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Shishpal Chauhan

Tarun Rastogi kalamkar

Vandana

मृत्यु है समर्पण,,अहंकार है जिंदा रहने में राख है जीवन,,खाक है इच्छाएं प्रार्थनाएं है मंत्रों की,,,समर्पण है भाव भटकता है प्रतिपल मन ठहर जाता कुछ पल जीवन शाश्वत सत्य है परमपिता परमेश्वर जो है सृष्टि के कण-कण में जो है इस तन में मन में संपूर्ण जगत में🙏💐

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खुद को जिंदा दिखाने के लिए
सौ जतन करता मानुस
कहीं तस्वीर कहीं तकदीर हर वक्त बेचैन सा
आकांक्षाएं अभिलाषाएं है बेपनाह
भटकता पल पल बेवजह 
खुद को बदलता रहता प्रतिपल मृत्यु है समर्पण,,अहंकार है जिंदा रहने में
राख है जीवन,,खाक है इच्छाएं
प्रार्थनाएं है मंत्रों की,,,समर्पण है भाव
भटकता है प्रतिपल मन
ठहर जाता कुछ पल जीवन
शाश्वत सत्य है परमपिता परमेश्वर
जो है सृष्टि के कण-कण में
जो है इस तन में मन में संपूर्ण जगत में🙏💐

Vandana

इकतारा बजाता हुआ एक बाबा आया गली में उसके हृदय से निकलते अंतरात्मा से रस में डूबे ईश्वर को समर्पित हो रहे उसके प्रेम भरे गीत,,,, किस तरह उसकी वाणी से निकलती पवित्र ध्वनि कानों में पहुंचकर रस घोल रही थी,,, आकर्षित करती थी उस तक जाने को,,,,,

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🙏🌹 इकतारा बजाता हुआ एक बाबा आया गली में
उसके हृदय से निकलते अंतरात्मा से रस में डूबे
ईश्वर को समर्पित हो रहे उसके प्रेम भरे गीत,,,,

किस तरह उसकी वाणी से निकलती पवित्र ध्वनि
कानों में पहुंचकर रस घोल रही थी,,,
आकर्षित करती थी उस तक जाने को,,,,,

Vandana

वो निराकार है उसे आकार में क्यों कैद करू वह कण-कण में वो क्षण क्षण में वो भीतर वो बाहर,, छिपा ना उससे कुछ भी वह आकाश है वो शुन्य है वो तलाश है वो प्यास है,,, वो देह हैं वो इंद्रियां है वह मन है वह चित्त है, वो अनंत है वह निराकार है वह भाव है वह स्वभाव है,,

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वो निराकार है उसे आकार में क्यों कैद करू
वह कण-कण में वो क्षण क्षण में वो ही भीतर वो ही बाहर,,— % &— % & वो निराकार है उसे आकार में क्यों कैद करू
वह कण-कण में वो क्षण क्षण में वो भीतर वो बाहर,,

छिपा ना उससे कुछ भी वह आकाश है
वो शुन्य है वो तलाश है वो प्यास है,,,

वो देह हैं वो इंद्रियां है वह मन है वह चित्त है,
वो अनंत है वह निराकार है वह भाव है वह स्वभाव है,,

Vandana

प्रातः काल की बेला में छत में अकेले में,, हाथ में चाय का गिलास,, स्वच्छ ताजगी विचारों का मस्तिष्क में संचार अद्भुत अनुपम आनंदमयी हृदय से ओतप्रोत होकर रच दिए कुछ पंक्तियों का संसार,,,,

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कौन सी चीज है जो चरम एहसासों से
भर देती है,,,
जो मुफ्त में मिलती है जिसके लिए कदम 
उद्विग्न होते सहसा उस तरफ चल पड़ते हैं,,,

वह है भोर की बेला पंछियों का मेला
रक्तिम सूरज की लाली शीतल पड़ा
एक और चांद,,,

हर तरफ उत्साह आनंद की तरंग
पंचतत्व से बने इस तन में भी
उभरती है उमंग,,,

प्रातः काल की अनुपम भावपूर्ण
अविस्मरणीय सादगी ताजगी
प्रेम उतरता सृष्टि के कण-कण में,,,

यही तो है असली सत्य
अविश्वसनीय प्रसंता का गूढ़ रहस्य,,, प्रातः काल की बेला में छत में अकेले में,,
हाथ में चाय का गिलास,,
स्वच्छ ताजगी विचारों का मस्तिष्क में संचार
अद्भुत अनुपम आनंदमयी हृदय से ओतप्रोत होकर 
रच दिए कुछ पंक्तियों का संसार,,,,

Vandana

जो साक्षात घटा था वह इतिहास नहीं जो दिखाया गया है वह इतिहास है जो कुछ पन्नों में कैद हुआ स्मृतियों में छाप बन के रह गया हर चीज को प्रस्तुत किया बढ़ा चढ़ाकर,,सत्यता से दूर,,

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जाने कितनी श्रेष्ठतम चीजें काल के गर्द में समा गई,,,,
और कुछ चुनिंदा चीजें रह गई इतिहास के पन्नों में,,,, जो साक्षात घटा था वह इतिहास नहीं
जो दिखाया गया है वह इतिहास है

जो कुछ पन्नों में कैद हुआ
स्मृतियों में छाप बन के रह गया

हर चीज को प्रस्तुत किया बढ़ा चढ़ाकर,,सत्यता से दूर,,

Vandana

आज वह खिल खिलाकर गमले में जी रहा है शान से और दे रहा है ढेरों आशीर्वाद मुझे,,, उसकी नरम हरी पत्तियां,,, सहला रही है मुझे प्यार से,,, भर रही है सकारात्मक ऊर्जा से मेरे घर को,,,, जीवन बिखरा है यहीं कहीं पर,,, कहीं पर पीपल के बीजों से उगता पौधा देखती हूं,,,

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रास्ते का छोटा नन्ना सा तुलसी का पौधा
मुस्कुरा के उसने मुझे पास बुलाया,,,

मेरे कोमल हाथों ने उसे सड़क से उठाकर 
प्यारे से गमले में लगाया,,, आज वह खिल खिलाकर गमले में जी रहा है शान से 
और दे रहा है ढेरों आशीर्वाद मुझे,,,
उसकी नरम हरी पत्तियां,,, सहला रही है मुझे प्यार से,,,
भर रही है सकारात्मक ऊर्जा से मेरे घर को,,,,

जीवन बिखरा है यहीं कहीं पर,,,

कहीं पर पीपल के बीजों से उगता पौधा देखती हूं,,,

Nammy S

जब हर तरफ अंधकार हो
खोये सब विचार हो
बंद हर द्वार हो
सिर्फ तुम ही मेरे सार हो।

मन विध्वंसक का अंबार हो
हर ओर अविश्वास अपार हो
टूटे रास्ते गड्ढे अपार हो
सिर्फ तुम ही मेरे सार हो।

अब आ जाओ जो मेरे हो
सिर्फ तुम ही मेरे संसार हो
दिल मे बेशुमार हो
बस तुम ही मेरे सार हो। #राम #गुरु #आस्था #विश्वास #कृपा #दया #nammy27 #ईश्वर_सत्य_है

kavi manish mann

चं
चल
मन पर 
काबू पाऊंँ
विनती यही
करूंँ मैं भगवन। #पिरामिड #मौर्यवंशी_मनीष_मन  #ईश्वर #ईश्वर_सत्य_है
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