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Best व्यंगात्मक_कविता Shayari, Status, Quotes, Stories

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Mahima Jain

नमस्कार, जैसा की आप सभी जानते है कि हमारी हिन्दी भाषा का मूल है स्वर और व्यजंन। स्वर और व्यजंन के संगम से बनते है वर्ण और वर्णों के मेल से शब्द बनते है और शब्दों का महत्त्व और उपयोग तो आप सभी जानते है। निम्नलिखित रचना में मैंने चार स्वर- "अ, आ, इ और उ" और कोई एक व्यजंन "च" को लेकर चार पंक्तियां लिखी है। रचना की पंक्ति का प्रथम वर्ण दिये गये हर स्वर और क व्यजंन के मेल से क्रमानुसार है। बहुत बहुत आभार Nidhi Nidhi Bansal बहुत ही अद्भुत प्रतियोगिता है। ❤️ #prantitask1 #merivarnkavita

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•| वर्ण कविता |•

चंचल समझ कर लाए थे, निकली वो चंडाल
चांद सी थी सुंदर, पर नहीं थी ज़रा भी निर्मल
चिल्लाती थी ऐसे, जैसे हो फटे बांस का स्पीकर
चुप हो जाए लगता था, मर गया कोई घर के भीतर।।
 नमस्कार,
जैसा की आप सभी जानते है कि हमारी हिन्दी भाषा का मूल है स्वर और व्यजंन।
स्वर और व्यजंन के संगम से बनते है वर्ण और वर्णों के मेल से शब्द बनते है और शब्दों का महत्त्व और उपयोग तो आप सभी जानते है।
निम्नलिखित रचना में मैंने चार स्वर- "अ, आ, इ और उ" और कोई एक व्यजंन "च" को लेकर चार पंक्तियां लिखी है। रचना की पंक्ति का प्रथम वर्ण दिये गये हर स्वर और क व्यजंन के मेल से क्रमानुसार है।

 बहुत बहुत आभार Nidhi Nidhi Bansal बहुत ही अद्भुत प्रतियोगिता है। ❤️
#prantitask1
#merivarnkavita

Suchita Pandey

// गधा..भ्रष्ट प्रशासन.. //

अतिसचेत  हैं  कान  खड़े  हैं ,
हम  लोगों  से  बहुत  बड़े  हैं !

               अनुशासित हैं, थिंक  टैंक  हैं,
               चिंताओं  से  पूर्ण   ब्लैंक   हैं ।

किसी बात का न कोई असर इन पर ,
सींग  नहीं  हैं  इनके  सर  पर !

               आओ  गर्दभ  के  गुण गायें ,
               गली - गली में माला पहनाएं ।

यह  राजाओं  के  राजा  हैं ,
बजा  रहे  सबका  बाजा  हैं !

               इनकी  जो  आरती  उतारे ,
               वही  करें  सब  वारे  न्यारे ।

- सुचिता पाण्डेय✍


 #व्यंगात्मक_कविता
#भ्रष्टराजनीति
#प्रशासन
#समाज़
#राजनीतिकपाखंड

// गधा..भ्रष्ट प्रशासन.. //

Richa Mishra

तुम अमरोहा की रहने वाली मै अपने परिवार का जान प्रिय ! तुम दो एकड़ मकान में रहने वाली मैं दो कमरे का मालिक हूं ! तुम स्कूटी से चलने वाली मै पैदल सा चलता हूं ! तुम पीती हूं आम्र रस मैं आमबंबईया खाता हूं !

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|| व्यंगात्मक चित्रण ||

° काल्पनिक रूपरेखा °

( पढ़े अनुशीर्षक में )
 तुम अमरोहा की रहने वाली 
मै अपने परिवार का जान प्रिय !
तुम दो एकड़ मकान में रहने वाली 
मैं दो कमरे का मालिक हूं !
तुम स्कूटी से चलने वाली
मै पैदल सा चलता हूं !
तुम पीती हूं आम्र रस
मैं आमबंबईया खाता हूं !

Richa Mishra

तुम अमरोहा की रहने वाली मै अपने परिवार का जान प्रिय ! तुम दो एकड़ मकान में रहने वाली मैं दो कमरे का मालिक हूं ! तुम स्कूटी से चलने वाली मै पैदल सा चलता हूं ! तुम पीती हूं आम्र रस मैं आमबंबईया खाता हूं !

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|| व्यंगात्मक चित्रण ||

° काल्पनिक रूपरेखा °

( पढ़े अनुशीर्षक में )
 तुम अमरोहा की रहने वाली 
मै अपने परिवार का जान प्रिय !
तुम दो एकड़ मकान में रहने वाली 
मैं दो कमरे का मालिक हूं !
तुम स्कूटी से चलने वाली
मै पैदल सा चलता हूं !
तुम पीती हूं आम्र रस
मैं आमबंबईया खाता हूं !

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