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Vidhi
किसी के ग़म पे थी किसी की खुशियों की सेज अब तय करे ये दुनिया ही कि किसी की चिता पे किसी का मंडप सजे या किसी के ठंडे आँसुओं से किसी का मन भरे.... #एक #निजी #सवाल #YQdidi #YQbaba
Mohini Shukla
लड़कियां मुफ्त में बदनाम है शक करने के लिए , लड़के तो लड़की के दोस्तों को ही देख के जल भुन जाते हैं😂 #निजी अनुभव दोस्तों के साथ 🙏 ©Mohini Shukla #IFPWriting
Ek villain
वर्ष प्रतिपदा उत्साह कल यानी शनिवार से आरंभ हो चुका है जो वैशाखी संस्कृत तक देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मनाया जाएगा वर्ष प्रतिभा दुनिया की सर्वाधिक पुरातन संस्कृति के जीवन उत्साह यदि हिंदू धर्म और भारती की विशेष पर्दा पहचान है उल्लेख है कि वसंत का आगमन ज्ञान की देवी सरस्वती की उपासना से होता है बसंत का विस्तार फागुन से पूर्णता एवं संस्कृति आकाश से होता है भारतीय उपमहाद्वीप के हर हिस्से में यह उत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाता है वहीं भारत के प्रभाव वाले संपूर्ण दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है कंबोडिया और थाईलैंड में धार्मिक अनुष्ठान से जुड़ी परंपराओं में वर्षा के अभाव में थोड़ा आगे पीछे होता है पाकिस्तान में सिंधी में यह चींटी जिंदा नाम से तो पंजाब में वैशाखी नाम से मनाया जाता है बांग्लादेश के लिए पूरा गोसाईं काटोगान के लिए नूर भेजो कि वही मेहता जो हमारे लिए वर्ष प्रति वर्ष का प्रतिबंध 1 दिन जय दुर्गा उपासना की पूर्णा का है वही है भगवान श्रीराम का जन्म उत्सव भी है ©Ek villain #निजी गौरव का उत्सव #ramadan
Shivshankar Mishra
युग पुरुष महात्मा गांधी चल पड़े जिधर दो डग, मग में चल पड़े कोर्ट पर उसी ओर , पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि,गढ़ गए कोटि द्रग उसी ओर। जिसके सिर पर निजी हाथ धरा,उसके सिर रक्षक कोटि हाथ , जिस पर निजी मस्तक झुका दिया,झुक गए उसी पर कोटि हाथ । हे कोटि चरण है कोटि बाहू हे ,,कोटि रूप है कोटि नाम तुम एक मूर्ति प्रतिमूर्ति कोटि ,हे कोटि मूर्ति तुमको प्रणाम । युग संचालक हैं युगा धार ,युग निर्माता ,युग मूर्ति तुम्हें , युग युग तक युग का नमस्कार ।। #GandhiJi
आयुष पंचोली
क्या हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष क्या हैं- धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष...!! हमारा आध्यात्मिक इतिहास बहुत बड़ा रहा हैं। ना जाने कितनी ही सभ्यताये आई और चली गई, मगर हमारे अस्तित्व को कभी डिगा नही पाई। कितने ही लोगो ने हमारे धार्मिक ग्रंथो से छेड़खानी करकर, कितने ही तथ्यों को बदल दिया। यहां तक की कुछ ऐसी दकियानुसी बातें भी हमारे आराध्य देवताओ के बारे मे फैलायी गई जो किसी भी रूप मे सत्य कभी हो ही नही सकती। खैर जो भी हो जहाँ, आस्था होती हैं, वहाँ तर्क का कोई काम नही रहता । और अगर कोई आपको गलत मानकर ही बैठ जायें कुछ सुनना ही ना चाहे तो
क्या हैं- धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष...!! हमारा आध्यात्मिक इतिहास बहुत बड़ा रहा हैं। ना जाने कितनी ही सभ्यताये आई और चली गई, मगर हमारे अस्तित्व को कभी डिगा नही पाई। कितने ही लोगो ने हमारे धार्मिक ग्रंथो से छेड़खानी करकर, कितने ही तथ्यों को बदल दिया। यहां तक की कुछ ऐसी दकियानुसी बातें भी हमारे आराध्य देवताओ के बारे मे फैलायी गई जो किसी भी रूप मे सत्य कभी हो ही नही सकती। खैर जो भी हो जहाँ, आस्था होती हैं, वहाँ तर्क का कोई काम नही रहता । और अगर कोई आपको गलत मानकर ही बैठ जायें कुछ सुनना ही ना चाहे तो
read moreSushma Malik "अदब"
अक्सर लोग कहते हैं कि जिन्हें हम जवाब नही देते उन्हें वक़्त खुद जवाब देगा!लेकिन ये बात सिर्फ दुनिया वालों पर लागू होती है...निजी रिश्तो पर नही क्योंकि निजी रिश्तों में जब तक तुमउस वक़्त का इंतजार करते हो तब तक वो रिश्ता तहस-नहस हो जाताऔर फिर उसके लिए आपके वक़्त का जवाब कोई मायने नही रखता!! Good Morning सुषमा मलिक "अदब" ✍🏻 #Aksar_Jwab_Personal_Relation #Sushmamalik
Bramhan Ashish Upadhyay
बदनामी की कैसी संध्या भाग्य हमारा लाया है। प्रेम,समर्पण,आज़ादी का हमने कैसा ये फल पाया है।१। जिस माँ ने पाला उसको अपने तन का लहू पिलाकर। आज उसी माँ को बेटी ने अपना दुश्मन बतलाया है।२। जिस भाई ने तेरी ख़ातिर जगभर से रार ठाना था । आज उसी भाई को देखो, कैसे तुमने ही झुठलाया है।३। देखो दौड़ना सीख गई है चलते चलते जाने कब ।
read moreBramhan Ashish Upadhyay
बदनामी की कैसी संध्या भाग्य हमारा लाया है। प्रेम,समर्पण,आज़ादी का हमने कैसा ये फल पाया है।१। जिस माँ ने पाला उसको अपने तन का लहू पिलाकर। आज उसी माँ को बेटी ने अपना दुश्मन बतलाया है।२। जिस भाई ने तेरी ख़ातिर जगभर से रार ठाना था । आज उसी भाई को देखो, कैसे बहन ने ही उसकी झुठलाया है।३। देखो दौड़ना सीख गई है चलते चलते जाने कब ।
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बदनामी की कैसी संध्या भाग्य हमारा लाया है। प्रेम,समर्पण,आज़ादी का हमने कैसा ये फल पाया है।१। जिस माँ ने पाला उसको अपने तन का लहू पिलाकर। आज उसी माँ को बेटी ने अपना दुश्मन बतलाया है।२। जिस भाई ने तेरी ख़ातिर जगभर से रार ठाना था । आज उसी भाई को देखो, कैसे बहन ने ही उसकी झुठलाया है।३। देखो दौड़ना सीख गई है चलते चलते जाने कब ।
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