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saritasingh5465
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Sarita Singh

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Sarita Singh

क्यूं छोड़ दिया मां बाप को,
गर थी सच्चे प्यार की तलाश,
रूह का ये रिश्ता नहीं था,
बस थी जिस्म की  प्यास,
श्रद्धा का ही दोष नहीं है,
दोषी है सारा आधुनिक समाज,
क्योंकि जंगल में जो बिखरी,
वो है हमारे संस्कारों की सर कटी लाश,

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Sarita Singh

स्वास्तिक
...............
शुभता का प्रतीक ये करता मंगल सब काम है,
चिरकाल से विद्यमान स्वास्तिक का ही नाम है 

ऋग्वेद में कहा गया,ये सूर्य का प्रतीक है,
बने स्वास्तिक द्वार पर,करता काम सब ठीक है, 

हजारों वर्ष पूर्व से ही,पूरे विश्व में व्याप्त है,
वास्तुदोष मिटाने को,ये चिन्ह ही पर्याप्त है , 

लाल स्वास्तिक सिंदूर से,करता बाधा सब दूर है ,
पीला स्वास्तिक हल्दी से,खुशियां देता भरपूर है , 

हिटलर ने भी चुन लिया,पर लगा के जैसे नास्तिक है,
भूल हुई अपार उससे,उल्टा उसका वो स्वास्तिक है, 

वामवर्ती स्वास्तिक तो,उल्टी ऊर्जा ही देता है,
सर्वनाश कर दे उसका,जो इसका संज्ञान ना लेता है,

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Sarita Singh

देखा है मैंने,
बड़ी बड़ी प्रतियोगिताओं में,
जीतने वालों को,
रो कर ट्रॉफी लेते हुए,

देखा है मैंने,
एक मां को,
परदेश से लौटे बेटे को,
रो कर गले लगाते हुए,

देखा है मैंने,
कृष्ण दीवानों को,
रोते गाते,
और मुस्कुराते हुए,

भाव विहल मन,
सुख दुख का अंतर,
ना जाने,
दुख में तो रोता ही है,
लगता है खुशी में भी,
आंसू छलकाने,

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Sarita Singh







प्यारे पापा 
मेहनत और लगन से,
एक घरौंदा तुमने बनाया,
उसमें हम भाई बहनों को,
फूलों की तरहा खिलाया,
तुमने ही तो प्यार करना,
और निभाना सिखाया ,
मेरे मन में जो ,आदर्श तुमने बनाया ,
तुम्हारे सिवा वो जगह ,कोई ना ले पाया ,
तुम्हारे संग तो कोई दर्द,मुझे छू भी ना पाया ,
ज़िंदगी कि धूप में ,तुम ही बने थे साया ,
लेकिन क्या कहें,आज वक्त ऐसा है आया,
आपके जिगर का टुकड़ा,हुआ है पराया ,
ना चाह के भी तुमसे ,मैंने अपना गम छुपाया,
सहन करना ,और रिश्ते निभाना,
तुमने ही तो था सिखाया,
अपना स्वाभिमान कैसे बचाऊं ,
बस ये समंझ ना आया, 
मिली जब जब तुमसे,
दिल रोया,बस चेहरा मुस्कुराया ,
कितनी बार मैंने ,ये खत तुम्हे लिखा, 
और जलाया ,

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Sarita Singh

तीन दिन से भूखे इंसान को
सूखी रोटी में मिलता है
असीम आनन्द,
वो आनंद जो
भगवान श्री कृष्ण को
विदुर के घर
साग खाने में मिला था 
वो आनंद जो श्री राम को
शबरी के झूठे बेरों में मिला था 
प्रेम और श्रद्धा का आनंद,
तृप्ति का आनंद,
जीवंत होने का आनंद ,
ये आनंद
महलों में नहीं मिलता,
नहीं मिलता 
मेवा मिठाई में,
मिलता है
सच्चाई में
और मेहनत की 
कमाई में

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Sarita Singh

ये बार-बार उजड़ी ,और फिर से बसाई,
दिल्ली दिल वालों की ,मेरे दिल में है समाई,

राजधानी देश कि,है ये नगरी  पुरानी,
महाभारत से शुरू,हुई इसकी कहानी,

जन्मभूमि है मेरी,मीठे पल यहीं बिताए,
बचपन के दिन वो,भूले नहीं भुलाए,

बदला रूप रंग इसका,हां बदला ज़माना,
हरा भरा गांव मेरा,बना जैसे कारखाना,

यहां भीड़ भाड़ लोग बाग,शोर बहुत है,
जो नेतागीरी करते हैं,ऐसे चोर बहुत है,

फॉर्महाउस और कोठियां,मिलती यहां,
और साइड में झुग्गी झोपड़ी दिखती यहां,

जो भी यहां आए,उसे करती स्वीकार है,
छोटे बड़े सबको ,ये देती रोजगार है,

यूं तो दुनियां में,शहर हजार हैं,
फिर भी मेरी दिल्ली,मेरा पहला प्यार है ,

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Sarita Singh

भूल गए सब लोग क्यों,
क्या सीख देते है त्यौहार,
सच्चा रूप कहीं खो गया,
त्यौहार बन गए हैं व्यापार,

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 भूल गए सब लोग क्यों,
क्या सीख देते है त्यौहार,
सच्चा रूप कहीं खो गया,
त्यौहार बन गए हैं व्यापार,

खरीदों खरीदोँ और खरीदों,
शोर मचाता है बाज़ार,
दिवाली दीपों का उत्सव,

भूल गए सब लोग क्यों, क्या सीख देते है त्यौहार, सच्चा रूप कहीं खो गया, त्यौहार बन गए हैं व्यापार, खरीदों खरीदोँ और खरीदों, शोर मचाता है बाज़ार, दिवाली दीपों का उत्सव,

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Sarita Singh

वो डरावनी रात
**************

उस रात बिजली नहीं थी,
और अंधेरा घना छाया था,

गरजते बादलों ने
फिल्मी माहौल बनाया था,
 #yqdidi वो डरावनी रात
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उस रात बिजली नहीं थी,
और अंधेरा घना छाया था,

गरजते बादलों ने
फिल्मी माहौल बनाया था,

#yqdidi वो डरावनी रात ************** उस रात बिजली नहीं थी, और अंधेरा घना छाया था, गरजते बादलों ने फिल्मी माहौल बनाया था,

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Sarita Singh

शोषण के बाद
अफ़सोस ना जताओ,

अपराधियों को तुम,
मासूम ना बताओ,

दिल में ना हो दर्द
सहानुभूति ना दिखाओ,

फसाने शिकार,
कपट जाल ना बिछाओ,

चूस कर ख़ून तुम 
ये मगरमच्छी आंसु ना बहाओ,

Sarita Singh

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Sarita Singh

हे कृष्ण इसे क्या नाम दूं ,
मेरा तुमसे जो नाता है,
जब जब मैं नाम सुनूं तेरा, 
मेरा मन यह मचल जाता है,
है दिल में छुपाया दर्द जो, 
आंखों से छलक जाता है,
खुशबू का झोंका है जैसे ,
मेरे मन को महकाता है,
मेरा तू ही एक सहारा है ,
तेरे बिन ना कुछ भाता है,
अंधियारी काली रैना में ,
जैसे चांद निकल आता है,
हे कृष्ण तेरी इस मूरत में,
संसार नजर आता है,
जो तेरे मोह में डूबा वो,
इस जग से तर जाता है, #krishna #kanha
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