमता ही नहीं ।। क्यों कर देते हैं भीड भरे जगहों पर बम विस्फोट, इस प्रश्न का उत्तर मिलता ही नहीं । रौशनी की तलाश जारी है, जो इन भटके हुओं को रास्ता दिखा दे ।। ।।शुभ प्रभात ।। # my thoughts #nand #विश्व बंधुत्व #आजकामुद्दा
# my thoughts #Nand #विश्व बंधुत्व #आजकामुद्दा
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