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@thewriterVDS
"कबीर" मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार । फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार । भावार्थ: मालिन को आते देखकर बगीचे की कलियाँ आपस में बातें करती हैं कि आज मालिन ने फूलों को तोड़ लिया और कल हमारी बारी आ जाएगी। भावार्थात आज आप जवान हैं कल आप भी बूढ़े हो जायेंगे और एक दिन मिटटी में मिल जाओगे। आज की कली, कल फूल बनेगी। . ©@thewriterVDS #मालिन #देख #के #कहे #पुकार #फूल #कलि #चुन #Wochaand
अमित चौबे AnMoL
#कली किसी फूल की हो या हो किसी पिता के आंगन के कमबख्त #कलियुग दोनो को डरा रहा हैं, #कलि -कलयुग #कली -पुष्प की कली #कलयुग #पिता #पुत्री #अनमोल_तुम #kaliyuga
Queen of Heart
उसके यकीन को देखकर हमे यकीन बहुत आया हर बार दिल कहता झूठा हैं पर हमे उस पर ऐतबार ही आया #विचार #जिदंगी #मोहब्बत #शायरी #कविता #यकीन #कल्पना #कलि
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
read moremadhu manhar
अपने बाबुल की तू नन्ही परी है, मेरे आंगन की नन्ही कलि है मेरे आंगन की तू सान है, अपने बाबा की तू जान है, तुझे पा कर मैं नौ निहाल हूँ, मेरी हर खुशियाँ तुझपे कुर्बान है, तू गुड़िया मेरी प्यारी सी, है जैसे लक्ष्मी की मूरत न्यारी सी, अभी तो तू नन्ही कलि है, कल बनेगी सुन्दर फुल है, मेरे घर की बगिया से सजायेगी किसी और का घर कुलदीप है, तुझे विदा कैसे कर पाउँगा मेरे दिल का टुकड़ा कैसे किसी को थमाऊँगा, तू मेरी राजकुमारी है हर सपना तेरा सजाऊंगा, तू मेरी नन्ही परी है मेरे आंगन की नन्ही कलि है !
Santosh Sagar
ऐसा न बना दो भारत को.. गूगल से डाउनलोड रोटी हो... भात-भात कह जान गवां दे.. वो भारत की बेटी हो... ऐसा न बना दो भारत को.. गूगल से डाउनलोड रोटी हो... उसकी क्या गलती थी ... जो आधार लिंक न कर पायी... निकम्मे अफ़सर को बोलो... जो AC में सोती हो.... ऐसा न बना दो भारत को.. गूगल से डाउनलोड रोटी हो... थी गरीब वो प्यारी ... और वो ख़ुदा की प्यारी हो गयी... पहले पकड़ो उसको जो.. हर घर में ग़रीबी बोती हो... ऐसा न बना दो भारत को.. गूगल से डाउनलोड रोटी हो... कुछ ऐसा इंतजाम करो.. की खाना सब को मिल पाए ... उस नादान कलि की तरह... और कलि न मुरझाये.... ऐसी कोई तरक़ीब निकालो ... जिस से पैदा रोटी हो.. ऐसा न बना दो भारत को.. गूगल से डाउनलोड रोटी हो... :- संतोष 'साग़र' #india #google #रोटी #poor #सरकार #राजनीति #आधारकार्ड #बेटी #साग़र __मुकेश-- Binto Rani Sangeeta Sona Dr.Imran Hassan Barbhuiya Sona
pravahini
तीन कलियाँ तीन भवरे बैठे कर रहे थे बाते तभी वहाँ पर मै जा पहुँची कलियाँ-भवरे हो गए दूर एक कलि ने भवरे को बोला तुम आके मेरे बगल मे बैठों पास मे होगी कुछ गुफ्तगु मुस्कान लबों पर मेरी छलकी मासूम कलि की उमर मे अटकी मचल की चल तड़पता मन बैचेन सभी को कर रही थी रोके रूके न थामे थमे न शीत प्रेम की चल रही थी ढक्क प्रेम की अगन रही थी समझ के जिसको न समझ रही थी लबों पर मुस्कान मेरे बस ठहर रही थी मासूम कलि को भवरे के संग देख रही थी ''मासूम बच्चों का पहला प्यार पहली जिज्ञासा'' तीन कलियाँ तीन भवरे बैठे कर रहे थे बाते तभी वहाँ पर मै जा पहुँची कलियाँ-भवरे हो गए दूर
''मासूम बच्चों का पहला प्यार पहली जिज्ञासा'' तीन कलियाँ तीन भवरे बैठे कर रहे थे बाते तभी वहाँ पर मै जा पहुँची कलियाँ-भवरे हो गए दूर
read moreSantosh Dilliwar
एक औरत गर्भ से थी पति को जब पता लगा की कोख में बेटी हैं तो वो उसका गर्भपात करवाना चाहते हैं दुःखी होकर पत्नी अपने पति से क्या कहती हैं :- सुनो, ना मारो इस नन्ही कलि को, वो खूब सारा प्यार हम पर लुटायेगी, जितने भी टूटे हैं सपने, फिर से वो सब सजाएगी.. सुनो, ना मारो इस नन्ही कलि को, जब जब घर आओगे तुम्हे खूब हंसाएगी, तुम प्यार ना करना बेशक उसको, वो अपना प्यार लुटाएगी.. सुनो ना मारो इस नन्ही कलि को, हर काम की चिंता एक पल में भगाएगी, किस्मत को दोष ना दो, वो अपना घर आंगन महकाएगी.. 😑ये सब सुन पति अपनी पत्नी को कहता हैं :- सुनो में भी नही चाहता मारना इसनन्ही कलि को, तुम क्या जानो, प्यार नहीं हैं क्या मुझको अपनी परी से, पर डरता हूँ समाज में हो रही रोज रोज की दरिंदगी से.. क्या फिर खुद वो इन सबसे अपनी लाज बचा पाएगी, क्यूँ ना मारू में इस कलि को, वो बहार नोची जाएगी.. में प्यार इसे खूब दूंगा, पर बहार किस किस से बचाऊंगा, जब उठेगी हर तरफ से नजरें, तो रोक खुद को ना पाउँगा.. क्या तू अपनी नन्ही परी को, इस दौर में लाना चाहोगी, जब तड़फेगी वो नजरो के आगे, क्या वो सब सह पाओगी, क्यों ना मारू में अपनी नन्ही परी को, क्या बीती होगी उनपे, जिन्हें मिला हैं ऐसा नजराना, क्या तू भी अपनी परी को ऐसी मौत दिलाना चाहोगी.. ये सुनकर गर्भ से आवाज आती है.....ं सुनो माँ पापा- मैं आपकी बेटी हूँ मेरी भी सुनो :- पापा सुनो ना, साथ देना आप मेरा, मजबूत बनाना मेरे हौसले को, घर लक्ष्मी है आपकी बेटी, वक्त पड़ने पर मैं काली भी बन जाऊँगी पापा सुनो, ना मारो अपनी नन्ही कलि को, तुम उड़ान देना मेरे हर वजूद को, में भी कल्पना चावला की तरह, ऊँची उड़ान भर जाऊँगी.. पापा सुनो, ना मारो अपनी नन्ही कलि को, आप बन जाना मेरी छत्र छाया, में झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरो से लाज बचाऊँगी... 😗पति (पिता) ये सुन कर मौन हो गया और उसने अपने फैसले पर शर्मिंदगी महसूस करने लगा और कहता हैं अपनी बेटी से :- मैं अब कैसे तुझसे नजरे मिलाऊंगा, चल पड़ा था तेरा गला दबाने, अब कैसे खुद को तेरेे सामने लाऊंगा, मुझे माफ़ करना ऐ मेरी बेटी, तुझे इस दुनियां में सम्मान से लाऊंगा.. वहशी हैं ये दुनिया तो क्या हुआ, तुझे मैं दुनिया की सबसे बहादुर बिटिया बनाऊंगा. मेरी इस गलती की मुझे है शर्म, घर घर जा के सबका भ्रम मिटाऊंगा बेटियां बोझ नहीं होती.. अब सारे समाज में अलख जगाऊंगा!!!
Pawan Raikwar
आओ मिलकर april fool मनाये हम .. हर आगन हर घर में एक पोधा लगये हम.... मुरझाइ हुइ हर एक कलि को फ़िर्से खिलए 🌱 हम... आओ मिलकर april fool मनाये हम .. आओ मिलकर april fool मनाये हम .. आओ मिलकर april fool मनाये हम .. हर आगन हर घर में एक पोधा लगये हम.... मुरझाइ हुइ हर एक कलि को फ़िर्से खिलए 🌱 हम... आओ मिलकर april fool मनाये हम .. आओ मिलकर april fool मनाये हम .. आओ मिलकर april fool मनाये हम .. हर आगन हर घर में एक
आओ मिलकर april fool मनाये हम .. हर आगन हर घर में एक पोधा लगये हम.... मुरझाइ हुइ हर एक कलि को फ़िर्से खिलए 🌱 हम... आओ मिलकर april fool मनाये हम .. आओ मिलकर april fool मनाये हम .. आओ मिलकर april fool मनाये हम .. हर आगन हर घर में एक
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
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