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Sumit R Das
ये हालात चिल्लाते रहते है ख़ुदकुशी के लिए रोज़ खुदको मनाना पड़ता है जिंदगी के लिए सब घेर कर मुझ से पूछते है बस सवाल यही कितनी बार मरना पड़ेगा एक जिंदगी के लिए हर कोई अब मुझसे आगे है सभी है कामयाब बस हम कर रहे गुहार अगली जिंदगी के लिए दिल कहता है दिल क़ी सुन ले और खत्म करे दिमाग़ कहता है रुक सब्र रख जिंदगी के लिए देखे आगे क्या होता है कौन विजयश्री होता है अभी जिंदगी कुर्बान हो रही है जिंदगी के लिए #book_consideration
Sumit R Das
फ़ोन हाथ में है पर हम किसको फ़ोन करे पूछेगा वो कैसे हो? अब दुखड़ा कौन कहे सब ठीक है यही बार बार दोहराते रहते है प्रभु से अब डर लगता है कितना झूठ कहे बहते अश्रुधारा को हम नाम पसीना देते है कोई कहता कवि तो कोई हमें पागल कहे जिंदगी के ठोंकरो ने इतना तो सिखा दिया कौन तेरा दुश्मन है और किसको दोस्त कहे आखिरी पंक्ति है काश आखिरी क्षण भी हो विनती करो स्वीकार हमारी कितनी बार कहे #book_consideration
Sumit R Das
मेरी यही कहानी है जिंदगी है खुशहाल मगर आँखों में पानी है देखो यह मेरी नही मेरे दोस्त की कहानी है सबकुछ पास है पर यहाँ मेरा कुछ भी नही बचपन जा चुका है अब जा रही जवानी है वक्त के साथ ना चल पाने की सजा है यही हर दिन हर घड़ी बस याद आ रही नानी है क्या हुआ क्या नही छोड़ो बस यह जान लो अब केवल गम ही मेरे मन की राजधानी है जो हो गया सो हो गया उसको भूल जाना है अब जो वादे किये है बस उसको निभानी है #yqhindi #yqdidi #bestyqhindiquotes #book_consideration
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read moreSumit R Das
किसी के दुख का कारण किसी के लिए बद्दुआ हूँ मैं ये दिल दिमाग से पूछने लगा है क्या इतना बुरा हूँ मैं आज तुम मुझसे नाराज हो और मैं खुद से नाराज हूँ मैं खुदको बादल समझता था हकीकत में धुँआ हूँ मैं तुमने शब्दों से दिखाया आईना तो यह एहसास हुआ ये दुनिया रूपी महा सागर में बस एक बुलबुला हूँ मैं जिंदगी ने हर मोड़ पर सिखाया है मुझे कुछ ना कुछ अब उस जिंदगी को कैसे कहूँ कि खाली कुँआ हूँ मैं एक हार के बार फिर हार के बाद सब कुछ हार गया इस दिल ने थक हार कर मान लिया है कि बुरा हूँ मैं #book_consideration
Sumit R Das
अब तो हर बात पर कहने लगे है हम ठीक है चाहे हाँ करो या ना जवाब यही रहेगा ठीक है देखो पत्थर का होने लगा है नाजुक दिल मेरा टूट भी जाये तो आवाज आती है सब ठीक है कुछ फैसले गलत किये कभी राह गलत चुना देने लगे झूठा दिलासा यही सही यही ठीक है सोचा था मैंने वक्त लगेगा पर ठीक हो जायेगा अब आदत हो चली तो इसे ही कहते ठीक है जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण सबक लो आज गलती ठीक करो वरना गुनाह कहोगे ठीक है #book_consideration
Sumit R Das
जो सोचा था नही करूँगा कभी आज वही कर रहा हूँ अलग रास्ता बनाना था मुझे मगर भीड़ में चल रहा हूँ मैंने सोचा था कि यह कर लूँगा और वो भी हो जायेगा आज देखिये जिंदगी जीने के लिए पल पल मर रहा हूँ लोग कहने लगे है अब मुझे इंतिहा हो गयी इंतजार की उन्हें कोई कहे आग मुझ में लगी है और मैं जल रहा हूँ जिंदगी के दाँव पेंच को समझने में बहुत वक्त लग गया मैं हार के बाद अपनी जीत की झूठी कहानी गढ रहा हूँ उस खुदा और देव चित्रगुप्त पर सब कुछ छोड़ दिया है अब अपनी अस्थियों को अश्रु नदी में प्रवाह कर रहा हूँ #book_consideration
Sumit R Das
ये पहली बार है जो मैं मुस्कुरा कर लिख रहा हूँ बहते आँसू को भी अमृत बता कर लिख रहा हूँ जो कल थी मुश्किलें वही सारी अब भी है मगर आज उम्मीद वाला चश्मा लगाकर लिख रहा हूँ झूठ फरेब की ईंटों से बनाया था ताजमहल मैंने उस पर सच का बुल्डोजर चढाकर लिख रहा हूँ एक अजीब डर बैठा था दिल में जमाने के लिए मगर आज उस डर को ही डरा कर लिख रहा हूँ आज के मेरे हालात को कुछ ऎसे समझिये आप दलदल में डूब रहा हूँ और समुद्र पर लिख रहा हूँ #book_consideration
Sumit R Das
जिससे मिलो पूछता है क्या कर रहे हो आज कल कैसे हो यही सवाल कोई नही पूछता है आज कल सभी बस करते है अपने ऎश-ओ-आराम की बातें किसी के पास वक्त नही तेरी सुनने को आज कल एक गाने में सुना था कि जिंदगी इम्तिहान लेती है बस वही एक इम्तिहान दिये जा रहा हूँ आज कल तुम को पता चले तो किसी और को बता मत देना कोई सहानुभूति नही बस शांति चाहिए आज कल अब देखिये क्या लिखा है मेरे हथेली की लकीरों में कुछ बदलेगा भी या लिखता रहूँगा यही आज कल #book_consideration
Sumit R Das
दिल की धड़कन से दरख्वास्त है कि रूक जाओ इस गाड़ी के लिए और पेट्रोल नही है रूक जाओ चला लिया है जैसे तैसे तुम ने उम्मीद के ईंधन से इससे ज्यादा अब झूठ ना बोलो और रूक जाओ अगले मोड़ पर रुक जाउँगा कह के बहुत टाला है अब और आगे ना जाओ ब्रेक लगाओ रूक जाओ समझ रहा हूँ क्या है मन में क्या तुम कहने वाले हो पर इन सबके लिए बहुत देर हो गयी है रूक जाओ कल क्या होगा किसने देखा आज मुझे जी लेने दो अब सब जानने वाले कहने लगे है मुझे रुक जाओ #book_consideration
Sumit R Das
सफलता के रास्ते में आया पत्थर को हटा नही सकता और कैसी चल रही है जिंदगी तुमको बता नही सकता हर पल जिंदगी और मौत के बीच होती है लुका-छिपी पर मैं अपनी मन: स्थिति को चेहरे पर ला नही सकता अब देख सकता हूँ सुन सकता हूँ कल की घटनाएं भी मैं समझ सकता हूँ पर जमाने को समझा नही सकता दिल के कोने से आती है आवाज सब ठीक हो जायेगा पर उस आवाज के सहारे तो जिंदगी बिता नही सकता अब हर मुलाकात पर कहने लगा हूँ मैं अलविदा सबसे कब क्या हो जाये मैं खुले शब्दों में तो बता नही सकता #book_consideration