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Pnkj Dixit
पंछी 🌷💓 ... दिल का पंछी 💝💝💝💝💝💝💝 मेरे मन की डाली पर दिल का पंछी बैठा है । दिल की बात बता दूं जिसको दिल दे बैठा है । 💓💓💓💓💓💓💓 अंतर्द्वंद चल रहा मन के भीतर क्या सुन पाएगा मन की बात क्या सोच रहा है मेरे बारे में यही सोच रहा दिल का पंछी । 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 खुले गगन में विचरण करता मन चाहे जहां घूमा करता नहीं मोह माया का बंधन वो आजाद गगन चूमा करता । 🎶🎶🎶🎶🎶🎶🎶 ना जताया कभी प्रेम किसी से स्वच्छंद रूप से विचरण करता । विस्तृत प्रकृति के दर्पण में सौंदर्य बोध का दर्शन करता । 🎼🎼🎼🎼🎼🎼🎼 ना जाने कब दिल का पंछी अंखियों की कैद में बंद हो गया । कजरारे अंखियों के भीतर ही जीवन का भेद बंध हो गया । 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 क्या सोचे वह मेरे बारे में दिल का पंछी सोचा करता । मन की डाली पर खाता हिचकोले पल - पल हर पल सोचा करता । 🌅🌅🌅🌅🌅🌅🌅 क्या कहेगा यह सारा जमाना इसकी बिल्कुल फिकर नहीं । दिल का पंछी मन की डाली पर जुदाई की अब फिकर नहीं । 🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄 सोच रहा ,यहीं कहीं होगा मेरा साया जिसको पल - पल हर पल चाहूं मैं । क्या खबर है उसको या है अनजान अहसास का रिश्ता हर हाल निभाऊं मैं । 🌬️🌬️🌬️🌬️🌬️🌬️🌬️ वह भी मुझसे अब दूर नहीं मैं भी उससे अब दूर नहीं । दिल का पंछी मन की डाली पर हम दोनों अब मजबूर नहीं । 🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈 १०/०६/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷💓 ... दिल का पंछी 💝💝💝💝💝💝💝 मेरे मन की डाली पर दिल का पंछी बैठा है । दिल की बात बता दूं जिसको दिल दे बैठा है । 💓💓💓💓💓💓💓 अंतर्द्वंद चल रहा मन के भीतर
🌷💓 ... दिल का पंछी 💝💝💝💝💝💝💝 मेरे मन की डाली पर दिल का पंछी बैठा है । दिल की बात बता दूं जिसको दिल दे बैठा है । 💓💓💓💓💓💓💓 अंतर्द्वंद चल रहा मन के भीतर
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पंछी 🌷💓 ... दिल का पंछी 💝💝💝💝💝💝💝 मेरे मन की डाली पर दिल का पंछी बैठा है । दिल की बात बता दूं जिसको दिल दे बैठा है । 💓💓💓💓💓💓💓 अंतर्द्वंद चल रहा मन के भीतर क्या सुन पाएगा मन की बात क्या सोच रहा है मेरे बारे में यही सोच रहा दिल का पंछी । 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 खुले गगन में विचरण करता मन चाहे जहां घूमा करता नहीं मोह माया का बंधन वो आजाद गगन चूमा करता । 🎶🎶🎶🎶🎶🎶🎶 ना जताया कभी प्रेम किसी से स्वच्छंद रूप से विचरण करता । विस्तृत प्रकृति के दर्पण में सौंदर्य बोध का दर्शन करता । 🎼🎼🎼🎼🎼🎼🎼 ना जाने कब दिल का पंछी अंखियों की कैद में बंद हो गया । कजरारे अंखियों के भीतर ही जीवन का भेद बंध हो गया । 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 क्या सोचे वह मेरे बारे में दिल का पंछी सोचा करता । मन की डाली पर खाता हिचकोले पल - पल हर पल सोचा करता । 🌅🌅🌅🌅🌅🌅🌅 क्या कहेगा यह सारा जमाना इसकी बिल्कुल फिकर नहीं । दिल का पंछी मन की डाली पर जुदाई की अब फिकर नहीं । 🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄 सोच रहा ,यहीं कहीं होगा मेरा साया जिसको पल - पल हर पल चाहूं मैं । क्या खबर है उसको या है अनजान अहसास का रिश्ता हर हाल निभाऊं मैं । 🌬️🌬️🌬️🌬️🌬️🌬️🌬️ वह भी मुझसे अब दूर नहीं मैं भी उससे अब दूर नहीं । दिल का पंछी मन की डाली पर हम दोनों अब मजबूर नहीं । 🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈 १०/०६/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷💓 ... दिल का पंछी 💝💝💝💝💝💝💝 मेरे मन की डाली पर दिल का पंछी बैठा है । दिल की बात बता दूं जिसको दिल दे बैठा है । 💓💓💓💓💓💓💓 अंतर्द्वंद चल रहा मन के भीतर
🌷💓 ... दिल का पंछी 💝💝💝💝💝💝💝 मेरे मन की डाली पर दिल का पंछी बैठा है । दिल की बात बता दूं जिसको दिल दे बैठा है । 💓💓💓💓💓💓💓 अंतर्द्वंद चल रहा मन के भीतर
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🌷लघुकथा 🌷 🌷 मैं प्रेम हूं 🌷 भाग -२ प्रेम और मैं जैसे ही मस्ती में गली के नुक्कड़ से आगे बढ़े तभी नज़र दायीं तरफ के तीसरे घर के बाहर ये बड़ी-बड़ी कजरारी अंखियों वाली सांवली पर पड़ी । जो अंखियों की कोर से बांए हाथ की तर्जनी उंगली पर नीले सितारों वाले दुपट्टे के कोने को दांतों से सिलाई उधेड़ते हुए हमको एकटक देखे जा रही थी । सांवली को देखते ही हमारी चाल मंद । "अरे कलूटी ! काहे ऐसे .... कभी गौर से नहीं देखा का ?" "रोज़ देखती हूं छत से मेरी जान , इस चिलचिलाती धूप में .. (सांवली अकड़ कर मस्ती भरे अंदाज में धनुषी भौंहों को ऊपर करते हुए ) .... धूप में जलती नही हो का ? ऊं ,, हाय ! तेरा ये अक्खड़पन बहुत प्यारा लागे है मुझे.... ओर सुन बुद्धू ! तेरे परेम में तो ये चिलचिलाती धूप भी चांदनी लागे है मुझे .. का समझे ( ओर पलक झपकने से पहले ही आंख मार दी ।) ... "ओ तेरी " ( मैं प्रेम को खींचते हुए सरपट दौड़ा , और प्रेम है कि पीछे मुड़कर देखता ही जा रहा है सांवली को ) ३०/०५/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷लघुकथा 🌷 🌷 मैं प्रेम हूं 🌷 भाग -२ प्रेम और मैं जैसे ही मस्ती में गली के नुक्कड़ से आगे बढ़े तभी नज़र दायीं तरफ के तीसरे घर के बाहर ये बड़ी-बड़ी कजरारी अंखियों वाली सांवली पर पड़ी । जो अंखियों की कोर से बांए हाथ की तर्जनी उंगली पर नीले सितारों वाले दुपट्टे के कोने को दांतों से सिलाई उधेड़ते हुए हमको एकटक देखे जा रही थी । सांवली को देखते ही हमारी चाल मंद । "अरे कलूटी ! काहे ऐसे .... कभी गौर से नहीं देखा का ?"
🌷लघुकथा 🌷 🌷 मैं प्रेम हूं 🌷 भाग -२ प्रेम और मैं जैसे ही मस्ती में गली के नुक्कड़ से आगे बढ़े तभी नज़र दायीं तरफ के तीसरे घर के बाहर ये बड़ी-बड़ी कजरारी अंखियों वाली सांवली पर पड़ी । जो अंखियों की कोर से बांए हाथ की तर्जनी उंगली पर नीले सितारों वाले दुपट्टे के कोने को दांतों से सिलाई उधेड़ते हुए हमको एकटक देखे जा रही थी । सांवली को देखते ही हमारी चाल मंद । "अरे कलूटी ! काहे ऐसे .... कभी गौर से नहीं देखा का ?"
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हम क्या करे ?? "करे तो हम क्या करे, उनकी आदाओं ने जो हमे मारा है। आरे उल्फत में है हम पड़े, उनकी अंखियों ने जो हमे निहारा है।।" #आदाओं #उल्फत #प्यार #निहारा #अंखियों #aapkejazbaat #bajrangbhagat #bajrangautam
हम क्या करे ?? "करे तो हम क्या करे, उनकी आदाओं ने जो हमे मारा है। आरे उल्फत में है हम पड़े, उनकी अंखियों ने जो हमे निहारा है।।" #आदाओं #उल्फत #प्यार #निहारा #अंखियों #aapkejazbaat #bajrangbhagat #bajrangautam
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