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Rakesh frnds4ever

#उम्रभर #अफसोस रहेगा कि #मेरी सादगी #अच्छाइयां ओर मेरा हद से ज्यादा अच्छा होना मेरे लिए कभी भी अच्छा नहीं रहा,,, #क्योंकि

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Rakesh frnds4ever

स:- #क्या करते हो!!??!! मैं:- कुछ नहीं,,,, फिलहाल तो खाली हूं/ #बेरोजगार हूं ((( #दम तोड़ता हूं, हर चीज से मुंह मोड़ता हूं, सर को फोड़ता हूं, चेहरे को नोचता हूं, बालों को खींचता हुं,, पैर पटकता हूं,(( #जी निकलता नहीं #जीवन को #कोसता हूं , #घृणा करता हूं खुद से और संसार के रचियता से,, दिन रात सुबह शाम दोपहर भोर संध्या हर समय हर पल #मरने की कोशिशें चाहतें इच्छाएं दुवाएं करता हूं,,....))) #rakeshyadav @rkysky @rkyskyfrnds4ever @rkysky1625@नोजोटोलाइफ @nojotohindi #lifetragedy लाइफ कोट्स

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Rakesh frnds4ever

#हाल_बेहाल अ:- #क्या हाल है!??!! मैं:- ,,,,,,,,,ठीक,,,, (हाल बेहाल हैं, सवाल ही सवाल है, #जिंदगी भी जी का #जंजाल है,बवाल ही बवाल हैं, शरीर केवल हाड़ मांस का #कंकाल है....) ब:- क्या चल रहा है आज कल!!!??!! मैं:- ,,,,,,,कुछ नहीं,,,,,

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Rakesh frnds4ever

#जिंदगानी_हमारी #कुछ #इसकदर #मेहरबान है हम पर ये #जिंदगानी हमारी कि ये ही बनी हुई है #मौत से भी बड़ी #आफ़त #हमारी #rakeshyadav @rkysky1625 @rky @nojoto #rkyfrnds4ever

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White कुछ इस कदर

 मेहरबान है 

हम पर 

ये जिंदगानी 

हमारी

कि 

ये ही

 बनी हुई है

 मौत से भी

 बड़ी

 आफ़त हमारी

©Rakesh frnds4ever #जिंदगानी_हमारी

#कुछ  #इसकदर  #मेहरबान  है हम पर ये #जिंदगानी  हमारी
कि ये ही बनी हुई है #मौत  से भी बड़ी #आफ़त  #हमारी 

#rakeshyadav @rkysky1625 @rky @nojoto
#rkyfrnds4ever

Rakesh frnds4ever

#काश_किसी_दिन मैं भी #सूरज के मानिंद, दुख दर्दों की गहन अंधकारमय #बदलियों से उग पाऊं/ऊपर उठ पाऊं ,, पीड़ाओं/ व्यथाओं/ #क्रूरताओं/ के अत्यंत विशालकाय #पहाड़ों के बोझ से दबा,,किसी दिन बाहर निकल पाऊं ,, दिल के #उन्मादों मन के #अवसादों चित के शैलाबों से कभी तर पाऊं , उबर पाऊं नहीं तो ,, ये गर्जनायें, ये #शिलाएं , ये #आक्रांताए मुझे काल की गुमनामी में गुम कर डालेंगी #rakeshyadav @rkysky @rkyskyfrnds4ever @rkysky1625

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White काश किसी दिन मैं भी सूरज के मानिंद,

 दुख दर्दों की गहन अंधकारमय बदलियों से उग पाऊं/ऊपर उठ पाऊं ,,

पीड़ाओं/ व्यथाओं/ क्रूरताओं/ के अत्यंत विशालकाय पहाड़ों के बोझ से दबा,,

किसी दिन बाहर निकल पाऊं ,,

दिल के उन्मादों मन के अवसादों चित के शैलाबों से कभी तर पाऊं , 

उबर पाऊं 

नहीं तो ,,

ये गर्जनायें, ये शिलाएं , ये आक्रांताएं मुझे काल की  गुमनामी में गुम कर डालेंगी

©Rakesh frnds4ever #काश_किसी_दिन मैं भी #सूरज के मानिंद, दुख दर्दों की गहन अंधकारमय #बदलियों से उग पाऊं/ऊपर उठ पाऊं ,,
पीड़ाओं/ व्यथाओं/ #क्रूरताओं/ के अत्यंत विशालकाय #पहाड़ों के बोझ से दबा,,किसी दिन बाहर निकल पाऊं ,,
दिल के #उन्मादों मन के #अवसादों  चित के शैलाबों से कभी तर पाऊं , उबर पाऊं 
नहीं तो ,,
ये गर्जनायें, ये #शिलाएं   , ये #आक्रांताए मुझे काल की  गुमनामी में गुम कर डालेंगी 

#rakeshyadav @rkysky @rkyskyfrnds4ever @rkysky1625

Rakesh frnds4ever

#बदहालीमेंजोगुजरीसारीउम्र,, #गुमनामी में जो गुजारी सारी साल.... मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी #खाल , मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे #मेराहाल ..... विडंबना है कि,, दिखावे को तो मैं कोई हिस्सा हूं,पर क्या? कहीं ना कोई, किसी भी चीज का मैं #किस्सा हूं !!! जागे हुए कि तो मुमकिन ही नहीं, कभी सोते हुए भी ना आया है,ना आएगा ,,,,, तुमको कभी भी मेरा #ख्याल ,,,.... जनता हूं ;:!:;,,... तुम्हारे #दिल की, मन की , भीतर की हर बात, हर राज, हरेक सोच विचार,,,

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White बदहाली में जो गुजरी सारी उम्र,, 
गुमनामी में जो गुजारी सारी साल....
मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी खाल,, 
मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे मेरा हाल.....

विडंबना है कि,,

दिखावे को तो मैं कोई हिस्सा हूं,
पर क्या? 
कहीं ना कोई, किसी भी चीज का मैं किस्सा हूं !!!

जागे हुए कि तो मुमकिन ही नहीं, 
कभी सोते हुए भी ना आया है,ना आएगा ,,,,,
तुमको कभी भी मेरा ख्याल,,,....

जनता हूं ;:!:;,,...

तुम्हारे दिल की, मन की , भीतर की
 हर बात, हर राज, हरेक सोच विचार,,,
पर तुम क्या जानो कि,,, 
पागल है, बुद्धू है , मूर्ख है बावला है जो कि मैने,,, 
कभी किया ना कोई सवाल!!!! 

बदहाली की जो तुमने मेरी सारी उम्र,,
घूटन में जो चल रही मेरी सभी साल

देखना कभी मुझमें उमड़ेगा कोई भूकंप
 और अंतर्मन की विवशता और जर्जता की लावा और ज्वाला से धधकेगा, 
कोई भूचाल 
लेकिन बाहर नहीं  अंदर!!!!

©Rakesh frnds4ever #बदहालीमेंजोगुजरीसारीउम्र,, #गुमनामी  में जो गुजारी सारी साल....
मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी #खाल , मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे #मेराहाल .....
विडंबना है कि,,
दिखावे को तो मैं कोई हिस्सा हूं,पर क्या? कहीं ना कोई, किसी भी चीज का मैं #किस्सा  हूं !!!
जागे हुए कि तो मुमकिन ही नहीं, कभी सोते हुए भी ना आया है,ना आएगा ,,,,,
तुमको कभी भी मेरा #ख्याल ,,,....
जनता हूं ;:!:;,,...
तुम्हारे #दिल  की, मन की , भीतर की हर बात, हर राज, हरेक सोच विचार,,,

Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं,,,, मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, खिलौनों - झूलों में कहीं #खलती रही है सदा #मुझको किसी #अपने की #कमी

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White क्या मैं हूं कहीं
     या मैं हूं ही नहीं,,,,

मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, 
खिलौनों - झूलों में कहीं 
खलती रही है सदा मुझको किसी अपने की कमी 

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं 

खेतों और खलिहानों में 
काम से थके हारे टूटते बदन की बहती पसीने की नमी में कही,, 
पिया है हरदम आसुओं का घूट ही,,,,

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं,...

............. 2..........

©Rakesh frnds4ever  #क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं 

क्या मैं हूं कहीं
     या मैं हूं ही नहीं,,,,

मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, 
खिलौनों - झूलों में कहीं 
#खलती  रही है सदा #मुझको  किसी #अपने  की #कमी

Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में #चीखें मेरी #दबी पड़ी तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,, क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं

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White क्या मैं हूं कहीं,
या मैं हूं ही नहीं 

तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में,  किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी
तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,,

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं 

दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, 
शामों के कामों व रात भर के  
दिल,मन,जज्बातों के मरे 
खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की ,
 तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे 
टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी
क्या मैं हूं कहीं,,
या मैं हूं ही नहीं,,,,
.................१.............

©Rakesh frnds4ever #क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं 

क्या #मैं  हूं कहीं,
या मैं हूं ही नहीं 
तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में,  किसी कोने कचोने में #चीखें  मेरी #दबी  पड़ी
तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,,
क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं

Rakesh frnds4ever

#फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया किसी को, आज उनमें और भी ज्यादा चुभने लगा हूं मैं दिलकादरिया♥ का जो पानी सालों से आंखो से बह बह कर सूख चुका, जिसकी #तलहटी को खुंद खूंद कर उसकी #परतों से खून तक चूस डाला, जो अब #बंजर सुनसान परतों की पपड़ी खाक बन कर उड़ती है तो

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White बरसों से खटकता रहा हूं जिन आंखों में,,
अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं 

फूटी आंख ना सुहाया किसी को,
चुभता रहा ना भाया किसी को,
 आज उनमें और भी ज्यादा चुभने लगा हूं मैं 


दिल के दरिया का जो पानी
 सालों से 
आंखो से बह बह कर सूख चुका,
 जिसकी तलहटी को खुंद खूंद कर
 उसकी परतों से खून तक चूस डाला, 

जो अब बंजर सुनसान परतों की पपड़ी
 खाक बन कर उड़ती है तो 

उस धूल से उनकी आंखों में जो हल्की सी परेशानी है ,, 
वैसा एक कचरा/ तिनका बना हुआ हूं मैं ,,....

©Rakesh frnds4ever #फूटिआंखनसुहायकिसिको

#बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,,
अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं 
फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया किसी को,
 आज उनमें और भी ज्यादा चुभने लगा हूं मैं 
#दिलकादरिया♥  का जो पानी सालों से आंखो से बह बह कर सूख चुका, जिसकी #तलहटी  को खुंद खूंद कर उसकी #परतों  से खून तक चूस डाला, 
जो अब #बंजर सुनसान परतों की पपड़ी खाक बन कर उड़ती है तो

Rakesh frnds4ever

#जिंदगी_की_बारिशें #कहर #बरस रहा है जीवन में ज़हर उतर रहा है नशों में #टपक रहा है #जमीं पर बदन से ये खून सारा #झर रहा है प्राणों का तारा जर चुका है आत्मा का पिटारा गिर चुका है खड्डे में बदन से #दिल का पारा ,,,,,,

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