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i am Voiceofdehati
★बदलाव★ पहले लोग विपत्ति बांटते थे बाप बेटों को डांटते थे, आज लोग सम्पत्ति बांटते हैं बेटे बाप को डांटते हैं, ★बदलाव★ पहले लोग विपत्ति बांटते थे बाप बेटों को डांटते थे, आज लोग सम्पत्ति बांटते हैं बेटे अपने बाप को डांटते हैं, #बदलावकादौर #विडम्बना #voiceofdehati #voice_of_village #yqdidi #lifelessons
★बदलाव★ पहले लोग विपत्ति बांटते थे बाप बेटों को डांटते थे, आज लोग सम्पत्ति बांटते हैं बेटे अपने बाप को डांटते हैं, #बदलावकादौर #विडम्बना #voiceofdehati #voice_of_village #yqdidi #lifelessons
read moreBazirao Ashish
गूँगे भी बोल पड़ते हैं "मैं गलत हूँ" अन्धे त्रिकालदर्शी जो ठहरे। ~●आशीष●द्विवेदी● ©Bazirao Ashish गूँगे भी बोल पड़ते हैं "मैं गलत हूँ" अन्धे त्रिकालदर्शी जो ठहरे। ~●आशीष●द्विवेदी● #विडम्बना
गूँगे भी बोल पड़ते हैं "मैं गलत हूँ" अन्धे त्रिकालदर्शी जो ठहरे। ~●आशीष●द्विवेदी● #विडम्बना
read moreSantosh 'Raman' Pathak
#AzaadKalakaar सूतल बाटें देस क लोगवा चादर तान जगइहा कल्लू आपन खून भइल बा दुसमन पहरा अउर बढइहा कल्लू देस क लोगवा देस क पानी बोतल भर भर बेचे लगलन जहर बनउलें गङ्गाजी कय पानी तोही बचइहा कल्लू काठ करेजा माई बाबू बिटिया पेटवे में हति देलें चेता! वरना फिर आगे से लड़िका तोही होखइहा कल्लू सत्तर साल से गर्द मचउले कायर ससुरा तोर पड़ोसी मार कछाना ठोंक के ताली'धोबियापाट'लगइहा कल्लू ©Santosh Pathak #देशप्रेम #विडम्बना #AzaadKalakaar
#देशप्रेम #विडम्बना #AzaadKalakaar
read moreDurga bhatt
जिना चाहो हदो से पार अगर पेड़ जैसे काट दिये जाओगे , मान लो उन हदो को तुम गमलों सा सहारा पा जाओगे। #Irony ©Durga bhatt #विडम्बना
shivani ranjan(©बेबाक वाणी)
जब भी औरतें अपनी सीमा को पार करने की कोशिश करती है दुनिया आज भी लक्ष्मण रेखा लांघने का परिणाम ,रावण याद दिलाती हैं.... उन्हें अरुणिमा सिन्हा,दुती चंद,तोमर दादी,मैरी कॉम क्यों नहीं याद दिलाई जाती!!! ©बेबाक वाणी #Moon ऐसी बातें औरतों के व्यवहार को प्रभावित करने के लिये संचारित कि गई हैं #विडम्बना #propaganda
#Moon ऐसी बातें औरतों के व्यवहार को प्रभावित करने के लिये संचारित कि गई हैं #विडम्बना #Propaganda
read moreNarendra Kumar
विडम्बना जंग ए इश्क़ में अक्सर, अज़नबी बाजी मार जाता है। सच्चे प्यार को लोग समझते कहाँ है, अक्सर हार जाता है।। ।।नरेन्द्र कुमार™।। #विडम्बना Maligram Yadav MONIKA SINGH Himanshu Mishra (Parth) निdhi🖤 अमरेन्द्र मिश्रा
#विडम्बना Maligram Yadav MONIKA SINGH Himanshu Mishra (Parth) निdhi🖤 अमरेन्द्र मिश्रा
read moreYogita Rani singh
#OpenPoetry पहचान क्या कहे किस से कहे आखिर मौन हम कब तक रहे पाया था जो जिन्दगी में कभी क्या आज उसे छीन्ने दे या फिर इस गुमनाम कहानी को हम गुमनाम ही रहने दे मिली इक हंसी उसे परम्परा नाम दिया बनी जब खिलखिलाहट उसे मर्यादा बना दिया यह दस्तुर ही तो जिसने गंगा -यमुना को नर्मदा बना दिया बनी जब तीव्र धारा उसे सागर में मिला दिया देखता है चातक रात्री में चाँदनी को जैसे खोज रही हुँ मन में विश्वास को ऐसे क्भी सच्चे मिेत्र को तो नही देखा पर उम्मीद है मुझे मिली इक ऐसी ही रूप रेखा वो मेरी सखी ही तो थी जिसे मैऩे आखिरी बार देखा अपनी सी है अपने में जो चंचलता की मुर्ति है वो अब इस कहानी को ह्रदय मे छिपी रहने दो इस गुमनाम कहानी को अब गुमनाम ही रहने दो #OpenPoetry #पहचान #विडम्बना #संघर्ष #ऩारी
#OpenPoetry #पहचान #विडम्बना #संघर्ष #ऩारी
read moreAjay Sharma
छत छप्पर की थी और दीवार थी कमजोर फिर भी फसल के लिए चाहिए बारिश पुरजोर #किसान #की #विडम्बना...