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Krish Vj
❤️ तृतीय रचना :- पिता (कविता अनुप्रास अलंकार) ❤️ पावन, प्रखर प्रेम निखर आता, पिता प्रीत से अंक जब भरता सिखाता सीख सत्य की, वो जीवन जीने की रीत मन में भरता अंगुली उनकी अगन लगा बैठी, मंज़िल को राहों से मिला बैठी कानन कठिन जीवन पथ का, पिता प्रदर्शक बन संग है चलता ह्रदय हर्षित, प्रेम अपार, मुख मंडल फिर भी सामान्य रहता कठिन कांटों से भरी राहों में, पथ प्रदर्शक जीवन धन्य करता भावो को ह्रदय भाग बनाकर, मुख मोहक मुस्कान सजाकर कौन, किसे क्या देता? मेहनत, मोह, तयाग वो खुशी भर देता कांटे चुनना या फूल, तुम अपने कोमल कलेवर को बचाकर रक्त रंजीत धरा ना हो भान रहें , कर्म कर "सत्य" तू जानकर भीरु भय से भाग कर तुम, लज्जित मातृ-भूमि को ना करना भाग जाए जो जीवन पथ से, कायर बन कभी मौत ना मरना #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_3 #kkhbd2022
Nitesh Prajapati
"पिता" सारे संसार में पिता का रिश्ता ही सर्वोपरि, क्युकी बच्चों के नाम के पीछे लगता है पिता का ही उपनाम। सहनशक्ति की मुरत एक पिता, घर की खुशियो का सबब एक पिता, बच्चों की तरक्की का खज़ाना एक पिता, सबसे सुहाना किरदार एक पिता। रातों के ख़्वाब की हकीक़त है पिता, दिन का उजाला है पिता, सुहानी शाम का अहसास है पिता, सुबह की पहली किरण है पिता। संस्कार का पाठ सिखाते पिता, दुनियादारी सीखाते पिता, हमारी गलतियों पर डाटते और कमज़ोरी परख के परिपक्व बनाते पिता। घर का मुखिया है पिता, हमारे चहरे की मुस्कान है पिता, संसार का सारा सुख है पिता, जिंदगी के समुद्र में एक पतवार है पिता। हर एक सवाल का ज़वाब है पिता, मानो तो भगवान है पिता, दुनिया का सार है पिता, गीता का ज्ञान है पिता। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-3 #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_3 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़
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शीर्षक:– (पिता) पिता ईश्वर है,पिता ही स्वर्ग,पिता ही धन और माया पिता बिन नही प्रीत,नही प्रेम, नही छत और छाया। चलते गिरते को हिम्मत देता,देता बिन पंखों से उड़ान विपत्ति में साथ,रहें कंधो पर हाथ,साथ रहे तेरा साया दिल में आगाज़ है,कुछ करने की चाह है,मित्र बनकर आया पिता साथ है,किस बात का घात है,है पिता तो सुंदर काया। बच्चों के लिए रखता आस, न दिन देखा न देखी रात करता उनकी हर जिद्द पूरी,न उनका कभी दिल दुखाया। बुढ़ापे में बनो पिता का सहार,जिसने तुम्हें चला सिखाया जिसने की पिता की सेवा,उसने समझों मोक्ष है पाया। पिता का दर्जा सबसे ऊपर,यह विश्व लोक की छाया काशी,मथुरा,वृंदावन घुमा पर ईश्वर पिता में पाया। #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_3 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकागज़
nvn ki dairy
देश भक्ति हाल ए दिल जुबानी। एक बार सोच लेना, उन शहीदों की बलिदानी। जो देश के लिए मिट गए,वो थे सच्चे हिंदुस्तानी। जो आज हर घर में तीज त्योहार की खुशी मना रहा है। उन शहीदों के परिवार का क्या कोई हाल चाल जान रहा है। वक्त के साथ उन शहीदों को क्यूं भुलाया जा रहा है। क्या इस तरह, उनकी शहीदी का कर्ज चुकाया जा रहा है। कितना बड़ा दिल है,उन माताओं का जो अपने बच्चों को देश के लिए दान करती है। ऐसा बेटा मिले, मुझे हर जीवन में, अब वो यही प्रार्थना वो करती है। मरता तो हर इंसान है,मगर उन्होंने शहीदी का झंडा फहराया है। नमन करता हूँ, नतमस्तक होकर,उन शहीदों को, जिन्होंने देश के लिए लहू बहाया है। #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_3 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
Divyanshu Pathak
पिता ------------- सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में कोई आकाश को समेंट पाता है क्या! कोई अवकाश को लपेट पता है क्या! पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है पिता नई पीढ़ी के लिए अवकाश है कौन क्या समझा, मैंने क्या समझाया सब ने समझा अपने अपने हिसाब से सब ने नवाजा अपने अपने खिताब से मैंने इतना समझा पिता रब की छाया है स्वप्नों की रात है और पिता ही प्रकाश है। पिता ------------- सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में कोई आकाश को समेंट पाता है क्या! कोई अवकाश को लपेट पता है क्या! पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है
पिता ------------- सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में कोई आकाश को समेंट पाता है क्या! कोई अवकाश को लपेट पता है क्या! पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है
read moreTarot Card Reader Neha Mathur
शीर्षक:-पिता बेटी को अनमोल अनुपम अतुलनीय उपहार देते हैं पिता पूंजी पूरी जीवन की बिटिया के प्यार में वार देते हैं पिता, पालन पोषण परिवार जनों का संघर्ष कर करते हैं पिता अपरिमित अनुराग संतानों को जीवन भर करते हैं पिता, नैतिकता नीति जीवन के आधार यही पढ़ाते हैं पिता अनुशासन अभिन्न अंग जीवन का सही सिखाते हैं पिता, विकट विषम परिस्थितियों से जीवन भर बचाते हैं पिता नवजीवन नवदृष्टि से अंधेरे में दिपक सा दिखाते हैं पिता, मान मर्यादा प्रतिष्ठा संस्कार धरोहर यही बताते हैं पिता शक्ति शालिनता को संजो संतान हिय में बसाते हैं पिता, प्रगति पथ पर मार्गदर्शन कर उन्नति शिखर पर पहुंचाते हैं पिता ज्ञान ज्योत संतानों में जलाकर जीवन ज्योतिर्मय कर जाते हैं पिता। कोरा काग़ज़ महाप्रतियोगिता तीसरा चरण:- अनुप्रास अलंकार कविता शीर्षक:- पिता #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_3 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ Pic credit:- google images
कोरा काग़ज़ महाप्रतियोगिता तीसरा चरण:- अनुप्रास अलंकार कविता शीर्षक:- पिता #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_3 #KKHBD2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ Pic credit:- google images
read moreDR. SANJU TRIPATHI
'अनुप्रास अलंकार' पिता सदा साथ निभाने वाले सदा संग-संग साथी बन साथ रहते हैं मेरे पिता, मुश्किलों में भी मुझे मजबूत चट्टान सा बनना सिखाते रहते हैं मेरे पिता। हर घड़ी हर पल और हमेशा ही हमारा हमसाया बनकर रहते हैं मेरे पिता, मेरे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को सरल सुमधुर और सरस बनाने वाले हैं मेरे पिता। मेरा मन मुस्कुराता है जब मुख पर मंद मंद मीठी मुस्कान लाते हैं मेरे पिता, जीवन जगमग जगमग जगमगाने लगता है जब पास रहते हैं मेरे, मेरे पिता। हर दु:ख हर दुविधा हर मुश्किल में हर पल हमारा हाथ थामें रहते हैं मेरे पिता, सब कुछ सामान्य दिखाकर स्वयं संकट सहते रहते हैं सदा, ऐसे हैं मेरे पिता। स्नेह की सरिता व स्नेह के सच्चे धागों से परिवार सजाकर रखते हैं मेरे पिता, अपनी खट्टी मीठी बातों से ही बारिश की बूंदों सा प्रेम बरसाते हैं मेरे पिता। निष्कपट, निश्चल, नि:स्वार्थ भाव से अपने सारे ही फर्ज निभाते हैं मेरे पिता, सागर सी गहराई समाहित सानिध्य से जीवन सफल बनाने वाले हैं मेरे पिता। रचना क्रमांक -3 अनुप्रास अलंकार पिता - 15/10/2022 #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_3
रचना क्रमांक -3 अनुप्रास अलंकार पिता - 15/10/2022 #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_3
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मेरे पापा खुशनसीबी मेरी पापा आपके साये तले रही हूँ, आपकी उंगली को पकड़कर कदम दर कदम चली हूँ, देखा मैंने पापा आपको खुशियों की खातिर मेरी अपनी खुशियों की आहूति पल पल आपको देते देखा अच्छी परवरिश की खातिर मेरी आपके संघर्ष पथ से आधार मिला मेरे जीवन को पापा भूल से भूल न पाऊँ, मेरा ख्वाब आपके अधूरे ख्वाब की एक किताब बनाऊँ, अधूरे ख्वाब अधूरे न रह जाये उनको पूरा मैं कर जाऊँ दुनिया में कुछ ऐसा कर जाऊँ रोशन नाम रोशन आपकी दी परवरिश कर जाऊँ देकर उड़ान आपके ख़्वाब से निर्मित ख्वाब के पंखों को कुछ अच्छा कर जाऊँ मैं, वर्णित करके कोरे कोरे कागज पर सुलभ यादें सजाऊँ, तीसरी रचना अनुप्रास अलंकार मेरे पापा पिता कविता #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_3 #KKHBD2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
तीसरी रचना अनुप्रास अलंकार मेरे पापा पिता कविता #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_3 #KKHBD2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
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