Khwab
रात के अंधेरे में
अपने जिस्म की कराह को कुरेदते-कुरेदते
सुराही सी गर्दन को बिना सहारे बिस्तर पर सहेजते-2
अधखुली आँखों से कुछ ख़्वाब की तरफ़ देखते हुए
तेरे बदन पर चाँद की छनती हुई रौशनी
कुछ इस तरह सिमट गई
के मानों झील की गहराई से टकरा कर लौटती हुई #Poetry#Love#poem#kavishala#nojotopoetry#erotica
The Chaotic Poet
चलो इक काम करते हैं चलो आज इक काम करते हैं
बिना छुए तुमसे मोहब्बत तमाम करते हैं
ना कोई स्पर्श, ना कोई विमर्श
आँखों हीं आँखों में, एहसासों को सरे-आम करते हैं
रुक जाओगे, ग़र मेरी बातें सुनकर हीं
कुछ ऐसी बातों से, सुबह को शाम करते हैं #Poetry#Love#Hindi#poem#kavishala#nojotohindi#erotica#eroticahindi