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अबोध_मन//फरीदा
मैं नज़्म कोई सुना रहा था वो बज़्म में मुस्कुरा रहा था। मैं लफ़्ज़ ’अदा’ कर रहा था वो ‘अदा’ से मायने बता रहा था। कंगन को हाथों में घुमाता जाने क्या वो कहना चाह रहा था। झुमको ने गालों को था चूमा, कैसे कैसे मुझे वो बहका रहा था। ख़्याल पढ़ते भी ख़्याल रुसवा, वो इश्क़ से मुझे भरमा रहा था। ... ©अबोध_मन//फरीदा #फ़क़तफरीदा #अबोध_मन #अबोध_ग़ज़ल #चाँद_इश्क़ #she_fireflies_moon_herlove
अबोध_मन//फरीदा
ये शाम ख़्वाब सी, ख्याल तेरे हमनवाँ, धनक के रंग पहने खिल रहा ये आसमाँ। सभी फिराक में हैं अपनी वापसी को, जो गए भटक उनका कहाँ कोई ख़ैर-ख्वाँ। उसे आना ही नहीं, उम्मीद ला-हासिल, गुज़र चुका इसी राह से कारवाँ-दर-कारवाँ। इश्क़ खुश्बू है जो महके इस करीने से, पाक हो जाती हवा गुज़रे जो छूकर अर्ग़वाँ। शाम की दहलीज़ पर ज़र-फ़िशाँ यादें हैं, इक चाँद रोएगा चाँद देख, हर सूं आब-ए-रवाँ। “मदीहा” ग़ज़लों में लज़्ज़त तो होगी ही, कि उनमें ज़िक्र उसका आ ही जाता जहाँ-तहाँ। –अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन ख़्वाब सी, ख्याल तेरे हमनवाँ, धनक के रंग पहने खिल रहा ये आसमाँ। सभी फिराक में है अपनी वापसी को, जो गए भटक उनका कहाँ कोई ख़ैर-ख्वाँ। उसे आना ही नहीं, उम्मीद ला-हासिल, गुज़र चुका इसी राह से कारवाँ-दर-कारवाँ।
ख़्वाब सी, ख्याल तेरे हमनवाँ, धनक के रंग पहने खिल रहा ये आसमाँ। सभी फिराक में है अपनी वापसी को, जो गए भटक उनका कहाँ कोई ख़ैर-ख्वाँ। उसे आना ही नहीं, उम्मीद ला-हासिल, गुज़र चुका इसी राह से कारवाँ-दर-कारवाँ।
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अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको पिय मनभावन। ... जरै साखियाँ, सोलह चन्द्रकलाएँ, चन्द्रमा की, मोरे पिय की हैं बावन। ... अबोध_मन//”फरीदा” . ©अवरुद्ध मन अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको
अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको
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अन्धेरे में चुभते कुछ नश्तरों को देखने की रब ने आज बीनाई दे दी, हमने भी आज दिल के ज़ख्मों को आँखों के रास्ते से रिहाई दे दी। ... अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन #अबोध_मन #अबोध_poetry अन्धेरे में चुभते कुछ नश्तरों को देखने की रब ने आज बीनाई दे दी, हमने भी आज दिल के ज़ख्मों को आँखों के रास्ते से रिहाई दे दी। ...
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झूठ कहा था ना तुमने कि दूर तलक साथ आओगे। झूठ कहा था ना तुमने मेरी नासमझी को भी समझाओगे। झूठ कहा था ना तुमने कि जब गलत हूँ तो बतलाओगे। झूठ कहा था ना तुमने कि मेरे आँसू देख न पाओगे। झूठ कहा था ना तुमने कि गिरूंगी जो झुक हाथ बढ़ाओगे। अबोध_मन//“फरीदा” ©अवरुद्ध मन झूठ कहा था ना तुमने कि दूर तलक साथ आओगे। झूठ कहा था
झूठ कहा था ना तुमने कि दूर तलक साथ आओगे। झूठ कहा था
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’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’ वही कहलाया। ... अबोध_मन//‘फरीदा’ . ©अवरुद्ध मन ’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’
’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’
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कदमों की आहट मेरे दिल पे दस्तक कि रूठना उनका मुझ पर क़यामत ज़िंदगी वो मेरी हर अदा में मोहब्बत। ... अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन #pyaar कदमों की आहट... मेरे दिल पे दस्तक, कि रूठना उनका...मुझ पर क़यामत, ज़िंदगी वो मेरी... हर अदा में मोहब्बत। ©फ़क़तफरीदा ✍🏽 #अबोध_मन #अबोध_poetry #she_fireflies_moon_herlove #चाँद_इश्क़ #प्रेम_बावरी #मेरे_तुम
#pyaar कदमों की आहट... मेरे दिल पे दस्तक, कि रूठना उनका...मुझ पर क़यामत, ज़िंदगी वो मेरी... हर अदा में मोहब्बत। ©फ़क़तफरीदा ✍🏽 #अबोध_मन #अबोध_poetry #she_fireflies_moon_herlove #चाँद_इश्क़ #प्रेम_बावरी #मेरे_तुम
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सबने समझा कि वो हैं सोयी आँखें न पहचाना कोई कि वो रोयी आँखें। रात का ओस पलकों से समेट कर, क़तरा– क़तरा उसने भिगोयी आँखें। देख उनकी आँखों की अजनबियत, नमक के पानी से उसने धोयी आँखें। देखी थी वो रात गए तक रोयी आँखें कि कई सदियों से हैं न सोयी आँखें। एक उमर बीत गयी उनको बिन देखे, पुराने ख़त सी अबतक संजोयी आँखें। ... अबोध_मन//”फरीदा” . ©अवरुद्ध मन #अबोध_मन सबने समझा कि वो हैं सोयी आँखें न पहचाना कोई कि वो रोयी आँखें। रात का ओस पलकों से समेट कर, क़तरा– क़तरा उसने भिगोयी आँखें। देख उनकी आँखों की अजनबियत,
#अबोध_मन सबने समझा कि वो हैं सोयी आँखें न पहचाना कोई कि वो रोयी आँखें। रात का ओस पलकों से समेट कर, क़तरा– क़तरा उसने भिगोयी आँखें। देख उनकी आँखों की अजनबियत,
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. ©अवरुद्ध मन #अबोध_मन #अबोध_poetry #love #she_fireflies_moon_herlove #प्रियतमा #फ़क़तफरीदा #Aviha
#अबोध_मन #अबोध_poetry love #she_fireflies_moon_herlove #प्रियतमा #फ़क़तफरीदा #Aviha
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प्रकृति भी गुन गुना उठती थी उसकी हंसी की गूँज से.. अब कोई उसे पुकारे भी तो आवाज़ उस तक नहीं जाती! ... अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन प्रकृति भी गुन गुना उठती थी..उसकी हंसी की गूँज से.. अब कोई उसे पुकारे भी तो.. आवाज़ उस तक नहीं जाती! ©फ़क़त_फरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry #she_fireflies_moon_herlove #प्रेम_बावरी #प्रेम_अर्पण
प्रकृति भी गुन गुना उठती थी..उसकी हंसी की गूँज से.. अब कोई उसे पुकारे भी तो.. आवाज़ उस तक नहीं जाती! ©फ़क़त_फरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry #she_fireflies_moon_herlove #प्रेम_बावरी #प्रेम_अर्पण
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