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बेजुबान शायर shivkumar

#sad_shayari #SAD #sad_feeling #sad_emotional_shayries #दिलकीबातशायरी143 कुछ टूटे हैं #ख़्वाब मेरे कुछ को अब भी बुन रहा, जो उठ रहीं #आवाजें मुझ पर उनको भी सुन रहा... !

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zarina Martin

Deepika Karma

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parveen mati

#आवाजें सुनाई देती है मुझे आवाजें जो बंद है पर्दे के पीछे घूंघट के पीछे दीवारों के पीछे चारों तरफ से घिरी हुई आवाज है कोई नहीं सुन पाता

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#आवाजें 

सुनाई देती है मुझे आवाजें 
जो बंद है पर्दे के पीछे 
घूंघट के पीछे
 दीवारों के पीछे
 चारों तरफ से घिरी हुई 
आवाज है कोई नहीं सुन पाता
 क्योंकि बाहर का उन्माद ,जश्न
 इतना तेज है ,दब जाती है वो आवाजें
 लेकिन मैं जश्न नहीं सुनता ,ना उन्माद सुनता हूं 
मैं केवल बंद और कैद आवाजों को सुनने में माहिर हूं
बस इसी प्रयोग में आठों पहर लगा रहता हूं
 क्या मैं इन आवाजों को उनके लक्ष्य तक पहुंचा पाऊंगा!

©Mati माटी #आवाजें 

सुनाई देती है मुझे आवाजें 
जो बंद है पर्दे के पीछे 
घूंघट के पीछे
 दीवारों के पीछे
 चारों तरफ से घिरी हुई 
आवाज है कोई नहीं सुन पाता

Ashi Malik @k

#आवाजें क्यों थी ... @k #Silent story #ashimalik

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दरवाजे बंद थे , खिडकियां खुली थी ,
मशालें जल रही थी , वो अब बूझ गई थी ।

कोई  पूछे जाकर उनसे .........

वो सो गई थी , तो कमरे में आवाजें क्यों थी ।।




                      @k #आवाजें क्यों थी ...
@k 
#silent story #ashimalik

S Ram Verma (इश्क)

सञ्जय किरार

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शोर बहुत है वादी में,
आवागमन का 
मशगूल सभी है
अपने क्रियाकलापों में 
मगर कुछ आवाजें छनकर 
आती रहती है बाजारों से 
या रिस कर । 
कुछ टूट चुकी है 
कुछ बिखर गई है 
शेष के होंसले खड़े पहाड़ों से 
इन्ही आवाजों को 
उठा नज्म में पिरो रहा हूँ 
कुछ को लगता है 
व्यथा-कहानी 
खुद की सबको को सुना रहा हूँ 
ये आवाजें जब बलवती होंगी देखना एक दिन 
गूँज उठेगी वादी में 
एक आवाज जो टूटकर विखर रही है 
अपने अधिकारों से निपटेगी 
सुन लेना तुम इन्ही आवाजों को 
जो बाज़ार से उठाकर लाया हूँ मैं ।

💞Sk Siddarth💞

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#डर   उफ्फ.. !! ये कालीे रात 
और चारों तरफ सन्नाटा , 
कुकुर की रोने की आवाजें 
बरगद के पेडो़ पर हलचल 
तन्हाई की आगोश में मैं
सन्नाटे और डर 
नस नस मे पैदा हुआ 
कापंती जोरों से बदन  
कैसे कटेगी
ये डरवाना रातें 
और आज तो कमबख्त 
रात भी बहुत लम्बी है !! 
गुम हो गई मां द्वारा प्रदत युक्तियां
हर एक मंत्र पिता का दिया हुआ 
तन - मन  कांप  रहें  हैं जोरों से 
ये आवाजें खिड़कियों की डोलने की
रह -रह  कर और भी डराती है 
और आज तो रात भी बहुत लम्बी है !!! 
आज बिजली भी गुल हो गई
जाडे़ की सर्द मौसम में 
पसीने से तर बतर तन 
और बादल को चिखने की आवाजें
बहुत डर लग रहा है मुझे 
पर कमबख्त आज तो
रात भी बहुत लम्बी है !!! 
----एस के सिद्धार्थ

ikadashi tripathi

घर आजा परदेसी".....  "कभी जो बे मौसम बरसात आ गई होगी" "तुझे याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना"...  यह स्वर भीने भीने कानों में पड़ रहे थे.. इतनी धीमी आवाज कहां से आ रही है?? इतनी भयंकर रात में आखिर गांव में किसको दीवानगी छाई है ?? अक्सर यह आवाजें पिछले पांच छह महीनों से आ ही रही थी..

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घर आजा परदेसी"..... 
"कभी जो बे मौसम बरसात आ गई होगी"
"तुझे याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना"... 

यह स्वर भीने भीने कानों में पड़ रहे थे..
इतनी धीमी आवाज कहां से आ रही है??
इतनी भयंकर रात में आखिर गांव में किसको दीवानगी छाई है ??
अक्सर यह आवाजें पिछले पांच छह महीनों से आ ही रही थी..

ikadashi tripathi

घर आजा परदेसी".....  "कभी जो बे मौसम बरसात आ गई होगी" "तुझे याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना"...  यह स्वर भीने भीने कानों में पड़ रहे थे.. इतनी धीमी आवाज कहां से आ रही है?? इतनी भयंकर रात में आखिर गांव में किसको दीवानगी छाई है ?? अक्सर यह आवाजें पिछले पांच छह महीनों से आ ही रही थी..

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 घर आजा परदेसी"..... 
"कभी जो बे मौसम बरसात आ गई होगी"
"तुझे याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना"... 

यह स्वर भीने भीने कानों में पड़ रहे थे..
इतनी धीमी आवाज कहां से आ रही है??
इतनी भयंकर रात में आखिर गांव में किसको दीवानगी छाई है ??
अक्सर यह आवाजें पिछले पांच छह महीनों से आ ही रही थी..
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