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Astro Shashwat sharma
# राहु केतु और शनि से कुंडली में क्या समस्या हो सकती है और राहु केतु और शनि जड़ित समस्याओं का एक साथ निवारण कैसे करें ज्योतिष शास्त्र में राहु, केतु और शनि को पापी ग्रह कहा जाता है, क्योंकि ये हमारी बुद्धि, तर्कशक्ति, ज्ञान और भाग्य को प्रभावित करते हैं। इन ग्रहों के प्रकोप से हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे घटना-दुर्घटनाएं, दुश्मन, बीमारियां, भय, कुविचार, बेईमानी, धोखा, अत्याचार, मद्यपान, संभोग, पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट, गृहकलह, नींद न आना, रात के समय डरना, भूत-प्रेत से संबंधित बातें, अजीब-अजीब सपने देखना, अनाजाने लोगों से लड़ना, धर्म से दूर होना, कर्म, धन, व्यापार, नौकरी, पद, प्रतिष्ठा, शिक्षा, विवाह, संतान, स्वास्थ्य, उम्र, बाल, दांत, हड्डी, कनपटी, भवें आदि की समस्याएं। इन समस्याओं से बचने और इन ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए हमें कुछ उपायों का पालन करना चाहिए, जो हमारे जीवन को सुखी और शांत बनाने में मदद करेंगे। इन उपायों में शामिल हैं: शनि, राहु और केतु ग्रह जातक को अलग-अलग प्रकार से पीड़ित करते हैं। इन ग्रहों के दोषों को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय सुझाए जाते हैं। इनमें से एक उपाय है कि आप अपने आस-पास एक ऐसी जगह देखें जहां पानी में मछलियां हों। अब आप मंगलवार की रात को एक काले कपड़े में 150 ग्राम काले तिल और 150 ग्राम काले उड़द की साबुत दाल को मिलाकर बांधकर रख लें। अब इस काले कपड़े को रात को सोते समय अपने सिरहाने रख कर सोयें। सुबह-सुबह उठकर उस स्थान पर जाएँ जहां आपने मछलियों को देखा है। अब इस कपड़े में से काले तिल और उड़द की दाल को थोड़ा-थोड़ा करके पानी में डाल दें। जैसे ही मछलियों इस सामग्री को खाने लगेंगी समझो आपके दोष निवारण होने लग गया है। इस प्रयोग को आप तीन मंगलवार को करें।¹ इसके अलावा आप इन ग्रहों के मंत्रों का जप भी कर सकते हैं। राहु मंत्र का जप 8 बार किया जाता है।² राहु मंत्र- ।। ह्रीं अर्धकायं महावीर्य चंद्रादित्य विमर्दनम्। सिंहिका गर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।। ।। ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:। ।।ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु प्रचोदयात्।। केतु मंत्र का जप 8 बार किया जाता है।² केतु मंत्र- केतु मंत्र का जप 8 बार किया जाता है। ।।ॐ पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम्।। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम।। ।। ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:। ।।ॐ पद्मपुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात्। आशा करता हूँ कि ये उपाय आपको लाभ पहुंचाएंगे। अगर आपको और कुछ पूछना हो तो मुझसे बात कर सकते हैं। ©Astro Shashwat sharma #शनिवार #राहु #केतु #वैदिक #ज्योतिष
Sangam Ki Sargam
ज़िंदगी को अगर राहु,केतु और शनि का पर्याय कहूँ तो गलत तो नहीं होगा?? #citysunset #ज़िंदगी#राहु#केतु#शनि
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read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
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