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Atul Sharma
*🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“30/03/2022”📝* *📙“बुधवार”🌟* “जीवन” में हमारे “माता-पिता” एक गुरू जैसे ही होते हैं “माता-पिता” को अपनी “संतान” को समय के अनुसार “श्रेष्ठ संस्कार” देने चाहिए, “माता-पिता” को कभी उनका “विधाता” नहीं बनना चाहिए, किंतु हर समय सदैव “प्रयास” करना चाहिए कि वह अपने “बच्चों” को “उचित दिशा” दिखा पाए, कभी “कोमलता” से तो कभी “प्रेम” से,तो कभी “कठोरता” से उनकी “जीवन” को और “व्यक्तित्व” को आकार देना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार “मिट्टी का मटका” एक बार पकने के बाद उसका “आकार” नहीं बदला जा सकता ठीक उसी तरह “आयु बढ़ने” के पश्चात “संतान” के “संस्कारों” को नहीं बदला जा सकता, इसलिए अपनी संतान को समय के अनुरूप “ढालना” सिखाइए और उन्हें “जीवन की कठिनाइयों” और “चुनौतियों” सामना करना सिखाइए... *“अतुल शर्मा 🖋️📝* ©Atul Sharma *🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“30/03/2022”📝* *📙“बुधवार”🌟* #“माता-पिता” #“गुरू”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“19/3/2022”*📚 📘 *“शनिवार”*🌟 क्या आपने कभी दर्पण देखा हैं क्या हम में से ऐसा कौन हैं जिसने दर्पण नहीं देखा होगा ? सभी ने दर्पण देखा हैं,दर्पण में स्वयं का प्रतिबिंब भी देखा हैं किंतु किसी ने सोचा है कि उस दर्पण के पीछे क्या हैं ? उस प्रतिबिंब के पीछे क्या होगा ?* *होता कुछ ऐसा हैं कि कांच के धातु की परत चढाई जाती हैं जिस कारण से जब हम देखते हैं तो हमें अपना प्रतिबिंब दिखाई देता हैं अर्थात कांच को कुछ इस प्रकार कर दिया गया कि प्रकाश जिस ओर से जाता हैं उसी ओर पुनः लोटकर वापिस आता हैं,तभी वो दर्पण कहलाता है यहीं हैं जीवन एक सत्य भी यदि हम अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित करते हैं, यहां वहां नहीं भटकते हैं तो न केवल हम अपना लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होते हैं बल्कि हम दुसरों का मार्गदर्शन करने में भी सफल होते है, तो आप बनना चाहेंगे ऐसा व्यक्तित्व... चयन आपका है, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“19/3/2022”*📚 📘 *“शनिवार”*🌟 #“मनुष्य” #“दर्पण”
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“19/3/2022”*📚 📘 *“शनिवार”*🌟 #“मनुष्य” #“दर्पण”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“7/3/2022”*🖋️ 📘 *“सोमवार”*🌟 आपके “जीवन” में कोई ना कोई ऐसा होगा जो आपको बिल्कुल नहीं “भाता”,जो कदाचित “अधर्मी” होगा या फिर “नीच बुद्धि” वाला होगा परंतु उससे “अपशब्द” कह देने से उसमें “परिवर्तन” तो नहीं आता और उसकी “मानसिकता” भी नहीं बदलती, और फिर इस “मन” में “प्रतिकार की भावना” जागृत हो जाती है, “द्वेष की भावना” जागृत हो जाती है और कुछ नहीं, इसलिए इन “शब्दों” पर नियंत्रण रखिए, इस “वाणी” पर नियंत्रण रखिए, “श्रेष्ठ” से भी “श्रेष्ठ व्यक्ति” को भी “सावधान” रहना पड़ता है क्योंकि इन “शब्दों” का प्रयोग महत्वपूर्ण ना हुआ, तो आजीवन “निःशब्द” रह जाते है लोग, तो इस “वाणी” को “शुभ” रखिए और “वाणी” में “मधुरता” और “प्रेम” भी रखिए,और उनके सामने “बातें” करने से कोई फायदा नहीं जिन्हें “श्रेष्ठ बातों” का बिल्कुल भी पता नहीं होता, इसलिए आपका “चुप” रहना ही सही है *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“7/3/2022”*🖋️ ✨ *“सोमवार”*🌟 #“जीवन” #“अधर्मी”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📓*“4/2/2022”*📚 🖋️*“शुक्रवार”* 🌟 जीवन में “कमाना” क्या होता है ? अधिकतर लोग कहते है कमाना अर्थात “धन” या “संपत्ति”, और क्या ही “अर्जित” करते है, अब प्रश्न यह है कि ऐसा क्या है जो “वास्तविक रूप” से अर्जित करने योग्य है, वो है “व्यवहार” और “ज्ञान” और “संतोष”, क्योंकि जब आप इस “संसार” से चले जाएंगे तो आपकी “धन” या “संपत्ति” आपको “विदा” करने नहीं आएगी,आपको “विदा” करेंगे आपके अपने, जिनके साथ आपका “व्यवहार” था,इस “संसार” में कई सारे “मनुष्य” “धन अर्जित” कर सकते है, “श्रेष्ठ मनुष्य” तो वो है जो “व्यवहार”,“ज्ञान” और “संतोष” प्राप्त करता है और इसे सब में “बांटता” है, तो आप भी यही किजिए ये “मन प्रसन्न” अवश्य रहेगा, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“4/2/2022”*📚 🖋️ *“शुक्रवार”* 🌟 *#“कमाना”* *#“धन” या “संपत्ति”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“4/2/2022”*📚 🖋️ *“शुक्रवार”* 🌟 *#“कमाना”* *#“धन” या “संपत्ति”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“22/1/2022”*📚 🖋️ *“शनिवार”* 🌟 एक बार एक “गुरू” अपने “शिष्यों” की “परीक्षा” ले रहे थे, उन्होंने हर एक “शिष्य” को एक-एक “पक्षी” दिया और उनसे कहा कि इनकी “बलि” चढ़ानी है, किंतु ऐसे “स्थान” पर जहां उन्हें कोई “देख” न पाए, सभी “शिष्य” अपने अपने मार्ग पर “निकल” गये, कोई “घने वन” के अंदर चला गया, कोई “गहरे अंधकार” के भीतर चला गया और कोई दूर कही “पर्वतों” में चला गया, जैसे ही उन्हें कोई देखने नहीं आता उन्होंने “बलि चढ़ाना” प्रारंभ किया तभी वो “पक्षी” “प्रकाश में परिवर्तित” हुए और लुप्त हो गये, एक शिष्य था जो पुनः “गुरु” के पास लौट गया और कहा कि “क्षमा करना गुरूदेव”,“ऐसा कोई श्रेष्ठ स्थान” मिला ही नहीं जहां कोई न “देख” रहा हो किंतु मैं तो “स्वयं” देख रहा था,मेरा “मन” देख पा रहा था, उस “शिष्य” ने समझा कि “परमात्मा की दृष्टि” सदैव उस पर बनी हुई है, और इसलिए वो कभी अनुचित “कर्म” नहीं कर सकता,और इसलिए वो ही “शिष्य” परीक्षा में सफल हुआ, इसलिए कोई भी “अनुचित कर्म” करने से पहले सोचिए अवश्य, “परमात्मा की नजर” सब पर है *अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“22/1/2022”*📚 🖋️ *“शनिवार”* 🌟 *#“गुरू”* *#“शिष्यों की परीक्षा”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“22/1/2022”*📚 🖋️ *“शनिवार”* 🌟 *#“गुरू”* *#“शिष्यों की परीक्षा”*
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*✍🏻“सुविचार"*📚 🌫️*“9/1/2022”* 🌧️*“रविवार”*☔ “वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️... जब भी आती है “मन” को “प्रसन्नता” से भर देती है, कभी आपने सोचा है कि जो ये “वर्षा” जो हमारे “मन” को “प्रसन्नता” से भर देती है कि ये स्वयं कितने “परिश्रम के पश्चात” हमारे पास आती है, “नदी” हो,“सरोवर” हो या “समुद्र” हो इसे “सूर्य का ताप” सहना पड़ता है, “वाष्प” बनकर उड़ना पड़ता है,“आकाश” में जाकर कठोर “शीत का सामना” करना पड़ता है, उस “ठंड” को सहना पड़ता है, तत्पश्चात ये “वर्षा” बनकर हम पर “बरसती” है, किसी की “प्यास” बुझाती है तो किसी को “आस” दे जाती है, इसी प्रकार यदि हमें भी “जीवन” में कुछ “बड़ा कार्य” करना है,तो हमें “कठोर” और “निरंतर परिश्रम” करने होंगे, और जो “व्यक्ति” “परिश्रम” करने के पश्चात किसी “श्रेष्ठ स्थान” पर पहुंचने के पश्चात भी “विनम्र” रहे, वहीं व्यक्ति “अमर” हो जाता है, वहीं वो “व्यक्ति” होता है जिससे “संसार” प्रेम करता है, इसलिए सदैव इस “मन” में “विनम्रता” बनाए रखिए... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📚 🌫️ *“9/1/2022”*🌫️ 🌧️ *“रविवार”*☔ *#“वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️* *#“मन”*
*✍🏻“सुविचार"*📚 🌫️ *“9/1/2022”*🌫️ 🌧️ *“रविवार”*☔ *#“वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️* *#“मन”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“28/12/2021”*📚 🖋️*“मंगलवार”* 🌟 देखिए “मूल्यवान वस्तुओं” का “दुरुपयोग” करना “अनुचित” है, पर आप में से कुछ यही कर रहे है सोचकर देखिए... “मनुष्य” इस “संसार” का सबसे “श्रेष्ठ प्राणी” है, और “मनुष्य का शरीर” सबसे “मूल्यवान रत्न” है, अब इसके साथ आप क्या कर रहे है ? क्या इसका “दुरुपयोग” नहीं कर रहे, ना आप “स्वास्थ्य का ध्यान” रख रहे है, आप में से कुछ “अनुचित मार्ग” पर चलते है केवल “धन अर्जित” करने के लिए, कभी-कभी “पाप कर्म” भी कर लेते है, ये “दुरुपयोग” नहीं है क्या, अब “सोचकर” देखिए कि हम इस “शरीर” के साथ क्या कर सकते है, यदि हम इसका सही “उपयोग” करे तो हम “अथाह अर्जित” कर सकते है, हम केवल “स्वयं” को ही नहीं अपने आसपास सभी “लोगों” को “संतोष” प्रदान सकते है, आज आप “संकल्प” लीजिए कि मैं इस “शरीर का सदुपयोग” करूंगा/करूंगी,अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करूंगा/करूंगी,पुण्य के मार्ग पर चलूंगा/चलूंगी, सबके “हित के लिए”,सबकी “प्रसन्नता के लिए” “कर्म” किजिए और इस “मार्ग” पर चलिए, ये “मन” सदैव “प्रसन्नचित्त” रहेगा... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“28/12/2021”*📚 🖋️ *“मंगलवार”* 🌟 *#“मूल्यवान वस्तुओं”* *#“दुरुपयोग”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“28/12/2021”*📚 🖋️ *“मंगलवार”* 🌟 *#“मूल्यवान वस्तुओं”* *#“दुरुपयोग”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“12/12/2021”*📚 🖋️*“रविवार”* 🌟 हर एक “व्यक्ति” एक “अच्छा जीवन” चाहता है, किंतु एक “अच्छे जीवन” का “महत्वपूर्ण पहलू” क्या है ? “निवास स्थान”, वो स्थान जहां हम “जीवन” व्यतीत करते है, “संत”,“ज्ञानी” और “पंडितजन” इन सबका “निवास स्थान” अत्यंत “विशेष” होता है, यहां एक विशेष प्रकार की “सकारात्मकता” होती है, ये एक ऐसा “स्थान” होता है जहां “देवता” भी “रमण” करते है, देखिए “जीवन” हम सभी जीते है किंतु जीवन का “उद्देश्य” केवल जीवन जीना नहीं है, “जीवन का उद्देश्य” है मुक्ति पाना, ये सब “संत”,“ज्ञानी” और “पंडितजन” ये सब आपको “मुक्ति” तक पहुंचा सकते है, क्योंकि ये वो “महापुरुष” है जिन्होंने अपने “भीतर के विकार” “अहंकार”,“क्रोध”,“द्वेष” सभी “दुर्गुणों” को मिटा दिया है,इन पर “विजय” प्राप्त कर ली है, केवल ऐसा ही “व्यक्ति” आपको “मुक्ति के मार्ग” तक पहुंचा सकता है,आवश्यकता है तो इन्हें पहचानने की, इनकी बात समझने की और इनके मार्ग पर चलने की, यदि आप ये सब करोगे तो आप एक “श्रेष्ठ” और “आनंदित” जीवन व्यतीत करोगे और जीवन में “मुक्ति के मार्ग” पर अवश्य “पहुंच” जाओगे... *✍🏻“अतुल शर्मा* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“12/12/2021”*📚 🖋️ *“रविवार”* 🌟 *#“व्यक्ति”* *#“अच्छा जीवन”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“12/12/2021”*📚 🖋️ *“रविवार”* 🌟 *#“व्यक्ति”* *#“अच्छा जीवन”*
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📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“4/10/2021”* ✨ *“सोमवार”* कभी “मनुष्य” “दर्पण” देखता है दर्पण मनुष्य को “सुंदर” नहीं दिखाता, “दर्पण” उसे “सत्य” दिखाता है जिससे “मनुष्य” “और सुंदर” बनने के लिए “प्रेरित” होता है, इसलिए “दर्पण” की आवश्यकता होती है “सत्य जानने” के लिए, “जीवन” में “निंदक”, “प्रशंसक” से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वो आपको आपकी “कमियां” दिखाता है, आपकी “भूल” दिखाता है, एक अवसर देता है “स्वयं” को “सुधारने” के लिए और “श्रेष्ठ बनाने” के लिए, जो एक “प्रशंसक” नहीं कर पाता, इसलिए “जीवन” में जब भी “निंदा” होती है तो उसका “आंकलन” कीजिए, और यदि “स्वयं” को किसी रूप में “शिक्षा” दे सकते हैं तो अवश्य दीजिए,और एक महत्वपूर्ण बात अपने “दोषों” का “क्रोध” किसी पर भी मत दिखाईए... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma 📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“4/10/2021”*📝 ✨ *“सोमवार”*🌟 #“मनुष्य” #“दर्पण”
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*📚“सुविचार"🖋️* *📝“19/9/2021”🌟* *📘“रविवार”✨* इस “संसार” में “कुछ ऐसे” लोग होते है जो हमें “अत्यंत प्रिय” होते है,“अच्छे” लगते है, हम चाहते है कि ये हमारे “निकट” रहे या हम उनके “निकट” रहे, अब ऐसे अच्छे लोगों को हम “श्रेष्ठ उपहार” देने का “प्रयास” करते है, और बदले में ये “अपेक्षा” भी होती है कि इनसे हमें “सम्मान” मिले, अब ये जो लोग प्रिय होते है इन्हें हम उपहार देते है,स्वर्ण-आभूषण, हीरे,मोती इत्यादि देते है, किंतु देखा जाए तो इन सभी का एक “मूल्य” है, सोचिए आप कोई ऐसा “उपहार” दे जो “अमूल्य” हो, अब ऐसा कौनसा “उपहार” हो सकता है? “प्रेम”...ये “प्रेम अमूल्य” है क्योंकि ये “ह्रदय” से निकलता है न “मांग ” के मिलता है न “छिन” के प्राप्त हो सकता है ये “प्रेम”, यदि करो तो “ह्रदय” से ही प्रेम से करो, “भय” से नहीं... स्मरण रखिए जो “शीश” “भय” से झुकते है “विरोध” में सबसे पहले वही उठते है और जो “शीश” प्रेम में झुकते है वो “शीश” के लिए कटने को भी “सज्ज” रहते है, इस संसार का सबसे “बड़ा उपहार”, सबसे बड़ी “भेंट” है ये “प्रेम”... *🖋️अतुल शर्मा📝📚* ©Atul Sharma *📚“सुविचार"🖋️* *📝“19/9/2021”🌟* *📘“रविवार”✨* #“संसार” #“कुछ लोग”
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