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debasmitapani3218
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Debasmita Pani

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Debasmita Pani

रद्दी के कागज़ सी थी ये जिंदगी 
ए वक्त 
बेवक्त तेरे आंधी ने भिगोए उन पन्नों को 
ऐसे लिखने के काबिल न रही,
जो फिर शरद रातों में हांथ सेंकने की
कोशिश की
गीले पन्नों ने बस धुआं परोशा.
वो धूएं से धुंधला मेरी ओझल मंजिल,
मेरा विरान आसमां... Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

रद्दी के कागज़ सी थी ये जिंदगी 
ए वक्त !!!
बेवक्त तेरे आंधी ने भिगोए उन पन्नों को 
ऐसे लिखने के काबिल न रही,
जो फिर शरद रातों में हांथ सेंकने की
कोशिश की
गीले पन्नों ने बस धुआं परोशा.
वो धूएं से धुंधला मेरी ओझल मंजिल,
मेरा विरान आसमां... Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

मैं उनको मिली 
जिन्होंने मुझे कभी ढूंढा ही नहीं ,
नही मिली उनको जिन्होंने में मिलूं उनको ,
इस लिए कितने मन्नत कितने धागे 
कितने मन्दिर कितने दरगाह में
दुआ मांगते गए.Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

White मैं मिला उन् सबको 
जिन्होंने मुझे कभी ढूंढा ही नहीं
ना मिला हर इस जान से 
जिसके सांसों का वजह मैं 
में मिलूं 
इस वास्ते कितने मन्नत किए 
कितने धागे 
कितने मन्दिर 
कितने दरगाह 
में दुआ मांगते गए...

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

जिंदगी भर 
चंदन से लिपटे सांप से 
ना चंदन की महक आती है,
 ना उसका जहर कटता है. Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

जिंदगी भर 
चंदन से लिपटे सांप से 
ना चंदन की महक आती है,
 ना उसका जहर कटता है. Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

आंसू जब बोल पाता 
तो वो
उसकी मोहजुदगी वजह क्या...
कौन , क्यों और किस लिए ...
किस दर्द की चादर ओढ़े
किस आह को छुपाते हुए 
वह बह रहा...

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

आंसू जब बोल पाता 
तो वो
उसकी मोहजुदगी वजह क्या...
कौन , क्यों और किस लिए ...
किस दर्द की चादर ओढ़े
किस आह को छुपाते हुए 
वह बह रहा... Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

समेटने के लिए खुद को
आए तो थे तुम,
पर मुझ में तुम कुछ यूं बिखरे...
ठहर गए तुम कुछ वक्त;
यूं  के 
नामुमकिन सा लगा तुम्हे 
खुद को समेटना ...Debasmita ✍️

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

समेटने के लिए खुद को
आए तो थे तुम,
पर मुझ में तुम कुछ यूं बिखरे...
ठहर गए तुम कुछ वक्त;
यूं  के 
नामुमकिन सा लगा तुम्हे 
खुद को समेटना ...Debasmita ✍️

©Debasmita Pani
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