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pearlikA

#पागलो सा प्यार

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Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

वो विचारो के झंझावात मे खोया हुआ कब निंद के आगोश मे खो गया,उसे पता हीं नही चला! दुर कही वादलो के विशाल झुंड मे वो सफर कर रहा था, उसे आज जिन्दगी का सफर काफी सुहावना लग रहा था!सफेद वादलो के झुंड आकर उससे टकरा रहे थे,जैसे मानो उसे अपने बांहो मे भङ लेना चाहते हो,उसे दुलारना चाहते हो,वो भी उन्मुक्त होकर वादलो से अट्टखेलियां कर रहा था!आज वो प्रसन्न चित था!सारी चिंतायें,सारी दुविधायें मानो उससे दुर हो गई थी! तभी वादलो के पार से आवाज आई! राघव!वो राघव! वो चौंका,विचलीत हुआ और पागलो की तरह वादलो केे झुं

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वो विचारो के झंझावात मे खोया हुआ कब निंद के आगोश मे खो गया,उसे पता हीं नही चला!

दुर कही वादलो के विशाल झुंड मे वो सफर कर रहा था, उसे आज जिन्दगी का सफर काफी सुहावना लग रहा था!सफेद वादलो के झुंड आकर उससे टकरा रहे थे,जैसे मानो उसे अपने बांहो मे भङ लेना चाहते हो,उसे दुलारना चाहते हो,वो भी उन्मुक्त होकर वादलो से अट्टखेलियां कर रहा था!आज वो प्रसन्न चित था!सारी चिंतायें,सारी दुविधायें मानो उससे दुर हो गई थी! तभी वादलो के पार से आवाज आई!

राघव!वो राघव!

वो चौंका,विचलीत हुआ और पागलो की तरह वादलो केे झुं

Ob-LIV-ious

मुझे #पागलो से #दोस्ती करना पसंद है #_साहब, क्युकी #मुश्किल वक़्त में कोई #समझदार _काम नहीं आता !! @Ob-LIV-ious #Shayari#Quotes#poem#Stories#Musicnojoto

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 मुझे #पागलो से #दोस्ती करना पसंद है #_साहब,
क्युकी #मुश्किल वक़्त में कोई #समझदार _काम नहीं आता !!
@Ob-LIV-ious
#shayari#quotes#poem#stories#music#nojoto

महेश शर्मा

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आओ कभी पागलो की बस्ती में
रहते है हम यहाँ अपनी ही मस्ती में
कोई हैं यहाँ जबरस्ती में
तो कोई है अपनों की ख़ुदपरस्ती मैं

कोई गीत मधुर गाता है
कोई सर से थाली बजाता है
कोई छोटी बात पर चिढ़ जाता है
कोई इशारों में समझाता है

कोई बिना बात मुसकाता है
कोई लफ्ज़ ना एक सुनता है
कोई दीवारों से भिड़ जाता है
कोई दरवाजे से टकराता है

कोई लैला लैला चिल्लाता है
ख़ुद को मजनूं कहलवाता है
कभी मुझसे लिपट जाता है
फिर अपना हाल सुनाता है

आओ कभी पागलो की बस्ती में
देखो कैसे रहते हम अपनी ही मस्ती में
सुनो बात हमारी सस्ती में
बैठकर ना आना बस इश्क़ वालो की कश्ती में
वरना रह जाओगे हमेशा पागलो वाली बस्ती में

M Furkan Ahmad

सवाल बहोत हैं मगर सिर्फ़ इतना सा बता दो क्या वो भी पागलो सा तुम्हें प्यार कर पाएगा... जैसे मैं तुम्हारे दर्द पर बिलखता हूँ वैसे ही क्या वो भी बिलख पड़ेगा .. जैसे मैंने नफ़स-दर-नफ़स साथ दिया हैं क्या वो भी अपनी कुरबानी को जाया करेगा..

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सवाल बहोत हैं मगर सिर्फ़ इतना सा बता दो
क्या वो भी पागलो सा तुम्हें प्यार कर पाएगा...

जैसे मैं तुम्हारे दर्द पर बिलखता हूँ
वैसे ही क्या वो भी बिलख पड़ेगा ..

जैसे मैंने नफ़स-दर-नफ़स साथ दिया हैं 
क्या वो भी अपनी कुरबानी को जाया करेगा.. 
 
तुम्हारी बिन कही बाते समझ लेगा,
मेरी तरह तेरे दिल की बयाबानी पढ़ लेगा... 

खैर सवाल बहोत हैं सिर्फ़ इतना सा समझा दो
क्या वो भी पागलो सा तुम्हें प्यार कर पाएगा... सवाल बहोत हैं मगर सिर्फ़ इतना सा बता दो
क्या वो भी पागलो सा तुम्हें प्यार कर पाएगा...

जैसे मैं तुम्हारे दर्द पर बिलखता हूँ
वैसे ही क्या वो भी बिलख पड़ेगा ..

जैसे मैंने नफ़स-दर-नफ़स साथ दिया हैं 
क्या वो भी अपनी कुरबानी को जाया करेगा..

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