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kavi manish mann
बहारों ने मेरा चमन लूट कर, खिजाँ को ये इल्जाम क्यूंँ दे दिया। किसी ने चलो दुश्मनी की मगर, इसी दोस्ती नाम क्यूंँ दे दिया। बहारों ने मेरा चमन लूट कर.......! तूने समझा नहीं है मेरे हमनशी, सजा ये मिली है मुझे किसलिए। के साकी ने लब से मेरे छीन कर, किसी और को जाम क्यों दे दिया। बहारों ने मेरा चमन लूट कर.......! मुझे क्या पता था कभी इश्क में, रकीबों को कासिब बनाते नहीं। खता हो गई मुझसे कासिब मेरे, तेरे हाथ पैगाम क्यूंँ दे दिया। बहारों ने मेरा चमन लूट कर.......! #मौर्यवंशी_मनीष_मन #मनीष_मन #गीत_मन #
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⭐अपरिचित⭐ मंजिल दोनो की एक रही,साधन दोनो का एक रहा। अपरिचित प्रेम से एक दिवस,बस नयनों से संवाद हुआ। अंदर तो थी उथल पुथल, बाहर मन था शांत सरल। उसकी झील सी आंँखों को, मन देख हुआ अत्यंत विह्वल। जीवन में पहली बार सखे,ऐसा एक अपवाद हुआ//1// मन जान लिया मन की भाषा, क्या जानेंगे इसरो नासा । मन में चित्र बसा उसका, बंद नेत्र किए एक आह भरा।। मन ही मन उस परमपिता का, शत शत बार अभिवाद हुआ//2// जल बिन मीन का तड़पन ज्यों, हंसनी हंस का बिछड़न ज्यों, ज्यों देह से प्राण निकलते हैं, उस क्षण ये अनुभूति हुई। उनके नयनों के चितवन से,जिस क्षण मन आजाद हुआ//3// #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #प्रेम #अपरिचित
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221 221 221 22 बिल्कुल तुम्हारी तरह मैं भी रोया। क्या क्या बताओ नहीं मैंने खोया। रौनक सुकू तुम हंसी ले गई थी। इस जिंदगी की खुशी ले गई थी। रातों को जागा कहां मैं भी सोया। क्या क्या बताओ नहीं मैंने खोया। उलझन उदासी तेरी याद औ’ मैं, जिंदा था लेकिन था जैसे नहीं मैं। आंसू से आंखों को अपने भिगोया। क्या क्या बताओ नहीं मैंने खोया। तुम गैर की बांँह थामे हुई थी, बेशक गलत राह थामे हुई थी। वो ही मिला ‘मन’ था जो तुमने बोया। क्या क्या बताओ नहीं मैंने खोया। आके गले लग रही अब भला क्यों। भेजा यहांँ पर तुम्हें रब भला क्यों। जन्न त से आई हुई हूर गोया। क्या क्या बताओ नहीं मैंने खोया। #रातकाअफ़साना #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन
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आशाओं की गठरी सर रख,कंटक पथ पर ढोते हैं। अक्सर मिडिल क्लास के लड़के,संघर्षों में होते हैं। बिजली बिल बढ़ रही निरंतर,बढ़े खेत की पनिहाई। मम्मी की कुछ दवा खतम है,सर पर बैठी महंगाई। आटा चावल दाल खतम है,आलू मिर्चा तरकारी। इन्हें वसीयत में मिलती है,घर की सारी जिम्मेदारी। विषम परिस्थितियों में फंस करके,अपना आपा खोते हैं। अक्सर मिडिल क्लास के लड़के,संघर्षों में होते हैं। जिम्मेदारी के संग संग ही,पढ़ना लिखना होता है। कुंभकरण की नींद के जैसे,भाग्य भी इनका सोता है। पर्वत जितना मेहनत करते,राई जितना फल मिलता। काश कठिन जीवन भी इनका,थोड़ा सा सरल मिलता। नाव स्वयं पतवार स्वयं ही,अपना जीवन खेते हैं। अक्सर मिडिल क्लास के लड़के,संघर्षों में होते हैं। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #tantak_mann
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कुछ खोया,कुछ पाया जग में,कहीं जीते,कहीं हार गए। पढ़ते–लिखते,हंँसते–रोते,जीवन के कुछ साल गए। सबसे सुख मांँ के आंचल में, और पिता के प्यार में था। दादा–दादी की बाहों में, उनके लाड–दुलार में था। गुड्डे–गुड़िया, खेल–खिलौने, बचपन के इतवार गए। पढ़ते–लिखते,हंँसते–रोते,जीवन के कुछ साल गए।१ एक माह मेले से पहले, खुश हो इक इक दिन गिनना। तरह तरह के खेल खिलौने, लेने की फिर ज़िद करना। सावन, झूले, नाव, पतंगे, और तीज त्यौहार गए। पढ़ते–लिखते,हंसते–रोते,जीवन के कुछ साल गए।२ बीते दिन की यादें सारी, मन को बहुत लुभाती हैं। कुछ बातों से हंँस देते हैं, कुछ तो बहुत रुलाती हैं। क्षण में रोना,क्षण में हंँसना, सभी मान मनुहार गए। पढ़ते–लिखते,हंँसते–रोते,जीवन के कुछ साल गए।३ पुलिस दरोगा बनने वाले, वो सारे किरदार गए। किसी बात की नहीं थी चिंता, वो सुख के संसार गए। ना जाने कब बड़े हो गए,बचपन के दिन चार गए। पढ़ते–लिखते,हंँसते–रोते,जीवन के कुछ साल गए।४ #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #तंतक_मन #tantak_mann #तांटक_मन #yqdidi #yqhindi #बचपन HINDI KAVYA SANGAM Best YQ Hindi Quotes काव्य प्रगति कुंज साहित्य सभा नवरचना
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अधूरे ख़्वाब⟩अधूरे गीत =============== जिस जिस को भी अपना समझा,सबकी दर से होते निकले। बारी बारी परखा सबको,सारे सिक्के खोटे निकले। अपने हिस्से सिर्फ़ उदासी, आवश्यकताएंँ जां की प्यासी। आंँखें हैं अब पथराई सी, अपेक्षाएंँ न रही जरा सी। हम मतलब की इस दुनिया में, रोते आए रोते निकले। बारी बारी परखा सबको,सारे सिक्के खोटे निकले।। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #अधूरेख़्वाब #अधूरे_गीत #adhurikahani #जीवन #संघर्ष #yqdidi
kavi manish mann
मैं हारा मैं टूट चुका था,स्वप्न सजाना छूट चुका था। हे!मालिक,हे!भाग्यविधाता,तुमने आस बंँधा दी फिर से। इधर उधर मैं भटक रहा था,दर दर की ठोकर खानी थी। कोई बंधू सखा न साथी,आदत भी कुछ बचकानी थी, दूर–दूर तक सन्नाटा था।जीवन में बस वीरानी थी, चलते चलते हार गया था,राहें सारी अनजानी थी।। जीवन की इस कठिन घड़ी में,मुझको राह दिखा दी फिर से, हे!मालिक,हे!भाग्यविधाता,तुमने आस बंँधा दी फिर से। शापित सा जीवन था मेरा,मिला कोई वरदान नहीं था। मंदिर मस्जिद चर्च शिवालय,कहीं खुदा भगवान नहीं था। मैं पत्थर में ढूंढ रहा था,अग्यानी था ज्ञान नहीं था। होगे मेरे अतंस में प्रभु,मुझको यह अनुमान नहीं था। आकर मेरे मन मंदिर में,सुप्त आत्मा जगा दी फिर से। हे!मालिक,हे!भाग्यविधाता,तुमने आस बंँधा दी फिर से। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #हिंदी_गीत #गीत_मन #आभार #ईश्वर #भगवान
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मेरे मन की बातें सुन ले हे गिरधारी रे। गयियां तेरी भटक रहीं हैं मारी मारी रे। जब तक गायें दूध मलाई देती रहती हैं। तब तक भक्तों की तेरे वो चहेती रहती हैं। दूध छोड़ते ही हो जाती हैं बेचारी रे। गयियां तेरी भटक रहीं हैं मारी मारी रे।। गली–मुहल्ले मारी जाती दौड़ाकर के डंडे। गाय बचाओ नेताओं के हैं चुनावी फंडे। गौशालों में भूखी प्यासी बांधी रहती हैं, गौशाला के मालिक की तो चांँदी रहती है। कलयुग में गायों पर आई विपदा भारी रे। गयियांँ तेरी भटक रहीं हैं मारी–मारी रे।। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #श्रीकृष्ण #krishna #yqdidi #yqhindi
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अनसुलझे इतिहास रचे कुछ,अनसुलझे संग्राम दिए। नारी ने जाने अनजाने, युद्धों के निर्माण किए।। कुटिल मंथरा कैकेयी के,कानों में विष घोल दिया। जो ना कहना था रानी से,वो सब जाकर बोल दिया। पुत्र प्रेम में बावली रानी,दो वर राजा से मांगे। भरत सिंहासन पर बैठे अब,राम अयोध्या को त्यागे। सारी सजी अयोध्या में फिर,इक सन्नाटा सा छाया, राम के वन जाते ही दशरथ,निज प्राणों को त्याग दिए। सुर्पनखा मायावी नारी, लीला अजब रचाई थी। विश्व सुंदरी बनकर डायन,हरि को छलने आई थी। लक्ष्मी स्वरूप मात सिया पर,अकल्पनीय प्रहार किए। प्रभु आज्ञा से लक्ष्मण भैया, कान नाक तब काट दिए। जिस कारण रावण ने आकर, मां सीता का हरण किया। जिस कारण फिर निशाचरों का, राघव ने संहार किए। भरी सभा में पांचाली का,जब भीषण अपमान हुआ। जंघा तोड़ी दुर्योधन की, भीम क्रोध से लाल हुआ। केश खोलकर द्रुपद सुता भी,अपने मन में थी ठानी। रक्त से तेरे केश धुलुंगी,सुन दुर्योधन अभिमानी। महायुद्ध फिर छिड़ा समर में,भीष्म घुटे अंतिम क्षण तक। कर शिखंडी भीष्म के सम्मुख,पार्थ ने तब प्रहार किए। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #नारी #yqdidi #yqhindi Best YQ Hindi Quotes
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//आगामी गीतांश// द्वंद छिड़ा है मन में इतना,भाई–भाई छूट गए। विवश हो गए नर नारी से, दो दरवाजे फूट गए। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #तांटक_मन #yqdidi #भाई #झगड़ा #yqhindi