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Soulmate (Yuhee)
दिल के जज़्बात दम तोड़ने लगे दिल की बातें कहने में "यूंही" संकोच करने लगे अपनेपन का एहसास खोने लगे खामोशियां घर करने लगे रिश्तों में दूरियां आने लगे खुद की संगत भाने लगे चिन्तन करने का वक्त आने लगे अपने लिए जीना शुरू कर दीजिए - yuhee शुभरात्रि लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳
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read moreR Dubey
बातें हर पल में बिगड़ने लगे वो तुमसे हर बार झगड़ने लगे तो समझ जाना रिश्ता और उनका साथ पूरा हो गया हैं शुभरात्रि लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳
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read moreRajpurohit Gajendra
टांग दो उन्हें तारों पर... शुभरात्रि लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳
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read moreshubham hirode
बिस्तर पर पड़े कंबल की तरह "ज़ब रिश्ते सिकुड़ने लगें"। सपनों में क्या और हकीकत में क्या,ये इतना झूठ क्यों बनने लगें।। सुनो तुम कहो झूठ या सच,ज़ब चाहें,जितना चाहें,उतना कह दो। हैं जो रिश्ता या था जो रिश्ता,पर क्यों था ये रिश्ता,अब कह भी दो।। रुको रुको अब तुम ये क्या सोचने लगें हों,क्या कुछ बीत रही हैं। ज़ब बीतती हैं,तब समझ में आती हैं,क्या अब तुम पर भी बीत रही हैं।। हाँ अब समझ आ रही हैं,सुनो अब तुम ये कैसा वक़्त बिता ने लगें हों। दूजो पर हसने वालो,क्या अब तुम खुद पर भी हसने लगें हों।। हाँ हसीं आती हैं,अब खुद पर भी,खमोश पड़े इन लबों पर भी। दिमागी जोर की बातों के आगे,खुद की भी न चली कैसा हैं ये दिल भी।। शुभरात्रि लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳
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बिस्तर पर पड़े कंबल की तरह "ज़ब रिश्ते सिकुड़ने लगें"। सपनों में क्या और हकीकत में क्या,ये इतना झूठ क्यों बनने लगें।। सुनो तुम कहो झूठ या सच,ज़ब चाहें,जितना चाहें,उतना कह दो। हैं जो रिश्ता या था जो रिश्ता,पर क्यों था ये रिश्ता,अब कह भी दो।। रुको रुको अब तुम ये क्या सोचने लगें हों,क्या कुछ बीत रही हैं। ज़ब बीतती हैं,तब समझ में आती हैं,क्या अब तुम पर भी बीत रही हैं।। हाँ अब समझ आ रही हैं,सुनो अब तुम ये कैसा वक़्त बिता ने लगें हों। दूजो पर हसने वालो,क्या अब तुम खुद पर भी हसने लगें हों।। हाँ हसीं आती हैं,अब खुद पर भी,खमोश पड़े इन लबों पर भी। दिमागी जोर की बातों के आगे,खुद की भी न चली कैसा हैं ये दिल भी।। शुभरात्रि लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳
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