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atulupreti3073
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atul upreti

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atul upreti

जन्मदिन

कोई उम्र बढ़ाता है
कोई दिन घटाता है

वो इस सब से अनजान रहा
दोस्ती और यादों के नाम रहा

एक वर्ष और कट गया
कुछ और यादों को बट गया #जन्मदिन
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atul upreti

मेहताब सी मुस्कुराती आँखें
संवरे उर्स से गाल
खुल्द उसके लब
सब दिखते हैं

नहीं देखी  
पतली डोर रेशम की
समाज के नाम की
बंधा है जिससे पैराहन 

इशारों पर नाचती रही
संग तुमको भी नाचती रही

वो मोनालिसा कहीं
कठपुतली तो नहीं #मोनालिसा_कठपुतली
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atul upreti

वो सुट्टा सुलगता रहा

चाँद
रोशन नूर सा 
सितारा 
एक कोहिनूर सा

एक छोर सुलगता दिल
एक छोर सुलगती मंज़िल

वो सुट्टा सुलगता रहा #सुलगता दिल
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atul upreti

वो छलक गयी 
उंगलियों से बूंदों की तरह 

जिसे संजोया था
आब  ए चश्म की तरह #आंसू
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atul upreti

 कठपुतली

कठपुतली #nojotophoto

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atul upreti

उगते सूर्य से, लाल सुबह से 
मदमाती भोर से, एक  उम्मीद से

चरखे पर सूत काटेगी, दर्द दिलों के बाटेगी
उंगलियों से बाल बनाएगी, स्वपन नए बुन जाएगी

आकांशा हिलोरे लेती, खुशियों के मोती पिरोती 
हर भोर स्वप्न दिखाती, नई तस्वीर बनाती 

गम छू न सके पल भर, नम हो न नयन कभी
मुतरीब मैं उस हर्फ़ का, जो लब से निकले कभी #मुन्तज़िर मुतरीब

#मुन्तज़िर मुतरीब

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atul upreti

वक़्त आसमां न बन जाए
उसे पुरजोर दाबे रखिए
आस्तीन के पाहुँचे पर 
वक़्त संभाले रखिए

वक़्त जिसे ज़मी की तरह गुलनार रखा
हर लम्हा हर हर्फ़ जिस के नाम रखा 
मेज पर रखी चाय ठंडी हो वजूद न खो दे कहीं
अपने हाथों में एक प्यार भरा उबाल रखा

ममता की अहमियत फकत वही जानता है
जिस के सिर पर उसने हाथ रखा

कंघी में फंसे बाल बेमानी नहीं होते 
उम्र और  इश्क़ का हिसाब देखिए
वजूद तलाशते हैं जो दूसरों के शहर में
अपने आस पास कंधो का निशान देखिए #ठंडी चाय

#ठंडी चाय

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atul upreti

वक़्त हमेशा जमीं ही रहे
अपने कदमो से दाबे रखिए
सरकने मत देना उसे
बस इच्छा दृण चाहिए

आसमान का स्वप्न चाहे जमीं करे
वजूद न मिटना चाहिए
मेज पर रखी चाय 
गर्म ही पीनी चाहिए

कंघी में फंसे टूटे बाल बेमानी नही होते
उम्र और इश्क़ का असर चाहिए

ममता का कुछ और असर नहीं होता
रोते बच्चे  को आराम चाहिए

 ज़िन्दगी में सब जानते हैं
क्या छोड़ा है पीछे फिर भी
ठहर कर बोल दो इस कहानी को भी
एक नाम चाहिए

कंधो का सहारा लेने वाले 
कब खुद कुछ बोले हैं
यहां बिंदास जीने वाला
एक नया नाम चाहिए #कंधा
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atul upreti

वक़्त 

कट बीत गुजर ख़त्म
सब हो जाता

एक पल जो तेरा 
तसव्वुर हो जाता वक़्त

वक़्त

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atul upreti

#DearZindagi एकरंगी बेजान बंजर सी थी ये समां
एक तिरे आने से रंग भर गए

चेहरा ढूंढता रहा जिसका भीड़ में 
वो पीठ कर के दूर खड़े हो गए समां

समां #DearZindagi

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