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Renu Pant

#कैंची धाम नैनीताल# उत्तराखंड # 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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Anamika

सीखना पड़ता है चलाना भी कैंची,
न जाने कब खोलनी पड़े जुबां कैसी..





  #cinemagraph#कैंची

Anamika

#कैंची #रिश्तेदार #धागे #दिलकेरिश्ते #yqdeepthoughts दिया अधिकार,करा ऐतवार उसने खून के रिश्तों पर, पर उसको न मालूम था ,पीठ पीछे अपने ही घात लगाए बैठे हैं #TulikaGarg

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      बरसों बरस से बड़े जतन से
        प्रेम के  रेशमी धागों से 
       सींचे थे मैंने दिल के रिश्ते..
       उन्होंने जुबान में कटाक्ष भरकर, 
   कैंची चलाकर
          रिश्तों की धज्जियां ही उड़ा दी....
         #कैंची #रिश्तेदार #धागे 
#दिलकेरिश्ते #yqdeepthoughts 
 दिया अधिकार,करा ऐतवार उसने खून के रिश्तों पर, पर उसको न मालूम था ,पीठ पीछे अपने ही घात लगाए बैठे हैं
#tulikagarg

Anjaan

YAADEN #Drown #village Love #motivate

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बचपन में हमने गांव में #साइकिल तीन चरणों में सीखी थी , 
पहला चरण   -   कैंची 
दूसरा चरण    -   डंडा 
तीसरा चरण   -   गद्दी ...
तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।
#कैंची वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे।
और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना #सीना_तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और क्लींङ क्लींङ करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है।
आज की पीढ़ी इस "#एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "#जहाज" उड़ाने जैसा होता था।
हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तुड़वाए है और गज़ब की बात ये है कि तब #दर्द भी नही होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।
अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में।
मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर #संतुलन बनाना जीवन की पहली #सीख होती थी! 
#जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप #गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं।
इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए।
और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।
और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा #विलुप्त हो गयी ।
हम लोग  की दुनिया की #आखिरी_ पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !
पहला चरण कैंची
दूसरा चरण डंडा
तीसरा चरण गद्दी।
● हम वो आखरी पीढ़ी  हैं, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की #कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, #प्लेट_में_चाय पी है।
● हम वो आखरी लोग हैं, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, #गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं..🩺


😊😊

©Anjaan YAADEN

#Drown #village #Love #motivate

Akanksha Srivastava

उठाइये मग कह डालिए दिल की बात #InternationalTeaDay

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#कैंची से भी तेज चले बहू की जुबां

बहू की जुबां जैसी कोई धार नही
बहू की जुबां जैसी कोई तेज धार नही,
कभी बात काटती है तो कभी नाक
कभी बात काटती है तो कभी नाक,
मोहल्ले में सब कहते है बहू तो इनकी है तेज तलवार
बात बात पर जो करे वार,
उफ़्फ़फ़ ऐसी बहू ना लाना अबकी बार
न जाने कब कर जाए वार,

अब आगे सुनिए बहू क्या कहती हैं..!

बेटी बोले तो मिठास
बहू बोले तो खटास,
ये बेटी-बहू में फ़र्क करने वालो पर ही तलवार तेज चलती हैं
वरना खाक बहू घूघट की आड़ में कैंची से भी तेज चलती है!

©Akanksha Srivastava उठाइये मग कह डालिए दिल की बात

#InternationalTeaDay

Dr Aruna KP Tondak

#Heartbeat

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मैंने बड़े प्यार से समझाया था उसे
के तेरे मेरे रिश्ते के बीच एक_#गांठ आ गई है,
उसने #कैंची ✂ उठाई# और चला ❌ दी उस पर.!

©डॉ. अरुणा कृष्णप्रेम Tondak #Heartbeat

~Amit

जिस धागे की गाँठ खुल सकती हो, उस पर कभी कैची मत चलाना... #Light #amitkr #rishte #धागे #गाँठ #कैंची #khatam #nojotoshayari #मशक्कत

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खुल सकती थी गाँठे थोड़ी मशक्कत से,
पर लोग कैचियाँ चला कर सारा किस्सा ही बदल देते हैं।। जिस धागे की गाँठ खुल सकती हो,
उस पर कभी कैची मत चलाना... 

#Light #amitkr #rishte #धागे #गाँठ #कैंची #khatam #Nojoto #nojotoshayari #मशक्कत

motivation

साईकल
सीखा था कैंची चलाना
फिर डंडे पर 
और फिर गद्दी
यह एक सफर था 
जो पूरा होना था
लेकिन 
चैन उतरी
 सफर अधूरा ही रहा।
-सुनील चौधरी #साईकल
#कैंची

Sanjay Saw

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#DearZindagi हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,पहला चरण कैंची और दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी........

तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं था क्योंकि तब घर में साइकिल बस पापा या चाचा चलाया करते थे तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।

"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे।

और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और "क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है ।

आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से मरहूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था।

हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तोड़वाए है और गज़ब की बात ये है कि तब दर्द भी नही होता था,गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।

अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में ।

मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी!  "जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं ।

इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए !

और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।

और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी ।

हम लोग  की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !

पहला चरण कैंची

दूसरा चरण डंडा

तीसरा चरण गद्दी
(फिर बादशाहों वाली फीलिंग्स)

Gulab Singh Rathore

#जिस_धागे की #गांठें खुल सकती हैं, उस #धागे पर #कैंची#नहीं_चलानी ❌ चाहिए G. S.. Banna

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#जिस_धागे की #गांठें खुल
 सकती हैं,
उस #धागे पर #कैंची ✂ #नहीं_चलानी ❌ चाहिए
Gulab Singh rathore #जिस_धागे की #गांठें खुल सकती हैं,
उस #धागे पर #कैंची ✂ #नहीं_चलानी ❌ चाहिए
 G. S.. Banna
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