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Prerna Singh

गलत नहीं #असभ्य व्यवहार हैं। अपना जल्दी जल्दी खाकर दुसरे के थाली से #छीन #झपट कर पीठ घुमा कर हंस हंस कर खाना...और कहना #सैक्रीफाइस भी कभी कभी करना चाहिए। जाहीर सी बात हैं। ये #क्रुरता किसी एक के प्रति....

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आर्ट ही तो होता हैं 
 सैकरीफाइस । 
हम अपने गम को मुस्कान में तब्दील कर देते हैं। 
और साने वाले ककको लगता हैं हम हृदयविहिन हैं.....

©Prerna Singh गलत नहीं #असभ्य व्यवहार हैं। अपना जल्दी जल्दी खाकर दुसरे के थाली से #छीन #झपट कर पीठ घुमा कर हंस हंस कर खाना...और कहना #सैक्रीफाइस भी कभी कभी करना चाहिए।
जाहीर सी बात हैं। ये #क्रुरता किसी एक के प्रति....

mukul pal

#Struggle पार्ट 1

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मेरे संघर्ष की कहानी  पार्ट 1
  हर घट, मर्घट
श्वेत रक्त,हर वक़्त
अश्रु धारा से लथपथ
हालात त्रस्त, पीड़ा ग्रस्त

गहरा तल या मरुथल
अपार जल,पर्वत अविचल
विरोधी दल का अखंड बल
घना जंगल या षड्यंत्र कुशल

रुक मत, थक मत
फिर उठ कर शपथ
नई ज्योत, नया व्रत
छीन मत,मत झपट

रुक मत, थक मत
फिर उठ कर शपथ
नई ज्योत, नया व्रत
छीन मत,मत झपट

काल की ढाल में
किस्मत की चाल में
धड़कनो के जंजाल में
अपनो के मोहजाल में #Struggle

पार्ट 1

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 14 – ममता 'मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहि बस कीन्हे जीव निकाया।।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
14 – ममता

'मैं अरु मोर तोर तैं माया।
जेहि बस कीन्हे जीव निकाया।।'

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 39 - आम चूसते आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही। वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये। रात्रि में वृक्

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।।श्री हरिः।।
39 - आम चूसते

आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही।

वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये।

रात्रि में वृक्

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