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Author Munesh sharma 'Nirjhara'

वह मृग
कस्तूरी मैं उसकी
क्या कहूँ व्यथा अब विरह की

बादल बरसे
उष्णता हरते नहीं
प्रेम बोल भी अब
कर्ण तृप्त करते नहीं

विचलित अलसायी 
जीवन दोपहरी
उषा संध्या मन हरते नहीं
गहन रात्रि भयभीत करती
नेत्र निद्रा बिन अब
काजल प्रेम करते नहीं

श्वास उच्छवास् 
आह बन अब
प्रिय नाम जप थकते नहीं

कैसे कहूँ व्यथा विरह की
पलछिन बाट जोहते 
आँख मूँद तनिक रहते नहीं!
🌹
 #mनिर्झरा 
©️®️
#वियोग 
#वियोग_शृंगार_रस 
#hindipoetry 
#yqlove 
#yqdidi 
#bestyqhindiquotes

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

मैं...
कब,कहाँ दूर रही तुमसे
तुम पुकारोगे मुझे
इसी आस में खड़ी रही कब से,
शब्दों के झंझावात झेले 
विकल आकुल हृदय से,
प्रकट न कर सकी
कष्ट मैं वाणी से,
बधिर कर्ण कर लिए तुमने
व्यर्थ ही आशंका से,
काश कि अर्थ वहन करते 
मेरी अस्थिर
विचलित पुतलियों के,
आह!तड़ित प्रहार सम 
सहन किया मैंने,
अनर्थक ही निरर्थक कर दिया
रोली-सा बंधन
माटी-सा तुमने!
🌹 #mनिर्झरा 
copyright protected ©️®️
02/10/2020
#प्रेम 
#वियोग_शृंगार_रस 
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#love 
#tum

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

वैराग्य विहग सम कोमल मन
सुमन उपवन लख चिंतित मन
किंचित विचलित नहीं प्रियतम
सुनहु सखि व्यर्थ अब सावन घन!
🌹 #mनिर्झरा 
Copyright protected ©️®️
01/10/2020
#वियोग_शृंगार_रस 
#yqdidi 
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#रस

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

जब तुम मेरे थे
तब भी कहाँ मेरे थे

रात और दिन में भी
कहाँ चाँद-तारे और सवेरे थे

आँखों में तब भी तुम्हारी
प्रेम के पल कहाँ ठहरे थे

कह सकूँ पिछला कुछ मीठा-सा
ऐसे लम्हें हमारे कहाँ बीते थे

चले तो थे साथ ही हम तब
पर पग एक साथ कहाँ बढ़े थे

साथ होकर भी तुम
तब भी साथ कहाँ मेरे थे
🌹 Copyright protected ©️®️
#mनिर्झरा 
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#yqdidi 
#तुम्हारे_ख़्याल_और_मैं

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

#mनिर्झरा हिन्दी साहित्य में श्रृंगार रस 'रसराज' कहा जाता है यानि रसों का राजा!श्रृंगार रस के संयोग और वियोग दो पक्ष होते हैं!प्रस्तुत रचना श्रृंगार के वियोग भाव को दर्शा रही है जिसमें प्रेमिका या पत्नी अपने प्रेमी या पति को याद करते हुए अपनी सखी या सहेली से अपनी वियोग दशा का वर्णन कर रही है! 🌹🌹🌹 दग्ध-हृदय तनु विरह तप्त आकुल व्याकुल युगल नयन

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दग्ध-हृदय तनु विरह तप्त
आकुल व्याकुल युगल नयन

प्रेम-पाश जटिल बंधन
हिय न जानत मुक्ति तारण

काहे प्रिय यूँ तड़पावत मोय
प्रेमाग्नि चहुँ दिसि घेरत मोय

काल सम काल बीत रह्यो अब
आवहु प्रियतम कब जाने कोय

नैन निसि-दिवस झरत यों हि
सावन मास झरी लागों ज्यों हि

अकथ कथा व्यथा बांचें कौन
हृदय-पट खोल झांकत कौन

सुनहु सखि कुछ करू उपाय
प्रिय तक संदेसो दे पहुँचाय

आवहि जात साँस धीमि अब मोरि
प्रिय को देखन अटकी इक डोरी

हिय मांहि लाज बहुत समेटि
अब नाहि चुप रहियें कंत को देखि

आ जाहिं बस इक बारि प्रिय मोरे
प्राण तजहिं ताकि चरण को छूहहिं!
🌹 #mनिर्झरा


हिन्दी साहित्य में श्रृंगार रस 'रसराज' कहा जाता है यानि रसों का राजा!श्रृंगार रस के संयोग और वियोग दो पक्ष होते हैं!प्रस्तुत रचना श्रृंगार के वियोग भाव को दर्शा रही है जिसमें प्रेमिका या पत्नी अपने प्रेमी या पति को याद करते हुए अपनी सखी या सहेली से अपनी वियोग दशा का वर्णन कर रही है!
🌹🌹🌹
दग्ध-हृदय तनु विरह तप्त
आकुल व्याकुल युगल नयन

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

दूर हूँ तुमसे
शायद..'बहुत दूर'
'विरह-व्यथा' भोग रही मैं
तुम्हारी इच्छा से अनभिज्ञ
तुम्हें हृदय में स्थापित कर चुकी मैं..!
🌹

 दूर हूँ तुमसे बहुत🌹
#प्रेम_पर_चिंतन 
#वियोग_शृंगार_रस 
#योरकोट_हिंदी

Abhay Bhadouriya

शक में बहुत शक्ति होती है🙂 #एकांत #वियोग_शृंगार_रस life love #abhaybhadouriya

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प्रेम से पहले 'विश्वास' आया
और अलगाव से पहले 'लगाव'
सबसे अंत में 'शक' आया
और 'शक ' करेगा फैसला कि
कौन जीतेगा, कौन हारेगा
और  फिर जो जीता
वो था बस 'एकांत'
 शक में बहुत शक्ति होती है🙂
#एकांत #वियोग_शृंगार_रस 
#life #love #abhaybhadouriya

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