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Deepa Ruwali
इस ऋतु बसंत की आड़ में अगर तुम चाहो तो इक रोज हम भी मिलेंगे, बसंत के असंख्य कुसुमों के बीच दो फूल हम भी खिलेंगे। ये ऋतुराज स्थिर रहे या ना रहे, हम अपनी वस्ल का ये सिलसिला हर मौसम में भी जारी रखेंगे। तुम अगर चाहो तो, मिलकर कुछ गीत भी प्रेम के गुनगुनाते रहेंगे। जिस तरह आकाश घिर जाता है मेघों की ओट से, हम भी उसी भांति प्रणय से घिर जाएंगे। ताउम्र ये हाथ तुम्हारे हाथों में ही रहे , इसलिए इक रोज इसी प्रणय के साथ, परिणय सूत्र में बंध जाएंगे। तुम अगर चाहो तो, इस ऋतु बसंत की आड़ में इक रोज हम भी मिलेंगे ।। ©D.R. divya (Deepa) #Basant #Love #Life #you #Trending
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक खिल गए पुष्प फिर से बसंत में। सौंधी सी महक फिर से बसंत में। कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई। सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में। ©Dr Nutan Sharma Naval #muktak#basant #nutannaval
Saumitra Tiwari
पलाश के वनों का फूलों से खिल जाना आम के बागों का बौर से लद जाना सरसों का पीलापन और बालियों का मुस्काना इसका मतलब है फिर बसंत का आ जाना ----सौमित्र तिवारी ©Saumitra Tiwari #agni #Nature #Basant
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक खिल गए पुष्प फिर से बसंत में। सौंधी सी महक फिर से बसंत में। कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई। सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला#basant#nutannaval
#मुक्तक_श्रृंखला#Basant#nutannaval
read moreRohit singh
............. ©Rohit singh 'किसी सूखते हुए पेड़ की' आख़िरी....उम्मीद हैं ये बसंत...!! #रोhitsingh #shayari #thoughts #basant #mousam #deepthoughts #2liners #yourquote #Nojoto
'किसी सूखते हुए पेड़ की' आख़िरी....उम्मीद हैं ये बसंत...!! #रोhitsingh shayari thoughts #Basant #Mousam #Deepthoughts #2liners #yourquote
read moreDeepak Sayar
Ye phool bhi yaadon ki ek parchai hein sathi in khilte phoolo ko dekh basant yaad aata he ©Deepak Sayar #Basant
Uma Vaishnav
कलम सदा चलती रहे, झुके नहीं ये शीश हंस वाहिनी माँ हमे, ऐसा दो आशीष। ज्ञान शक्ति बढ़ती रहे, विद्या मिले अपार । लेखक सब आगे बढ़े, हो सपने साकार।। जय माँ विद्या दायनी, पावन तेरा धाम। हम सब बालक आपका,भजते है माँ नाम।। विद्या देना माँ हमे , हम बालक नादान। कृपा दृष्टि रखना सदा, बढ़े सदा ही मान ।। ©Uma Vaishnav #Basant
Kamlesh Kandpal
🔹🔸🔹🔹🔸🔹🔸🛩️🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸 धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी, ये बसंती मौसम में,मचलता है बदन भी। झूमते पेड़,मानो कुछ गा रहे है नाचते हुए, खूब निखरा निखरा सा लगता है, चमन भी। धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी, ये बसंती मौसम में,मचलता है बदन भी। नये निराले परिंदे नजर आते है इस मौसम में, जानवरों के छोटे बच्चों से भर जाता है वन भी। धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी, ये बसंती मौसम में,मचलता है बदन भी। सरसों के पीले फूलों से,ढके खेत खलिहान, उतर आते है धरा में तब, रति और मदन भी। धूप भी है, लेकिन चलती है पवन भी, ये बसंती मौसम में,मचलता है बदन भी। बसंत मास को समर्पित, स्वरचित 🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🛩️🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹 ©Kamlesh Kandpal #Basant