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Rupesh
White चाँद भी घटाओ की आड़ में लुका छिपा खेल खेलता है चांदनी को भी परेशा करता है मत कर इतना परेशा चांदनी से ही है तेरी पहचान सदा चांदनी जो रूठी धूल में मिल जाएगी तेरी पहचा ©Rupesh #चाँद_इश्क़
अबोध_मन//फरीदा
मैं नज़्म कोई सुना रहा था वो बज़्म में मुस्कुरा रहा था। मैं लफ़्ज़ ’अदा’ कर रहा था वो ‘अदा’ से मायने बता रहा था। कंगन को हाथों में घुमाता जाने क्या वो कहना चाह रहा था। झुमको ने गालों को था चूमा, कैसे कैसे मुझे वो बहका रहा था। ख़्याल पढ़ते भी ख़्याल रुसवा, वो इश्क़ से मुझे भरमा रहा था। ... ©अबोध_मन//फरीदा #फ़क़तफरीदा #अबोध_मन #अबोध_ग़ज़ल #चाँद_इश्क़ #she_fireflies_moon_herlove
अबोध_मन//फरीदा
ये शाम ख़्वाब सी, ख्याल तेरे हमनवाँ, धनक के रंग पहने खिल रहा ये आसमाँ। सभी फिराक में हैं अपनी वापसी को, जो गए भटक उनका कहाँ कोई ख़ैर-ख्वाँ। उसे आना ही नहीं, उम्मीद ला-हासिल, गुज़र चुका इसी राह से कारवाँ-दर-कारवाँ। इश्क़ खुश्बू है जो महके इस करीने से, पाक हो जाती हवा गुज़रे जो छूकर अर्ग़वाँ। शाम की दहलीज़ पर ज़र-फ़िशाँ यादें हैं, इक चाँद रोएगा चाँद देख, हर सूं आब-ए-रवाँ। “मदीहा” ग़ज़लों में लज़्ज़त तो होगी ही, कि उनमें ज़िक्र उसका आ ही जाता जहाँ-तहाँ। –अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन ख़्वाब सी, ख्याल तेरे हमनवाँ, धनक के रंग पहने खिल रहा ये आसमाँ। सभी फिराक में है अपनी वापसी को, जो गए भटक उनका कहाँ कोई ख़ैर-ख्वाँ। उसे आना ही नहीं, उम्मीद ला-हासिल, गुज़र चुका इसी राह से कारवाँ-दर-कारवाँ।
ख़्वाब सी, ख्याल तेरे हमनवाँ, धनक के रंग पहने खिल रहा ये आसमाँ। सभी फिराक में है अपनी वापसी को, जो गए भटक उनका कहाँ कोई ख़ैर-ख्वाँ। उसे आना ही नहीं, उम्मीद ला-हासिल, गुज़र चुका इसी राह से कारवाँ-दर-कारवाँ।
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अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको पिय मनभावन। ... जरै साखियाँ, सोलह चन्द्रकलाएँ, चन्द्रमा की, मोरे पिय की हैं बावन। ... अबोध_मन//”फरीदा” . ©अवरुद्ध मन अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको
अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको
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तू आ लिपटना मुझसे किसी शाम की तरह। नगमा गुनगुनाना, अपने नाम की तरह। ख़्वाब तुम सजाना, हँसी चाँद की तरह। रश्क करे शहर भी, ठहर ख़य्याम की तरह। ‘फ़क़त’ उसके रहना, हाँ! गुलफ़ाम की तरह। ... अबोध_मन/’फरीदा’ ©अवरुद्ध मन तू आ लिपटना मुझसे किसी शाम की तरह। नगमा गुनगुनाना, अपने नाम की तरह। ख़्वाब तुम सजाना, हँसी चाँद की तरह।
तू आ लिपटना मुझसे किसी शाम की तरह। नगमा गुनगुनाना, अपने नाम की तरह। ख़्वाब तुम सजाना, हँसी चाँद की तरह।
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सुनो, कदम दर कदम कुछ दूर तो मेरे साथ चलो.. मैं यूँ भी अकेला ही आया था कि फिर तेरे बाद भी अकेला ही चला जाऊँगा। ... अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन #चाँद_इश्क़ सुनो, कदम दर कदम कुछ दूर तो मेरे साथ चलो.. मैं यूँ भी अकेला ही
#चाँद_इश्क़ सुनो, कदम दर कदम कुछ दूर तो मेरे साथ चलो.. मैं यूँ भी अकेला ही
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’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’ वही कहलाया। ... अबोध_मन//‘फरीदा’ . ©अवरुद्ध मन ’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’
’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’
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कदमों की आहट मेरे दिल पे दस्तक कि रूठना उनका मुझ पर क़यामत ज़िंदगी वो मेरी हर अदा में मोहब्बत। ... अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन #pyaar कदमों की आहट... मेरे दिल पे दस्तक, कि रूठना उनका...मुझ पर क़यामत, ज़िंदगी वो मेरी... हर अदा में मोहब्बत। ©फ़क़तफरीदा ✍🏽 #अबोध_मन #अबोध_poetry #she_fireflies_moon_herlove #चाँद_इश्क़ #प्रेम_बावरी #मेरे_तुम
#pyaar कदमों की आहट... मेरे दिल पे दस्तक, कि रूठना उनका...मुझ पर क़यामत, ज़िंदगी वो मेरी... हर अदा में मोहब्बत। ©फ़क़तफरीदा ✍🏽 #अबोध_मन #अबोध_poetry #she_fireflies_moon_herlove #चाँद_इश्क़ #प्रेम_बावरी #मेरे_तुम
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