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Divya Joshi
Attributions credits video used Tital Blowing Dandelion By video clip: by stockfootage Link to download https://www.videvo.net/author/videvo/ Song tital: churi return
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खिल जाना चाहत तो हर एक की है पर खिल पाए हर कोई ये मुमकिन नहीं! ©Divya Joshi #phool #lekhaniblog #lekhniblogdj #djblogger #eklekhanimeribhi #abhivyaktidj #smallwondersaanvi #divyajoshi #saanvi #writingcommunity
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बेशक खामोशियाँ भी सुनी जा सकती हैं! अगर धागे मज़बूत हों तो। painting credit @art_4sometime ©Divya Joshi बेशक खामोशियाँ भी सुनी जा सकती हैं! अगर धागे मज़बूत हों। रिश्तों में संवेदनाएं और अपनापन हो तो बिन लफ़्ज़ों के भी ये नाज़ुक धागे जुड़े रहते हैं। #lekhniblogdj #djblogger #eklekhanimeribhi #abhivyaktidj #smallwondersaanvi#hindiwriting #blogger #Nojoto #nojotohindi ##nojotoofficial B Ravan mansi sahu Priya Gour Manak desai Pushpvritiya
बेशक खामोशियाँ भी सुनी जा सकती हैं! अगर धागे मज़बूत हों। रिश्तों में संवेदनाएं और अपनापन हो तो बिन लफ़्ज़ों के भी ये नाज़ुक धागे जुड़े रहते हैं। #lekhniblogdj #djblogger #eklekhanimeribhi #abhivyaktidj #smallwondersaanvi#hindiwriting #blogger #nojotohindi ##nojotoofficial B Ravan mansi sahu Priya Gour Manak desai Pushpvritiya
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श्री शिव पंचाक्षर स्त्रोत प्रथम श्लोक अर्थ सहित जैसा कि आप सभी जानते हैं शिव स्मरण का सर्वविदित मंत्र है ॐ नमः शिवाय। वैसे ही शिव पंचाक्षर स्त्रोत अर्थात पांच अक्षरों से मिलकर बना शिव स्त्रोत। अक्षर 'न' 'म' 'शि' 'वा' और 'य' इन पांचों अक्षरों से मिलकर बना पाँच श्लोकी स्त्रोत है शिव पंचाक्षर स्त्रोत। जिसका पहला श्लोक 'न' अक्षर से शुरू होता है और शिवजी के नकार स्वरूप के नमन पर समाप्त होता है। इसी तरह दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवा क्रमशः 'म' 'शि' 'व' और 'य' अक्षरों से शुरू होता है। और इन्हीं अक्षरो
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कभी तो होगी इस दर्द से भी आख़री मुलाकात, कर रही हूँ रोज न चाहते हुए भी इससे बात। ज़िन्दगी का फलसफ़ा और ये मेरे जज़्बात, तकते हैं राह!! कब आएगी उस आखरी मुलाकात की रात!! ©®divyajoshi स्वरचित मौलिक
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ऐसे न बरसो सावन कि किसी की रोटी छिन जाए। बरसो तो ऐसे कि प्यास भी बुझ जाए, और कोई भूखा न सोने पाए। ऐसे न बरसो सावन कि किसी का आशियाना उजड़ जाए, बरसो तो यूँ कि छत पर गिरी बूंदों का
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नदिया किनारे: जीवनशाला हाँ!!! मैं भी बैठना चाहती हूँ नदिया किनारे। महसूस करने नदी की गाथा, उसके दुःख, दर्द। उसकी खुशियों उसके संघर्षों को जीने, उससे जीवन सीखने, मैं जरूर बैठूँगी एक दिन नदी किनारे। अस्वच्छ कर दिए गए उस सरित जल को भी यूँ नि:शंक प्रवाहित होते देख, शामिल हो उस प्रवाह गाथा में, निडरता वैसी ही उपजाना चाहती हूं मैं,
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मेरी डायरी से कुछ रद्दी खयाल.. मैंने... ज़िन्दगी में बहुत कुछ खोया!! लेकिन जब जब खोया न... तो नया कुछ पा भी लिया! पर इंतज़ार न किया कभी किसी के आने का जब- जब कोई ज़ख्म मिला न…
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"तंत्र साधना, शव साधना, श्मशान साधना, भैरवी और तारा जैसी सारी साधनाएं जानता हूँ मैं!!! समझा महा मूर्ख!!!! अब मेरी शक्तियों को कम समझने की गलती की तो तुझे खड़ा खड़ा भी भस्म कर सकता हूँ मैं। दुबारा मत पूछना।" भयानक वेशभूषा और शक्ल वाला अघोरी घनी अंधेरी रात में अमर को पकड़ कर श्मशान घाट लेकर जा रहा है। आधी रात में सब सोए हैं, और जाग रहा है तो बस श्मशान। तेज हवाएं चल रही है, पेड़ों के पत्ते कानों में सांय सांय की आवाज़ कर रहे हैं। अजीब से जानवरों की आवाज़ें उन पत्तों की आवाजों के साथ मिलकर उस रात को और डरावना बना रही है। अमर उसके साथ साथ उसके पीछे पीछे चला जा रहा है। श्मशान घाट में जली कुछ चिताओं के अंगारे तक अब तक ठंडे नहीं हुए। अघोरी अमर को एक ऐसी ही चिता के पास ले गया जो कुछ समय पहले जलकर भस्म हो चुकी थी। उसके अंगारे भी अपेक्षाकृत ठंडे हो चुके थे। उसने अमर को वहाँ ले जाकर कुछ मंत्र पढ़ते हुए चिता के बीचों बीच बैठने का इशारा किया।अमर को बीचो-बीच बिठा देने के बाद उसने पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कहा "ओम ह्रीं फट" फिर चारों और घूम कर उसने चारों दिशाओं को कीलित करना शुरू किया। इसके लिए पहले पूर्व में मुँह कर हाथ मे जल ले उसने अपने गुरु का ध्यान किया । फिर पश्चिम में मुंह कर "जय बटुक भैरवाय नमः" कहा। उत्तर में घूमकर हाथ मे जल लेकर "योगिनी नमो नमः" कहा। दक्षिण में घूमकर फिर "ओम फट स्वाहा" कहते हुए वह जोर से चिल्लाया। उसके चिल्लाने के बाद जवाब में कुछ चीखें श्मशान में सुनाई देने लगीं। ©Divya Joshi चलो बाकी बातें कल करेंगे सो भी जाओ तुम्हें जल्दी भी तो उठना है।" कहकर दादी ने तृषा को लाइट ऑफ कर सो जाने को कहा। "तंत्र साधना, शव साधना, श्मशान साधना, भैरवी और तारा जैसी सारी साधनाएं जानता हूँ मैं!!! समझा महा मूर्ख!!!! अब मेरी शक्तियों को कम समझने की गलती की तो तुझे खड़ा खड़ा भी भस्म कर सकता हूँ मैं। दुबारा मत पूछना।" भयानक वेशभूषा और शक्ल वाला अघोरी घनी अंधेरी रात में अमर को पकड़ कर श्मशान घाट लेकर जा रहा है। आधी रात में सब सोए हैं, और जाग रहा है तो बस श्मशान। तेज हवाएं चल रही है, पेड़ों के
चलो बाकी बातें कल करेंगे सो भी जाओ तुम्हें जल्दी भी तो उठना है।" कहकर दादी ने तृषा को लाइट ऑफ कर सो जाने को कहा। "तंत्र साधना, शव साधना, श्मशान साधना, भैरवी और तारा जैसी सारी साधनाएं जानता हूँ मैं!!! समझा महा मूर्ख!!!! अब मेरी शक्तियों को कम समझने की गलती की तो तुझे खड़ा खड़ा भी भस्म कर सकता हूँ मैं। दुबारा मत पूछना।" भयानक वेशभूषा और शक्ल वाला अघोरी घनी अंधेरी रात में अमर को पकड़ कर श्मशान घाट लेकर जा रहा है। आधी रात में सब सोए हैं, और जाग रहा है तो बस श्मशान। तेज हवाएं चल रही है, पेड़ों के
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