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Divyanshu Pathak
यह मुस्कान किसी चेहरे पर आसानी से नहीं आ सकती। इसके लिए मन बहुत पवित्र चाहिए। अहंकार मुक्त होना चाहिए। मन में कुछ दूसरों के लिए करने का भाव होना चाहिए। वापिस कुछ मांगे बिना, बिना अपेक्षा भाव के। आज इस मुस्कान का स्थान गंभीरता ने, अहंकार ने, अकेलेपन या व्यष्टि भाव ने ले लिया है। हर कोई गंभीर चिन्तक नजर आना चाहता है। हंसना-गाना तो बच्चों से भी छीना जा रहा है। मां-बाप स्वयं साक्षी बनते हैं। 😊💕#सुप्रभातम💕😊🌷 आप सभी को मकरसंक्रांति एवं लोहणी पर्व की शुभकामनाएं ईश्वर आपको मंगलकारी वातारण दे । आप उम्र भर हँसते रहें । कृष्ण की तरह ---- और मैं रोऊं भी तो राधा की तरह । बैसे एक बात गौर करने लायक थी 😊----- : कृष्ण ने हर परिस्थिति को हंसकर जिया।
😊💕सुप्रभातम💕😊🌷 आप सभी को मकरसंक्रांति एवं लोहणी पर्व की शुभकामनाएं ईश्वर आपको मंगलकारी वातारण दे । आप उम्र भर हँसते रहें । कृष्ण की तरह ---- और मैं रोऊं भी तो राधा की तरह । बैसे एक बात गौर करने लायक थी 😊----- : कृष्ण ने हर परिस्थिति को हंसकर जिया।
read moreAnuradha Narendra Chauhan
पलकें बिछाए बैठी कान्हा,राधा तेरे प्यार में कहाँ छुपे तुम ओ गिरधारी झलक दिखला इक बार में तेरे प्रेम में सब कुछ भूली चली अकेली मैं नार-नवेली तुझसे मिलने की चाह लिए मन में प्रीत के भाव लिए यमुना किनारे बंशी-बजैया मैं सुध-बुध अपनी खो बैठी सांवरिया तेरी याद में खोई मैं वृंदावन को निकल पड़ी तुझसे मिलने आई मैं सांवरे दर्श दिखा तरसा ना सांवरे दूर न तुझसे मैं रह पाऊँ बंशी की धुन पर दौड़ी आऊँ घर-बाहर रास्ते-चौबारे ढूँढ रही हूँ यमुना किनारे बंसीवट की छैंया कहाँ छुपे हो जाकर नटखट कृष्ण कन्हैया बीती रही रैना चंदा छुपा जाए श्याम तुम बिन अब रहा न जाए #पलकें #बिछाए
आयुष AYUSH
लहरों पर बैठ कर तु बंशी बजाता जा, गीत कोई प्यार का सबको सुनाता जा, डोलने दे तन को मेरे डोलने दे मन को मेरे छोड़ गया साथी जो उसको बुलाता जा | लहरो पर बैठ कर तु बंशी बजाता जा | - आयुष #प्रेम #कविता
Anuradha Narendra Chauhan
जनम लियो नंदलाला गोकुल में धूम मची सांवला सलोना गोपाला यशोमती मैया मुख चूम रही नन्हे हाथों में पहन कंगना घनश्याम खेलें नंद के अंगना ढुमक-ढुमक चले पहन पैंजनी रत्न जड़ित बंधी कमर करधनी सांवला सलोना गोपाला यशोमती मैया मुख चूम रही गले पहन माल बैजयंती तोड़न लागे माखन मटकी भोली सूरत कर माखन चोरी कहें मैया से नहीं मटकी फोड़ी सांवला सलोना गोपाला यशोमती मैया मुख चूम रही नटवर नागर कृष्ण कन्हैया नाच नचाएं बंशी बजैया बंशी की धुन पर झूमते-गाते सबके मन को कृष्ण रिझाए सांवला सलोना गोपाला यशोमती मैया मुख चूम रही नीलवर्ण पीताम्बर धारी रास रचाए गोवर्धन धारी झूमे ब्रज झूमे बरसाना बड़ा नटखट नंद का लाला सांवला सलोना गोपाला यशोमती मैया मुख चूम रही ***अनुराधा चौहान***स्वरचित ✍️ #कृष्ण #कन्हैया
कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा
बंशी बाजे वृंदावन में बंशी बाजे वृंदावन में छेड़े प्रेम के तान रे राधा कृष्ण की जोड़ी जैसे श्वांसा और प्राण रे राधा जी भोली,दिखे गोरी गोरी कृष्ण प्रेम में खोई जैसे चांद की चकोरी कान्हा है नटखट,करता है खटपट माखन चोरी करके देखो,भागे है झटपट राधा के बिना कान्हा है आधा,कान्हा राधा की जान रे बंशी बाजे.............. यमुना किनारे ,दिल ये पुकारे राधा रानी दौड़ी आये,जब मुरलिया बाजे दिल मे है राधे ,मन मे भी राधे रोम रोम में कान्हा के राधे है समाये पवित्र प्रेम राधे कृष्ण का,चल कपट से अनजान रे बंशी बाजे................. ✍️कवि प्रदीप साहू "कुँवरदादा" कविता-बंशी बाजे वृंदावन में ✍️प्रदीप साहू "कुँवरदादा" श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी की अशेष बधाई व शुभकामनाये
कविता-बंशी बाजे वृंदावन में ✍️प्रदीप साहू "कुँवरदादा" श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी की अशेष बधाई व शुभकामनाये
read moreAj Raman
मोहन के लबों पे देखो क्या खुशनुमा है बंशी, बंशी पे लब फिदा हैं लब पे फिदा है बंशी । जिन्दे को मुर्दा करती मुर्दे को जिंदा करती, ये खुद खुदा नहीं हैं पर शाने खुदा है बंशी ॥ ऐसा क्या जादू कर डाला मुरली जादूगरी ने, किस कारण से संग में मुरली रखी है गिरधारी ने । बांस के एक टुकड़े में ऐसा क्या देखा बनवारी ने, किस कारण से संग में मुरली रखी है गिरधारी ने ॥ कभी हाथ में कभी कमर पर कभी अधर पर सजती है, मोहन की सांसो की थिरकन से ये पल में बजती है । काहे इतना मान दिया मुरली को कृष्ण मुरारी ने किस कारण..... एक पल मुरली दूर नहीं क्यों सांवरिया के हाथों से, रास नहीं रचता इसके बिन क्यूँ पूनम की रातों में । काहे को सौतन कह डाला इसको राधे प्यारी ने... किस कारण..... अपने कुल से अलग हुई और अंग अंग कटवाया है, गर्म सलाखों से फिर इसने रोम रोम छिदवाया है । तब जाकर ये मान दिया मुरली को गिरवर धारी ने राधे राधे
राधे राधे
read moreनवीन बहुगुणा(शून्य)
मोर मुकुट बंशी वाले के देखो खेल निराले है, राधा रानी के सुंदर ये चोर बड़े दिलवाले है,मटकी फोड़े कन्हा जब जब गोपिया शोर मचाती है,धुन कन्हा की सुनते ही सब मंत्र मुग् हो जाती है,दौड़े दौड़े मइँया जब पनघट पर यू चली आती है, पकड़ उन्हें अब जोर से वो थोड़ा सा डांट सुनाती है, डांट के सुनते है कन्हा अब दूर खड़े हो जाते है, बाल हट अब छोड कन्हैया, मुरली मधुर बजाते है,सबके प्यारे बंशी वाले जग के ये रखवाले है,मोर मुकुट बंशी वाले के देखो खेल निराले है,जन्म लिए मथुरा में गोविंद अब तो, बिगुल बजाते है, देखो जग सारा कन्हा का मिल के जन्म मनाते है,मोर मुकुट बंशी वाले के देखो खेल निराले है,राधा रानी के सुंदर ये चोर बड़े दिलवाले है, माखन मिश्री दूध दही से होता जब श्रृंगार है, कोटि कोटि अब नमन प्रभु को करता ये संसार है,मोर मुकुट बंशी वाले के देखो खेल निराले है, राधा रानी के सुंदर ये चोर बड़े दिलवाले है, राधे राधे हैप्पी जन्माष्टमी all f you👏👏👏👏🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
राधे राधे हैप्पी जन्माष्टमी all f you👏👏👏👏🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
read moreRajesh Raana
आप अपनों कष्ट के ऊपर वैसे ही नाचे जैसे श्रीकृष्ण कालिया नाग के ऊपर नाचे , आप ज़िन्दगी की रुकावटों को ऐसे पार करे , जैसे श्रीकृष्ण माखन खाकर सरपट पार करते थे , आप अपने चहेतों को इतना प्यार दे जितना प्यार श्रीकृष्ण ने गोपियों को दिया , आप अपने करीबी दुश्मनों का ऐसा संहार करे जैसा संहार श्रीकृष्ण ने कंस का किया था , आप ज़िंदगी के दुःखों में यु मस्त हो गुनगुनाये जैसे श्रीकृष्ण गोकुल में चैन की बंशी बजाते थे। आपको जिंदगी में जरूरत पे ऐसे साथी मिले , जैसे सुदामा को श्रीकृष्ण का साथ मिला था । श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सबकों हार्दीक शुभ कामनाएं। कृष्ण जन्माष्टमी आप अपनों #कष्ट के ऊपर वैसे ही नाचे जैसे श्रीकृष्ण #कालिया नाग के ऊपर नाचे , आप ज़िन्दगी की रुकावटों को ऐसे पार करे , जैसे श्रीकृष्ण #माखन खाकर सरपट पार करते थे , आप अपने चहेतों को इतना प्यार दे जितना प्यार श्रीकृष्ण ने #गोपियों को दिया ,