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Best ग़ज़ल_ए_माही Shayari, Status, Quotes, Stories

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Mahima Jain

"यह ग़ज़ल उन सभी को समर्पित है जो खुद से ऊपर देश को मानते है।" जिस धरती पर हम जन्में हैं उसकी रक्षा खातिर लाखों वीर तैनात है आज स्वंतत्रता दिवस पर फिर से, उन सभी को दिल से मेरा सलाम है। जो हर मौसम सीमा पर डटे हुए या तेज़ बारिश में उड़ान है भर रहे जो तूफ़ान में भी जहाज़ पर अडिग रहे, उन जवानों को दिल से मेरा सलाम है।

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 •| ग़ज़ल |•

दिल से मेरा सलाम
(कविता अनुशीर्षक में)
     "यह ग़ज़ल उन सभी को समर्पित है जो खुद से ऊपर देश को मानते है।"


जिस धरती पर हम जन्में हैं उसकी रक्षा खातिर लाखों वीर तैनात है
आज स्वंतत्रता दिवस पर फिर से, उन सभी को दिल से मेरा सलाम है।

जो हर मौसम सीमा पर डटे हुए या तेज़ बारिश में उड़ान है भर रहे
जो तूफ़ान में भी जहाज़ पर अडिग रहे, उन जवानों को दिल से मेरा सलाम है।

Mahima Jain

पेश है "दिल की बात" एक ग़ज़ल ❤️ नमस्ते🙏 प्रिय लेखक/ लेखिका✍️ यह प्रतिगिता का दूसरे चरण है। जिसमें आप सभी प्रतिभागियों को "५-१० पंक्तियों में लिखना है ।

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बोल दो अपने दिल की बात, मुझसे कुछ छुपाओ ना,
बुझे बुझे से हो क्यों तुम, मुझको तो बतलाओ ना।

किस बात का डर है तुमको, किस बात की चिंता है,
यूं घुट घुट कर अंदर ही अंदर, ऐसे तो मुरझाओ ना।

कह दो चलता है जो मन में, सच सच सारी बात करो,
इन झूठ मूठ की बातों से, मुझको तुम बहलाओ ना।

जो होना है वो होगा ही, जो आया है वो जायेगा भी,
व्यर्थ की बातों को सोच कर, शोक तुम मनाओ ना।

दिल को थोड़ा आराम भी दो, दिमाग को थोड़ा शांत करो,
"महिमा" ये दिल बड़ा नादान है, इसको थोड़ा तो समझाओ ना।।
 पेश है "दिल की बात" एक ग़ज़ल ❤️


नमस्ते🙏
प्रिय लेखक/ लेखिका✍️

यह प्रतिगिता का दूसरे चरण है। 
जिसमें आप सभी प्रतिभागियों को "५-१० पंक्तियों में लिखना है ।

Mahima Jain

#PWloPoMo26 A love Poetry writing challenge 🔥 Open for Collab🔥 brought to you by Proverbs World ♥️ Dear PW fam! ✨

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// ग़ज़ल //

सच्चा प्यार मिलता है नसीब से,
जिसने किया है वो ही जाने करीब से।

दिखावा तो सब करते है प्यार का,
इसकी हक़ीक़त पूछो इश्क़ के मरीज़ से।

सच्चा प्यार मिले जिसे, मानो उसे खुदा मिले,
ख़ुदा की नेमत का असर पूछो किसी फ़कीर से।। #PWloPoMo26
A love Poetry writing challenge
🔥 Open for Collab🔥

brought to you by Proverbs World ♥️

 Dear PW fam! ✨

Mahima Jain

शेर :- 5 मतला :-" बेवजह और बेमतलब _______________ छोड़ देते हैं।" मकता :- "महिमा तू बड़ी ________________ ज़िंदा छोड़ देते हैं।" काफिया :- "आधा", "इरादा", "प्यासा", "ज़्यादा", "वादा", "ज़िंदा" रदीफ़ :- "छोड़ देते हैं।" ∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆

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बेवजह और बेमतलब की बातों को आधा छोड़ देते हैं,
वजह मिल भी जाए तो पूरा करने का इरादा छोड़ देते है।

मोह माया के जाल में मुंह का निवाला भी निकाल दिया,
समुद्र के भीतर भी रह कर, खुद को प्यासा छोड़ देते हैं।

खुद को चाहे हर गम मिलें, मिले नहीं चाहे एक भी खुशी,
औरों की खातिर हम थोड़ा हिस्सा ज़्यादा छोड़ देते हैं।

ना जाने क्या क्या कर्म किए, जो भी किए सब गलत किए,
कुछ भी करने से हमेशा बचने को हर वादा छोड़ देते हैं।

"महिमा" तू बड़ी नादान है, इस दुनिया के फरेब से अनजान है,
ये मरते इंसान की सांसे निकाल, उस को भी ज़िंदा छोड़ देते हैं।। शेर :- 5
मतला :-" बेवजह और बेमतलब _______________ छोड़ देते हैं।"
मकता :- "महिमा तू बड़ी ________________ ज़िंदा छोड़ देते हैं।"
काफिया :- "आधा", "इरादा", "प्यासा", "ज़्यादा", "वादा", "ज़िंदा"
रदीफ़ :- "छोड़ देते हैं।"

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Mahima Jain

बेली - रक्षक __________________ शेर संख्या :- 5 मतला :- "मां बाप और _____________________ पहेली हूं।" मकता :- "सब बदलने का ___________________ बेली हूं।" काफिया :- "खेली", "पहेली", "सहेली", "अकेली", "चमेली", "बेली" रदीफ़ :- "हूं"

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मां बाप और बहनों की गोद में मैं खेली हूं,
अलबेली, अल्हड़, बातूनी सी मैं एक पहेली हूं।

लिखने से अब इश्क़ है मुझे, सब हैं जानते,
कागज़, कलम, किताब की मैं तो सहेली हूं।

दोस्तों की कमी नहीं, मोहब्बत भी है किसी से,
फिर भी करोड़ों के बीच में, मैं बिल्कुल अकेली हूं।

ना जाने किस की आस, सब कुछ तो है मेरे पास,
लगता है जैसे अंधेरे में सुगंधित सी मैं फूल चमेली हूं।

सब बदलने का इरादा, है फिर "महिमा" को पाना,
किसी से कोई उम्मीद नहीं, मैं खुद ही अपनी बेली हूं।।
 बेली - रक्षक
__________________

शेर संख्या :- 5
मतला :- "मां बाप और _____________________ पहेली हूं।"
मकता :- "सब बदलने का ___________________ बेली हूं।"
काफिया :- "खेली", "पहेली", "सहेली", "अकेली", "चमेली", "बेली"
रदीफ़ :- "हूं"

Mahima Jain

•| ग़ज़ल |• सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं, हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं। एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं, तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।

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सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं,
हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं।

एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं,
तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।

तुझ से रूठने का हक है मेरा, मुझ को मनाना फ़र्ज़ है तेरा,
तेरी छोटी छोटी कोशिशों पर, जान निसार करती हूं।

तेरे साथ सबकुछ अच्छा लगे, हर झूठ भी मुझे सच्चा लगे,
मेरी जान तुझ में बसती है, अब मैं ये इज़हार करती हूं।

दुनिया छूटे या रब मेरा अब रूठे, किसी का कोई डर नहीं,
ये महिमा तेरी थी, है और रहेगी, ये मैं करार करती हूं।। •| ग़ज़ल |•

सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं,
हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं।

एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं,
तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।

Mahima Jain

•| ग़ज़ल |• दिल के उलझे तारों को सुलझाऊं कैसे, तुझको ज़िन्दगी में फिर से वापस लाऊं कैसे। मेरे बिन तेरी सुबह नहीं थी, तेरे बिन मेरी रातें, दिन थे वो कितने हसीं, सबकुछ भुलाऊं कैसे। मन को तो बहलाया जाए, दिल का क्या करूं,

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दिल के उलझे तारों को सुलझाऊं कैसे,
तुझको ज़िन्दगी में फिर से वापस लाऊं कैसे।

मेरे बिन तेरी सुबह नहीं थी, तेरे बिन मेरी रातें,
दिन थे वो कितने हसीं, सबकुछ भुलाऊं कैसे।

मन को तो बहलाया जाए, दिल का क्या करूं,
ये दिल बड़ा ज़ालिम है, इसको समझाऊं कैसे।

तुझको मैंने रब था माना, तूने विश्वास है तोड़ा,
तेरी खातिर रब को रूठाया, तू ही बता मनाऊं कैसे।

इश्क़ में सब मिट जाते, "महिमा" को भी मरना है,
इन्हीं उलझे तारों से फांसी मैं लगाऊं कैसे।। •| ग़ज़ल |•
दिल के उलझे तारों को सुलझाऊं कैसे,
तुझको ज़िन्दगी में फिर से वापस लाऊं कैसे।

मेरे बिन तेरी सुबह नहीं थी, तेरे बिन मेरी रातें,
दिन थे वो कितने हसीं, सबकुछ भुलाऊं कैसे।

मन को तो बहलाया जाए, दिल का क्या करूं,

Mahima Jain

•| ग़ज़ल 2021 |• खुशी मनाओ उल्लास मनाओ, देखो नया साल आया है, खूब नाचो और सबको नचाओ, देखो क्या यह संग लाया है। पिछले साल से सीख लो तुम, नए पर उसको अमल करो, इंसानियत का पाठ पढो तुम, मैंने भी तो बस यही कमाया है।

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•| ग़ज़ल 2021 |•

खुशी मनाओ उल्लास मनाओ, देखो नया साल आया है,
खूब नाचो और सबको नचाओ, देखो क्या यह संग लाया है।

पिछले साल से सीख लो तुम, नए पर उसको अमल करो,
इंसानियत का पाठ पढो तुम, मैंने भी तो बस यही कमाया है।

नए साल में आख़िर होगा क्या, मिलेगी वैक्सीन या बढ़ेगी महामारी यहां,
कौन जाने किस को कब बुलाया है, यहां तो मौत का आतंक हर तरफ़ छाया है।

कितने समय में पहली बार हुआ, हवा का प्रदूषण एकदम साफ़ हुआ,
स्वच्छ पानी, ताज़ी हवा, खुला आसमां, 2020 ही यह कमाल कर पाया है।

चारों ओर फैली निराशा और अन्धकार हमको मिटाना है,
देख "महिमा" कहती ये सबको, बाकी बचा जो मोह माया है।।
 •| ग़ज़ल 2021 |•

खुशी मनाओ उल्लास मनाओ, देखो नया साल आया है,
खूब नाचो और सबको नचाओ, देखो क्या यह संग लाया है।

पिछले साल से सीख लो तुम, नए पर उसको अमल करो,
इंसानियत का पाठ पढो तुम, मैंने भी तो बस यही कमाया है।

Mahima Jain

🎀 Challenge-431 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 पिन पोस्ट 📌 पर दिए गए नियमों एवं निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 कोरा काग़ज़ समूह की पोस्ट नोटिफ़िकेशन्स ज़रूर 🔔 ON रखिए। जिससे आपको कोरा काग़ज़ पर होने वाली प्रतियोगिताओं की जानकारी मिलती रहे। #तेरीगलियोंकीख़ुशबू #कोराकाग़ज़ #yqdidi # yqbaba #ग़ज़ल_ए_माही #YourQuoteAndMine #hindmaahi #yqhindi Collaborating with कोरा काग़ज़

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तेरी गलियों को खुशबू जहां भी आती है,
मेरे कदमों की रफ़्तार बस वहीं थम जाती है।

तेरे कदमों की आहट जहां भी आती है,
मेरे दिल की धड़कन बस वहीं थम जाती है।

तेरे दिल की धड़कन जहां भी आती है,
मेरे शरीर की सांसे बस वहीं थम जाती है।

तेरी सांसों की खुश्बू जहां भी आती है,
मैं, मेरा सब कुछ बस वहीं थम जाता है।
 🎀 Challenge-431 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 पिन पोस्ट 📌 पर दिए गए नियमों एवं निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 

🎀 कोरा काग़ज़ समूह की पोस्ट नोटिफ़िकेशन्स ज़रूर 🔔 ON रखिए। जिससे आपको कोरा काग़ज़ पर होने वाली प्रतियोगिताओं की जानकारी मिलती रहे। 

#तेरीगलियोंकीख़ुशबू #कोराकाग़ज़ #yqdidi # yqbaba   #ग़ज़ल_ए_माही   #YourQuoteAndMine #hindmaahi #yqhindi
Collaborating with कोरा काग़ज़

Mahima Jain

•| ग़ज़ल |• "आख़िर कैसे" खुद में ही मैं उलझी हूं, ना जाने सुलझाऊं कैसे, अपना हाल - ए - दिल किसी को बतलाऊं कैसे। एक तू ही तो था जिसने हंसना सिखाया था, तेरी ही खातिर इन आंखों को रुलाऊं कैसे।

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•| ग़ज़ल |•
" आख़िर कैसे "

खुद में ही मैं उलझी हूं, ना जाने सुलझाऊं कैसे,
अपना हाल - ए - दिल किसी को बतलाऊं कैसे।

एक तू ही तो था जिसने हंसना सिखाया था,
तेरी ही खातिर इन आंखों को रुलाऊं कैसे।

तूने तो एक पल में ही पराया कर दिया,
मैं तेरे साथ बीते हुए पल भुलाऊं कैसे।

मेरी आंखों में दिखता है अब भी तेरा प्यार,
तू ही बता इसे दुनिया से छुपाऊं कैसे।

दिल की "महिमा" वो ही जाने, जिसने दिल लगाया है,
मेरा तो सब कुछ टूट गया, मैं ये रोग लगाऊं कैसे।। •| ग़ज़ल |•
"आख़िर कैसे"

खुद में ही मैं उलझी हूं, ना जाने सुलझाऊं कैसे,
अपना हाल - ए - दिल किसी को बतलाऊं कैसे।

एक तू ही तो था जिसने हंसना सिखाया था,
तेरी ही खातिर इन आंखों को रुलाऊं कैसे।
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