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Best विचलित_मन Shayari, Status, Quotes, Stories

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पूर्वार्थ

विचलित मत हो जाना रे मन,
धर धीरज धरती बन जाओ।
प्रेम प्रीत के गीतों को लिख
गीता के भी गीत सुनाओ।

माटी के दीपक हो माना,
अंधकार ने हठ है ठाना।
कर दैदीप्य वर्तिका प्रण की,
अंतर्मन के दीप जलाओ।

अंगारों से पथ हैं जलते,
मानव को मानव हैं छलते।
पीकर विष सम विश्व सिंधु को,
होठों पर मुस्कान सजाओ।

छाए हैं नभ में मिथ्या घन,
प्रज्ञा चक्षु खोल सूरज बन।
भ्रांति तिमिस्ना को पिघलाकर,
अमृत ज्ञान बिंदु बरसाओ।

©पूर्वार्थ #विचलित_मन

Shweta Gupta

All of a sudden I feel like I have stopped writing... No thoughts , no mood to write... One I have written above seems weird... I used to write daily and now after months I have written this :( #विचलित_मन #quoteliners life #QSstitchonpic1142 #yqbaba #quotestitchers #yqquotestitchers #YourQuoteAndMine Collaborating with Quote Stitchers

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'चित विचलित'
छंद, छंद मैं द्वंद लिखू,
श्वास, श्वास में तथ्य।

चित अब विचलित है,
न द्वंद माने न ही तथ्य।

अश्रु लिखू तो दुःख बढ़े,
अब न खुशी लिखू न वैराग्य।

चित अब विचलित है,
न अश्रु समझे न भाग्य।

पल पल में मैं प्रसंग लिखूं,
न झूठ समझे न सत्य।

चित कुछ विचलित है,
न क्रोध समझे न हास्य। All of a sudden I feel like I have stopped writing... No thoughts , no mood to write... One I have written above seems weird... I used to write daily and now after months I have written this :(
#विचलित_मन #quoteliners #life #QSstitchonpic1142
#yqbaba #quotestitchers #yqquotestitchers #YourQuoteAndMine
Collaborating with Quote Stitchers

Arpit Singh

भावनाओं के बीच होती
निष्कर्षविहीन भित्ति 
न जाने भुरुह को कब
क्यूँ और कैसे भूमिहीन
कर देती है
 
औ'
कल्पित मंदहास्य
से विवेचित होकर मरदुम
समस्त बंधनों से स्वमुक्ति पाकर
विहग के जैसे बहुतेरे उद्देश्यों
को अपने कंधों पे लिए
उड़ चलते हैं गगन में

फलतः
तथाकथित मौसमीय कुसुम की
खूबसूरत पंखुरियाँ
अपने माधुर्य के दंभ में
उस मरदुम की भर्त्सना करती रहती है
उसी भूमिहीन भुरुह की भाँति
जिसका कोई शिला नहीं होता है
औ'
छेड़ देती है एक कृत्रिम संग्राम...  
#विचलित_मन 
#कविता #कल्पना
#yqbaba#yqdidi#yqhindi

#mothertongue_verse

Arpit Singh

उर में दबी हुई टेक आज मुझे
अपने में ही सारगर्भित होना
कहके नजरें फेर लेने जैसी अमंद
प्रयास कर रही है 

गरल तरंग की चाल में
चलते हुए मेरे मन की धाराएँ
उदधि की माप से परे
तुम्हारे उदित स्वप्न
और सारे सुम मणि
जो उस छद की भित्ती भाँति
मुझे कचोटती है एवं
जिसमें क्षेम की अत्यन्ति  हुई हो

मेरे लिए अज्ञेय है
तुम्हारी छपछपाती पलकें
जो भींगी हो नयनों के सलिल से
और
वो स्याही जिससे तुमने
मेरी नादानियों को पन्नों पे उकेरा है
सहसा ही तुम्हारे कलम की निब  
विकीर्ण भी हो जाती होगी मेरे नाम पे...  #विचलित_मन 
#कविता #कल्पना
#yqbaba#yqdidi 

#mothertongue_verse

Arpit Singh

ढलती शाम
उदासीन पंछियां
रूठे हुए पेड़
छिपता चाँद
बादलों की घेराबंदी
स्थिर नदियाँ
अधखिले फूल
अलसायी भोर
तपन से इठलाता
मुस्काता अरुण
शातिर हवाएँ
दंभ से अपने 
कर विचलित हर शरीर

फिर भी तुम्हारे प्रेम
को पाने की चाह में
उत्सुकता को छोड़
कोसों दूर
तुमसे उसी मरैया पे
मिलने को आतुर है मेरा मन
जहाँ हमदोनो के अलावा
कोई न हो,शून्य भी नहीं #विचलित_मन 
#प्रेम
#कविता
#yqhindi 
#yqbaba
#yqdidi  

#mothertongue_verse

Arpit Singh

हँसते रहे
वो सितारे
शशि को साथ लेके
पल्लवित मंजर
और शीतल हवाएँ
अकेले पड़ गए हैं
इन वीरान जग में
न कोई जुगनू
न कोई तीतर
पखेरू की कलकल
भी है नदारद
छुपी हुई चाँदनी
प्रथम मेघ की बाट जोहे
है अंधकार में मगन

कि अब खुले नभ में
विचरण करना
भी एक जादुई किस्सा हो गया है 🐉🐊🐢
#Nature
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#विचलित_मन
#yqhindi

#mothertongue_verse

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