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Rakesh frnds4ever
जब पीड़ाएं असहनीय हो जाती हैं ओर उनका कृंदन ना किया जाए तो फिर वो कृंदन एक असीम आक्रोश में एक चिल्लाहट के साथ बिजली की तरह कड़कता है, किसी और पर नहीं बल्कि खुद के अंदर कैद आवेग को खुद पर झुंझलाहट के रूप में निकालते हुए,,.. ©Rakesh frnds4ever #BehtaLamha जब #पीड़ाएं #असहनीय हो जाती हैं ओर उनका #कृंदन ना किया जाए तो फिर वो कृंदन एक #असीम #आक्रोश श में एक चिल्लाहट के साथ #बिजली की तरह कड़कता है, किसी और पर नहीं
Juhi Grover
शब्दों की प्रश्नडोरी में उलझा जीवन मरण समान हो जाता है, जीवन नाम की पाठशाला में उत्तर पुस्तिका ही खो जाती है, असमंजस में पड़े हम विचारहीन बस भविष्य को निहारते हैं, ज़िन्दगी मृत्यु भूत,वर्तमान,भविष्य से कोसों दूर हो जाती है। प्रश्न प्रश्न ही रहते हैं ,उत्तर के कभी आस पास हो नहीं पाते हैं, हम कभी किसी को, कभी किसी को कोसने में लगे रहते हैं, अपनी ही वास्तविकता से तो बस दूर बहुत दूर निकल जाते हैं, जीवन क्या है,मरने के बाद भी हमेशा विचारहीन रह जाते हैं। खुद को ही खोजने का प्रयास पूर्ण रूप से विफल हो जाता है, प्रश्नावली का बोझ असहनीय तो है,जीवन स्वार्थी हो जाता है, क्यों करें उत्तर की खोज, ज़रूरत का हर प्रश्न तो हो जाता है, उत्तर जानने के प्रयास के बिना जीवन मरण व्यर्थ हो जाता है। यों ही मानवता दिन रात स्वार्थ में डूब रही है, लक्ष्य खो गया, प्रश्नोत्तर ढूँढना कुछ संवेदनाओं से प्रेरित होकर ही हो पाता है, जीते जी अर्थहीन समाज में जीवन तो अब अलोप हो ही गया, बस जीवन जीने से पहले ही ज़िन्दा लाश होकर रह जाता है। #प्रश्नडोरी #मानवता #प्रश्नावली #असमंजस #असहनीय #विचारहीन #yqhindi #bestyqhindiquotes
Manisha Sharma
दीवारें उखड़ रहीं थीं, मलबा निकल रहा था, मेरे पूरे अस्तित्व का शायद पुनर्निमाण चल रहा था, पर ये ज़रूरी भी था, खुद की थी मैं खुद ही पतवार, था वो बेहद दर्द भरा, थी असहनीय पीड़ा अपार, किन्तु मेरे जीवन का कोई ग्रहण उतर रहा था, दीवारें उखड़ रहीं थीं, मलबा निकल रहा था, मेरे पूरे अस्तित्व का शायद पुनर्निमाण चल रहा था। रुक रुक के लहू के साथ, पस भी निकल रहा था, वो नासूर जिसने सोने ना दिया था कभी, वो उफ़न उफ़न कर मुझ पर वार कर रहा था, था वो दर्द भरा, थी असहनीय पीड़ा अपार, किन्तु मेरे जीवन का कोई ग्रहण उतर रहा था, दीवारें उखड़ रहीं थीं, मलबा निकल रहा था, मेरे पूरे अस्तित्व का शायद पुनर्निमाण चल रहा था।
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