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Best अब_खामोशी_को_कहने_दो Shayari, Status, Quotes, Stories

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Abhinav

Mo k sh K an

जीना चाहता हूँ 
मगर
जिंदगी फ़ुर्सत नहीं देती 
मरना भी गवारा है 
मगर 
मौत इजाज़त नहीं देती 
बिछ गया हूँ सड़क सा 
अपने पैरों के नीचे
औऱ ख़ुद से फ़ासले 
बढ़ते ही जा रहे हैं 

मगर @ अब खमोशी को कहने दो

©Mo k sh K an #mikyupikyu 
#mokshkan 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 
#Nojoto 
#Hindi

Mo k sh K an

चेहरे पर उतर आए हैं
वक़्त के आबशार
बालों की सफेदी कहती है
कि शाम ढल रही है 

ना रंग, ना रोगन,ना इत्र की ख़ुश्बू 
ना ज़रदोज़ी कोई
ना मलमली लिहाफ 
सिकुड़ गई है 
हसरतें सारी 
बारिशों में भीग कर 
कलफ़ पर ठहरी पशेमानी कहती है
कि शाम ढल रही है 

रात की रसीद 
ले कर के फिर रहा हूँ
ना जाने कब आँखों को अब सूद चुकाना हो 
नींदों की सुलह हो अब ख़्वाबों से कुछ ऎसी
कि रात ना छूटे
फिर ना सहर हो.... 

अब खमोशी को कहने दो @ उम्र ..दराज़

©Mo k sh K an #mokshkan 
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#ab_khamoshi_ko_kehne_do 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 
#Nojoto 
#Hindi

the unsual thought

Mo k sh K an

ज़ख्म ही तो है, रहने दीजिए
जज़्बात ही तो थे, बहने दीजिए
जब वो बदल गए, किस से करें गिला 
दर्द ही तो है, सहने दीजिए 

एक ताज़िये सा मैं, कोई कर्बला तो हो 
ढह जाऊँ मैं जाकर, कोई ज़लज़ला तो हो 
हातिम की कहानी सही ,पर कहने दीजिए
जज़्बात ही तो थे, बहने दीजिए

कोई बेवफ़ा क्यों हो, सब कुछ जरुरी है 
मैं अधूरा ही सही , वो तो पूरी है 
मुहाजिर वो मकानात थे, ढहने दीजिए 
जज़्बात ही तो थे, बहने दीजिए

नौसादर का शायद इश्क़ था, छू कर के जल गया 
रांगे का लगा टांक, चुपके से गल गया 
सलीब ही तो है ,सहने दीजिए 
जज़्बात ही तो थे, बहने दीज

अब ख़ामोशो को कहने दो @ बहने दीजिए

©Mo k sh K an #ab_khamoshi_ko_kehne_do 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 
#mokshkan 
#mikyupikyu

Mo k sh K an

शायद तप कर कुंदन हो,दर्द कहीं जो गहरा है 
जिसे संभाला है शिद्दत से,मुस्कानों का पहरा है 

दर्द जो शायद दरया है,नहीं है जिसका पार
पैरों पर जिसके उफ़क़ लपेटे डूब रही मजधार 
शायद जिसे ख़ुदा कहते है वो भी अंधा बहरा है 
शायद तप कर कुंदन हो,दर्द कहीं जो गहरा है 

लहर टीस की अक़्सर उठ कर, तूफ़ान कोई बन जाती है 
ना जाने कितनी बारिश वो बीते कल की लाती है 
फिर है कैसी ज़िद है जाने, दिल जो काफ़िर ठहरा है 
शायद तप कर कुंदन हो,दर्द कहीं जो गहरा है 

साँसों का अपना किस्सा है ,अक़सर बागी रहती है 
महल रेत के सीने में जो रोज़ बनाती ढहती हैं 
औऱ समेटा हैं ख़ुद में जो वो भी ऊसर सहरा है 
शायद तप कर कुंदन हो,दर्द कहीं जो गहरा है 

एक दिन मैं परवाज़ बनूँगा आसमान को चूमूँगा
जिस्म की बंदिश तोड़ मलंगा कटी पतंग सा झूमुंगा
यही ख़्वाब एक बचा हुआ है जिसका रंग सुनहरा है 
शायद तप कर कुंदन हो,दर्द कहीं जो गहरा है 

ख़ामोशी को कहने दो @ ज्वार की रातें 1

©Mo k sh K an #mokshkan 
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#Hindi 
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#nojatohindi

Mo k sh K an

ना जाने कितने जगराते
ना जाने कितने फितना दिन 
सिगरेट के कश की तरह फेफड़े निचोड़ते हैं
और सुखी खाँसी की तरह कलेजा चाक करते हैं 

और ज़िदंगी, सुल्फे के नशे सी ज़िदंगी
जो ना अब हक़ीक़त रही ना अफ़साना 
नुक्कड़ पर खड़े पीकदान से बेजा 
धूप खाती है 
पानी निगलती है 

अब क्या बदलना है 
और क्या बदलेगा 
जब क़ायनात एक शग़ल बन गई है
और ख़ुदा एक सवाल 

अब नमाज़ों में बस तेरा ज़िक्र होता है 
कभी तुझे दुआ में
कभी अपने फ़ातिहे में 
ना दुआ मुक़म्मल होती है,ना कब्र मयस्सर 

और ज़िंदगी 
सुल्फ़े के नशे सी
चढ़ी जा रही है
चढ़ी जा रही है 

अब ख़ामोशी को कहने दो @ ज़िंदगी

©Mo k sh K an #mikyupikyu 
#mokshkan 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 

#lonely

Mo k sh K an

आज सुबह का सूरज निकल है बदरा को ओढ़ कर 
आसमान पर चला अकेला धूप कहीं पर छोड़ कर 

सर्द हवा है ले कर निकली किस्से बीती रातों के 
महक रहे हैं दर्द पुराने तेरे मेरे खातों के 
कोई कहानी कह जाएगी पर्चा पर्चा जोड़ कर 
आज सुबह का सूरज निकल है बदरा को ओढ़ कर 

दीवारों की सीलन बढ़ कर सिरहाने पर बैठी है 
और फंफूदी तन्हाई की जिस्म में मेरे ऐंठी है 
रख देता हैं जिक्र भी तेरा अक्सर मुझे  झंझोड़ कर 
आज सुबह का सूरज निकल है बदरा को ओढ़ कर 

दफ़न हुआ तो मैंने जाना क्या होती गहराई है 
कब्र के अंदर हाथ थामती बस अपनी परछाई है
रख देते हैं रिश्ते नाते सच का भरम मरोड़ कर
आज सुबह का सूरज निकल है बदरा को ओढ़ कर 

ख़ैर खुदाई से अब नाता बस है मेरा बातों का
गोटा चमचम लगा हुआ है कफ़न है मेरा रातों का 
हलक में यादें जलती हैं जब सीना मेरा निचोड़ कर 
आज सुबह का सूरज निकल है बदरा को ओढ़ कर 

अब ख़ामोशी को कहने दो @ बदरा

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 

#AkelaMann

Mo k sh K an

उधार की सी धूप ले कर 
फिर एक सर्द सवेरा चला आया 
शायद नंगे दरख्तों का तकाज़ा रहा
कि हवा नहीं चली
वरना ज़िन्दगी जम जाती 

तपिश थी
तो बस भुनी हुई मूँगफलियाँ में थी 
तो उँगलियों को हरारत देती रही
और उनके बेबाक़ छिलके
मुंज़मींद वक़्त बनते रहे 

ना जाने कौन सा कर्ज़ अदा करना था
कि घड़ी की सुइयों का जुनून कम ना हुआ 
वो वक़्त से आगे भागती रहीं
और 
तारीख बदलती रही 

और अगर कुछ नहीं बदला 
तो वो शायद मैं था
जो इंतेज़ार की सलीब पर
उस राह पर टंगा रहा
जिस पर कोई नहीं आता ।।।


अब खमोशी को कहने दो @ कहानी

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 

#Dark

Neel

अब नहीं दिखती उनमे वो तड़प  
जो महसूस कराती कि
है उन्हें अब भी मुझसे बेपनाह मोहब्बत

©Neel #तड़पती_रूह 
#पयार‌‌इशकमोहबत 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 
#अब_कभी_प्यार_नही_करेंगे 
#अब_बस_अलविदा_मोहब्बत
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