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pankaj suman
हजारों मिन्नतें, सैकड़ों उलाहनाएं, कितनी ही उपेक्षाएं, ढेरों यातनाएं, मनरूद्ध कुंठाएं,रातों में करवटों के ताने और कई पहरों की चिंताएं; इतनी कीमत चुकानी पड़ती हैं एक स्त्री को एक बार “मायके” जाने की। पंकज ’सुमन’ ©pankaj suman #मायका #स्त्री #स्त्रीअस्तित्व #स्त्रीजीवन
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read moreSushma
लाईफ का सबसे सेफेस्ट पलेस होता है घर और मुझे घर जाने का दिल हि नहीं करता Home is not safest and peaceful place for everyone #मायका ©Sushma #oddone लाईफ का सबसे सेफेस्ट पलेस होता है घर और मुझे घर जाने का दिल हि नहीं करता Home is not safest and peaceful place for everyone #मायका
Nikhat khan
अभी तो उठे है, अब भी आँखे भारी है नींद थी सुकून की फिर भी पूरी नहीं हुई है येह मायके की सुकून है जनाब मेरा बचपन लौट आया है ©NIKHAT الفاظ جو دل کو چھو لے #मायका
Nandini Rastogi
मां के सामने ही मायका छूट जाता है। जब भाई भाभी का हो जाता है । जिस अंगना में पलकर बड़ी हुई, :एक पल में नाता उससे टूट जाता है। ©Nandini Rastogi #मायका #मां
Mamta Tripathi
मायके से बिदाई होती है हमेशा दुखदाई ©Mamta Tripathi #Pattiyan #बिदाई #मायका #Mamtatripathi
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read moreMamta Tripathi
हर साल दोहराता है वही दर्द हर बार छूटता घर, आंगन और मां का आंचल पापा का कुछ ना कह कर सब कुछ करना मनपंसद चीजें चुपचाप लाकर रखना मां की डांट और फिकर , बुआ फिर कब आओगी वाला मनुहार सुकून देने वाला मायके का प्यार हर साल वापस जाते हुए रुलाता है और ग्यारह महीने हर रोज याद आता है ©Mamta Tripathi #Pattiyan #मायका #याद #mamtatripathi
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read morePrachi Mishra
जिन्दगी_का रंग कही खो जाता है, जब अपना ही घर #मायका हो जाता है. ©Prachi Mishra #boat
Sarita Shreyasi
(मायका यानि माँ का) भरा-पूरा घर था मेरा, ब्याहते ही माँ का हो गया, जन्मदाता क्या गये, बस मकान हो कर रह गया। #मायका #घर #yqdidi
Shree
बचपन कितना भोला था ना, हर चीज जो परेशान करती उससे भागने की बस हिम्मत लगती थी, बाकी पापा-मम्मी वहीं कहीं खड़े मिल जाते थे। जाने क्या कमाने और बसाने निकलें हैं कि वो पास नहीं है बचाने को, साहस तो देते हैं पर,अब निकालने नहीं आते हैं, कहते जिम्मेदारी उठाओ......! नहीं उठाना, नहीं कमाना, नहीं बसाना, नहीं जुड़ाना, वही खेल, खिलवाड़, परीक्षा, बेहतर थे छत की धूल व धूप, नहीं करता है हमें ये एसी सूट। थक जाता हूं जब भी मैं एक तुझको तरसता मां, हार कर, दुनिया को भूला याद तुम्हारी देहरी, पापा! 🍂 Shree बचपन कितना भोला था ना, हर चीज जो परेशान करती
थक जाता हूं जब भी मैं एक तुझको तरसता मां, हार कर, दुनिया को भूला याद तुम्हारी देहरी, पापा! 🍂 Shree बचपन कितना भोला था ना, हर चीज जो परेशान करती
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