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vaibhavjain3054
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वैभव जैन

prashstvaibhav

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वैभव जैन

White ।। हैवानियत आखिर कब तक।।

हर आंगन की हो गुड़िया,घर की तुम प्यारी बिटिया
गगन विशाल ह्रदय लिए रागों की लय तुमसे बिटिया
आसमां नांपा,समंदर लांघा,चोटी पर रखा तेरा कदम 
हर जगह है तेरा परचम नमन करते है तुझको हरदम।।

बार बार इस धरा पर इंसानियत शर्मसार हो जाती है
इसी बिटिया पर हैवानियत का सितम क्यों जारी है 
कभी निर्भया कभी दामिनी की अस्मत लूटी जाती है  
हवस का घिनोना गंदा खेल कितने वर्षों से जारी है।।
 
जालिमों ने नोचा तनमन दरिंदों ने जिंदा मार डाला है
हर उम्र की बितिया ने दरिंदो में खुद को अकेला पाया है
इधर से कभी उधर से चीखों का शोर अब सुनाई देता है 
पिशाचों की दहशतगर्दी,व्यवस्था क्यूं नही देख पाती है ।।

गूंगी,बहरे,अंधे न बनो,सुनो तुम कानून के रखवालों
नारी सुरक्षित हर ओर हो व्यवस्था करो कुर्सी वालो
पिघलकर गिरी मोमबत्ती सब्र का बांध हमारा टूट गया
न्याय पर देरी नहीं सज़ा काला पानी हो सुनो न्याय वालो।।

"गुरु प्रशस्त" कहे शर्म करो,रहम करो ओ इंसानों जाय 
"वैभव" जलकर सब नष्ट होगा बिटिया की लगेगी हाय।।

©वैभव जैन
  #हैवानियत_आखिर_कब_तक
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वैभव जैन

*स्वतंत्रता दिवस*

कैद में थी आवाज़,जकड़ी हुई थी आजादी
कितने सुरमा हुए कुर्बान चाहत थी आजादी
लाल रक्त से हुई धरा लाल चाह थी आजादी
बलिदानों की बलिदान से मिली थी आजादी।।

फांसी को हंस कर चूमा, लालच थी आजादी
जीवन पर्यंत कारागृह में बीता, स्वप्न आजादी
अत्याचार छाति पर झेला लालसा थी आजादी
अनन्त मां के लाल के त्याग से मिली थी आजादी।।

सोने की चिड़ियां को कैद कर छीन थी आजादी
कुतरे पंख बिखरे पंखों सी मिली थी आजादी
लड़कर बिन पंख से उड़े मन में ताकत आजादी
चिड़ियां को भारत मां बोलूं मिली आज आजादी।।

विश्व ललाट पर भारत नाम सफल होगी आजादी
प्रेम भाव सब जीवों में उन्नत देश सफल आजादी
षड्यंत्रकारी का न देना साथ गुम न जाए आजादी
अखंड भारत सम्पूर्ण भारत अब यही है आजादी।।

"गुरु प्रशस्त" कहे स्वर्णाक्षर में अंकित दिन महीना साल 
"वैभव" कार्य ऐसे ही करना बड़े विश्व में देश का मान।।

©वैभव जैन
  #स्वतंत्रता_दिवस🇮🇳

स्वतंत्रता_दिवस🇮🇳 #कविता

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वैभव जैन

प्यारी इलिशा 

नन्हीं-नन्हीं, प्यारी-प्यारी है मेरी इलीशा,
घर के कोने-कोने की रोशनी मेरी इलीशा 
मेरे आंगन में खुशियों का कारण मेरी इलीशा 
जन्मदिन की शुभकामनाएं इलिशा 

भोली-भाली बातें,मीठी शरारते करती इलीशा
सूरज जैसी दमक सितारों की चमक है इलीशा
हमारे घर की सुंदर इंद्रधनुष है प्यारी इलिशा 
नन्ही सी परी मेरी प्यारी इलिशा
 
यूंही हंसते लिखखिलाते बीते जीवन इलीशा
हर स्वप्न हर ख्वाहिश पूरी हो तुम्हारी इलिशा 
हर मोड़, मंजिल पर वैभव का साथ रहे इलीशा
जुग जुग जियो मेरी प्यारी इलिशा

©वैभव जैन
  प्यारी इलिशा

प्यारी इलिशा #कोट्स

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वैभव जैन

#प्राथना
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वैभव जैन

🔶नया वर्ष नई सोच🔶

दिन का ढलना मात्र क्या नया साल
गिनती का बदलना क्या नया साल
नई सोच उल्लास का होता नया साल

फूल का डाली से उतरना क्या नया साल 
उदित सूरज का ढल जाना क्या नया साल 
जागृत मन मे  आशा का होता नया साल

वर्तमान  इतिहास बनना क्या नया साल
आरंभ का अंत हो जाना क्या नया साल
हिम्मत का संचार होना होता नया साल

धर्म औ तीर्थ दोनो खतरे में क्या नया साल
वीर सपूत करे आमरण अनसन क्या नया साल
पवित्र को पवित्र घोषित करो मनाये नया साल

गुरु प्रशस्त कहे हलचल ऐसा हो, एकता की मिसाल
वैभव मिल सब श्री शिखर जी मे मनाये नया साल

©वैभव जैन
  #नव वर्ष
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वैभव जैन

🌷मिलन की आस 🌷

हर बार आस लेकर लौटती तट से लहरें
पुनः समुद्र मे आकर समाहित होने लहरें

भटकते प्राणी को जंगल से भोर की आस
किरणे खिलते ही सही राह मिलने की आस

बचपन से जिनका साथ रहा वोह सब खास
हर पग मे विश्वास दिलाया, मिलने की आस

गहरी आस मोह है पास पर प्रतीक्षा है खास
नैना तरसे गुरु दर्शन को अब मिलन की आस

दिन रात स्मरण करु सिर्फ 'गुरु प्रशस्त' आपका
'वैभव' का मन न लगे चाहू मात्र दर्शन आपका

©वैभव जैन
  #मिलन की आस
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वैभव जैन

🔶स्वाभिमान 🔶

कठिन समय में जो हमें दृढ़ता प्रदान करे
डिगते कदमों में जो नई ऊर्जा प्रदान करे
वोह हमारा स्वाभिमान है 

आत्मगौरव,जीवन मूल्यों को जागृत करे
देश,धर्म,संस्कृति के प्रति हमें प्रेरित करे
वोह हमारा स्वाभिमान हे 

गर्व करते है हम कुल पर करते जायगान
सतत सावधानी से निज गुण का उत्थान
गर्व अभिमान नहीं स्वाभिमान हे

रक्षा मे जौहर की आग मे कुदी वीरांगनाएं 
रक्षा मे उठाई तलवार रानी लक्ष्मी बाई ने
आत्मसम्मान बड़ा स्वाभिमान है 

'गुरु प्रशस्त' कहे ठोकरें खा समझौता नहीं करना
'वैभव' सम्हल कर चलो  सजग रखे स्वाभिमान

©वैभव जैन
  #स्वभिमान
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वैभव जैन

पूज्य आचार्यश्री 

_कंकर पत्थर धरती अम्बर_
           _देख रहे होकर के मौन।_
_नहीं देखता पद छालों को_
         _चले निरंतर पथिक ये कौन।_
_धूप बेचारी बड़ी अचंभित_
       _विस्मयभर बोली कर जोर।_
_इन सम दूजा नहीं तपस्वी_
           _घूम आई मैं चारों ओर।_
_भाँप सभी की मनोदशा तब_
           _चंद्रगिरि से उठी बयार।_
_बोली सबको पास बुलाकर_
            _यही हमारे पालनहार।_
_मुक्तिरमा को वरने निकले_
         _सिद्धशिला है जिनका धाम।_
_वर्तमान के महावीर हैं_
       _श्री विद्यासागर जिनका नाम।_

©वैभव जैन #पुज्य आचार्य श्री

#पुज्य आचार्य श्री

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वैभव जैन

एक कविता *जैन* के लिए समर्पित  

  *जैन* होकर *जैन* का,आप सभी सम्मान करो! 
सभी  *जैन* एक हमारे मत उसका नुकसान करो! 
चाहे *जैन* कोई भी हो,मत उसका अपमान करो!

©वैभव जैन
  #Jain
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वैभव जैन

कौआ कोयल की आवाज
 दबा तो सकता हे 

कौआ कोयल से तेज बोल
भी सकता हे 

लेकिन कौआ कोयल जैसा
सुरीला नहीं बोल सकता

कोयल जैसा मीठा और कंठ प्रिय
कौआ न कभी हुया न होगा

इसलिए कौआ नहीं कोयल बने

©वैभव जैन
  #वानी
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