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Best “प्रकाश” Shayari, Status, Quotes, Stories

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Biikrmjet Sing

#“प्रकाश”

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सबसे बड़ा है निराकार प्रकाश

©Biikrmjet Sing #“प्रकाश”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“20/5/2022”*📚 📘 *“शुक्रवार”*✨ #“जीवन” #“दो साथी”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
🖊️*“20/5/2022”*📚 
📘*“शुक्रवार”*💫 

इस “जीवन” के हमारे दो “साथी” है
एक “अंधकार” है और एक है “प्रकाश” 
अब यदि “अंधकार” में यदि 
हम “दीपक” प्रज्वलित करते है “प्रकाश” के लिए,
तो “अंधकार” हमसे “रूष्ट” होकर चला जाता है 
अब यदि “अंधकार” को मनाने जाओ 
तो “प्रकाश” रूष्ट होकर हमसे दूर चला जाता है,
ये वैसी “परिस्थिति” है कि जैसे हमारे दो “मित्र” है जिनकी आपस नहीं बनती,
क्योंकि एक को “मनाने” या “प्रसन्न” करने जाओ 
तो दूसरा “रूष्ट” हो ही जाता है,
ऐसे में आपको “समझदारी” दिखानी है कि कब किसका “साथ देना” है,कि कब किसके “साथ चलना” है,
हो सके तो सबको साथ लेकर ही चलिए यदि किसी की “आपस” में नहीं बनती,तो उनमें “सामंजस्य” बिठा के “संसार की रीति निती” का “शस्त्र” चलाना है,
यहीं तो “मनुष्य” जीवन है अब भला ये कैसे किया जाता है केवल “प्रेम” से,तो इसी प्रकार
 “प्रेमपूर्ण व्यवहार” से सभी को जोड़कर रखेंगे
 तो सभी “खुश” भी अवश्य रहेंगे...
*अतुल शर्मा*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
🖊️ *“20/5/2022”*📚 
📘 *“शुक्रवार”*✨ 

#“जीवन”  

#“दो साथी”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“6/5/2022”*📚 🖋️ *“शुक्रवार”* 🌟 #“सूर्य” #“रात्री”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“6/5/2022”*📚
🖋️*“शुक्रवार”* 🌟

ऐसा कौनसा “दिन” है जिसकी “रात” नहीं होती ?
ऐसी कौन सी “नदी” है जो नहीं “सूखती” ?
ऐसा कौनसा “वृक्ष” है जिसके “पत्ते” नहीं “झड़ते” ?
किंतु यदि “सूर्य” हार मान ले तो “रात्री” के पश्चात वो “प्रकाश” दे ही नहीं पाएगा,
यदि “नदी” हार मान ले तो वह पुनः “वर्षा” कराने में “सहायता” नहीं कर पाएगी,
अगर यह सब “हार” मान ले तो “धरा प्यासी”
 रह जाती है “प्रकृति” हमें यही सिखाती है 
“हार”, “पराजय”, “असफलता” यह 
हमारे जीवन में आएंगे ही आएंगे,
और हमें “सिखाने” के लिए आएंगे 
हमारे “हित” के लिए आएंगे तो अपना 
“दृष्टिकोण” भी वैसा ही रखिए,
तो “सकारात्मक दृष्टिकोण” से इसे देखें अपनी “हार” से,“पराजय” से सीखें 
और “जीवन” में आगे बढ़े,
“विजय” भी निश्चित रूप से आपकी होगी...
 *“अतुल शर्मा”*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
📘 *“6/5/2022”*📚
🖋️ *“शुक्रवार”* 🌟

 #“सूर्य” 

#“रात्री”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 🌟*“3/3/2022”*🌟 🖋️ *“गुरुवार”*✨🖊️ #“जीवन” #“सूर्य”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘 *“3/3/2022”*📚
🖋️ *“गुरुवार”*🌟

इस “जीवन” में यदि “सूर्य” “हार” मान ले
 तो “रात्रि” के पश्चात वो “प्रकाश” दे ही नहीं पाएगा,
यदि “नदी” हार मान ले तो वो पुनः 
“वर्षा” करवाने में “सहायता” कर ही नहीं पाएगी,
“प्रकृति” हमें यही सीखाती है “हार”,“पराजय”
 ये हमारे जीवन में आएंगे ही आएंगे
और हमें “सीखाने” के लिए आएंगे
हमारे “हित” के लिए आएंगे 
तो अपना “दृष्टिकोण” भी वैसा ही रखिए
तो “सकारात्मक” से इसे देखिए,
अपनी “हार” से,अपनी “पराजय” से 
“सीखें” और “आगे” बढ़े,
“विजय” निश्चित रूप से आपकी होगी,
और होगी तो “प्रसन्नता” 
और “आनंद” से भर जाएगा,
*“अतुल शर्मा”*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
🌟*“3/3/2022”*🌟
🖋️ *“गुरुवार”*✨🖊️
 
#“जीवन” 

#“सूर्य”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार”*📚 🎊 *“5/1/2022”*🎉 🎁 *“बुधवार”* 🌟 *#“अंधकार”* *#“दीया”*

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*✍🏻“सुविचार”*📚 
🎊*“5/1/2022”*🎉 
🎁*“बुधवार”* 🌟

कहते है कि “अंधकार” में यदि “दीया” जलाओ
 तो “प्रकाश” आता है,किंतु यदि “दीया” 
“सूर्य के प्रकाश” के समक्ष
 “प्रातःकाल” में जलाकर रख दे तो क्या अंतर होगा ?
इससे तो कोई “लाभ” नहीं होगा,
सूर्य के “प्रकाश” के समक्ष ये दीया है ही क्या ?
सोचिए कि आप किसी “महापुरुष” के समक्ष बैठे है 
जो “महाज्ञानी” है,
तो उस “व्यक्ति के समक्ष” अपने
 “ज्ञान का दीया” न जलाए,
“मौन रहिए” और उस “व्यक्ति” के “सूर्यप्रकाश” 
जैसे “ज्ञान” को प्राप्त किजिए,
जितना हो सके “ज्ञान” प्राप्त किजिए, 
यदि ऐसा कोई “समय” है 
जैसे आप कोई “अंधकार” में है, 
सभी “अंधकार” में है किसी के ज्ञान नहीं है 
वहाँ आप अपने “ज्ञान” का “दीया” जलाए, 
ऐसा करोगे तो दोनों ओर से आपका “लाभ” होगा, 
“ज्ञान प्राप्ति” होगी और 
“ज्ञान” का “उचित उपयोग” भी होगा,
और ये मन “प्रसन्न” और “आनंदित” रहेगा...
*“अतुल शर्मा”*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार”*📚 
🎊 *“5/1/2022”*🎉 
🎁 *“बुधवार”* 🌟

*#“अंधकार”*

*#“दीया”*

Atul Sharma

*📚 *“सुविचार"*🖋️ 🎊 *“3/11/2021”*📝 🪔 *“बुधवार”*✨ *#“जीवन”* *#“दीया”🪔*

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*📚 *“सुविचार"*🖋️ 
🎊*“3/11/2021”*📝
🪔*“बुधवार”*✨ 

कई बार हम ये “सोच” बैठते है... 
“जीवन” जीये तो जीए कैसे ? 
“जीवन जीयो” तो उस “दीए” के भांति जो अपनी लो से “असंख्य दीयों” को “प्रकाश” देता हैं,
जो भुझते भुझते भी “अंधकार” से लड़ता हैं
 इसलिए जहां भी “दीए” को रखा जाता हैं 
उस “स्थान” को पुजा जाता हैं,
उसे “पवित्र” माना जाता हैं...
नर्क चतुर्दशी...
एक “नरकासुर” नाम का “राक्षस” था,
जिसने अपनी “शक्ति” का “गलत दुरुपयोग” करके “16 हजार स्त्रियों” को “बंदी” बना लिया था,
 वहीं “नरकासुर” के वध की “खुशी” में 
लोगों ने अपने “घरों” में “दीपक” जलाए, 
इसलिए तभी से “नरक चतुर्दशी” 
अथवा “छोटी दीवाली” मनाया जाने लगा...
*🖋️अतुल शर्मा*

©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 
🎊 *“3/11/2021”*📝
🪔 *“बुधवार”*✨ 

*#“जीवन”* 

*#“दीया”🪔*

Atul Sharma

*📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“15/9/2021”*🖋️ 🌧️ *“ बुधवार ”*🌦️ #“संसार” #“प्रकाश”

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*📝“सुविचार"*📚
✍🏻*“15/9/2021”*🖋️ 
📘*“ बुधवार ”*✨ 

इस “संसार” में हमें “प्रकाश” कहा से मिलता है?
इसका बड़ा सरल सा “उत्तर” है...
“भौर” में जब “सूर्योदय” होता है
 तो “प्रकाश की किरणें” आती है 
हमारे “घर” में वैसे ही हमें “प्रकाश” प्राप्त होता है,
अब इस “प्रकाश” के आधार पर
 हम अपने “दिनभर के कार्य” करते है,
“संध्याकाल” होती है “सूर्यास्त” होने लगता है,
तो हमारे “घर” में “अंधकार” न हो जाए 
इसलिए हम “दीपक प्रज्वलित” 🪔करते है,
इसी प्रकार है हमारा “जीवन” में 
यदि “ढलती आयु” के साथ हम अपने भीतर 
“प्रकाश जाग्रत” कर ले तो बात ही कुछ और होगी,
अब आप सोच रहे होंगे कि किस मैं 
किस “प्रकाश” की बात कर रहा हूं,
जो हमारे “भीतर” जाग्रत हो सकता है, 
हमारी “आत्मा” में “प्रेम का प्रकाश” 
जाग्रत करने की बात कर रहा हूं,
हमारा ये “जीवन” ये भी “दिन” की भांति ही है 
आज “प्रकाश” है तो कभी “अस्त” भी होगा,
किंतु “अस्त से पूर्व” यदि हम अपनी 
“आत्मा” में “प्रेम का ये प्रकाश” यदि “प्रज्वलित” कर ले
तो हमारी “संध्याकाल” भी 
“प्रेम” और “आनंद” में बितेगी...
 *अतुल शर्मा🖋️📝*

©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚
✍🏻 *“15/9/2021”*🖋️ 
🌧️ *“ बुधवार ”*🌦️ 

#“संसार” 

#“प्रकाश”

Atul Sharma

*🪔“सुविचार"*🪔 🖊️ *“10/9/2021”*🖋️ 📘✨ *“ शुक्रवार”*✨📙 #“जीवन” #“दो साथी”

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*🪔“सुविचार"*🪔 
🖊️*“10/9/2021”*🖋️
📘✨*“ शुक्रवार”*✨📙

इस “जीवन” के हमारे दो “साथी” है
एक “अंधकार” है और एक है “प्रकाश” 
अब यदि “अंधकार” में यदि हम 
“दीपक” प्रज्वलित करते है “प्रकाश” के लिए,
तो “अंधकार” हमसे “रूष्ट” होकर चला जाता है अब यदि “अंधकार” को मनाने जाओ 
तो “प्रकाश” रूष्ट होकर हमसे दूर चला जाता है,
ये वैसी “परिस्थिति” है कि जैसे हमारे दो “मित्र” है जिनकी आपस नहीं बनती,
क्योंकि एक को “मनाने” या “प्रसन्न” करने जाओ 
तो दूसरा “रूष्ट” हो ही जाता है,
ऐसे में आपको “समझदारी” दिखानी है 
कि कब किसका “साथ देना” है,
कि कब किसके “साथ चलना” है,
हो सके तो सबको साथ लेकर ही चलिए यदि किसी की “आपस” में नहीं बनती,तो उनमें “सामंजस्य” बिठा के “संसार की रीति निती” का “शस्त्र” चलाना है,
यहीं तो “मनुष्य” जीवन है अब भला
 ये कैसे किया जाता है केवल “प्रेम” से,
तो इसी प्रकार “ प्रेमपूर्ण व्यवहार” से
 सभी को जोड़कर रखेंगे तो 
सभी “खुश” भी अवश्य रहेंगे...
✨ *अतुल शर्मा🖋️📝*

©Atul Sharma *🪔“सुविचार"*🪔 
🖊️ *“10/9/2021”*🖋️
📘✨ *“ शुक्रवार”*✨📙

#“जीवन”  

#“दो साथी”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“13/7/2021”*📚 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“संसार” #“सूर्य”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“13/7/2021”*📚
✨*“मंगलवार”*🌟

इस “संसार” में ऐसा कुछ नहीं जो आपने किया और आपको उसका “मूल्य चुकाना” ना पड़े,
“हर कार्य” के लिए आपको “मूल्य चुकाना” पड़ता है “प्रकृति” भी हमें यही सिखाती है,
“आकाश” में देखिए “सूर्य” प्रतिदिन हमें “प्रकाश” प्रदान करता है जिसे “सूर्यनारायण” कहा जाता है ये सूर्य “मूल्य” क्या चुकाता है बल्कि “स्वयं जलता” है,“धरती माता” ये क्या “मूल्य” चुकाती है “प्रहार” सहती है,अब इस “धरती पर प्रहार” करते है “गड्ढा खोदते” है,
उसमें हम “बीज” बोते है तब जाके हमें “अन्न” प्राप्त होता है,
इसलिए यदि आपको “जीवन” में “सफल” होना है,
“सम्मान” पाना है या “श्रेष्ठ” होना है 
तो आपको “मूल्य चुकाना” ही पड़ेगा,
यदि आपको “सफलता” पानी है तो आपको “दिन-रात” आपको “त्यागने” होंगे जहां समस्त संसार “सुख(संतोष)” अनुभव कर रहा है और आप केवल “परिश्रम” कर रहे है
तभी जाकर “यश” मिलेगा,
“जीवन” में केवल “धन” ही मूल्य नहीं होता,किंतु ये मूल्य जिसकी मैं बात कर रहा हूं यदि ये आप चुकाते है,तो निश्चित रूप से यही “मूल्य” आपको और भी 
अधिक “मूल्यवान” बना देगा...
*“अतुल शर्मा 🖋️📝* *✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“13/7/2021”*📚
✨ *“मंगलवार”*🌟

#“संसार” 

#“सूर्य”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 ✨*“11/6/2021”*⭐ 🌳 *“शुक्रवार”*🌴 #“सूर्य” #“रात्री”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
✨*“11/6/2021”*⭐
🌳 *“शुक्रवार”*🌴

ऐसा कौनसा “दिन” है जिसकी “रात” नहीं होती ?
ऐसी कौन सी “नदी” है जो नहीं “सूखती” ?
ऐसा कौनसा “वृक्ष” है जिसके “पत्ते” नहीं “झड़ते” ?
किंतु यदि “सूर्य” हार मान ले तो “रात्री” के पश्चात 
वो “प्रकाश” दे ही नहीं पाएगा,
यदि “नदी” हार मान ले तो वह पुनः “वर्षा” 
कराने में “सहायता” नहीं कर पाएगी,
अगर यह सब “हार” मान ले तो “धरा प्यासी” रह जाती है “प्रकृति” हमें यही सिखाती है “हार”, “पराजय”, “असफलता” यह हमारे जीवन में आएंगे ही आएंगे,
और हमें “सिखाने” के लिए आएंगे हमारे “हित” के लिए आएंगे तो अपना “दृष्टिकोण” भी वैसा ही रखिए,
तो “सकारात्मक दृष्टिकोण” से इसे देखें अपनी “हार” से,“पराजय” से सीखें और “जीवन” में आगे बढ़े,
“विजय” भी निश्चित रूप से आपकी होगी...
 *“अतुल शर्मा”🖋️🌳*

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
✨*“11/6/2021”*⭐
🌳 *“शुक्रवार”*🌴
 
#“सूर्य” 

#“रात्री”
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