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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

सरकार फिर से, अब के, रिपीट हो जाये।
जालौर वाली बस में , कन्फर्म सीट हो जाये।
लीक तो, हर बरस होते हैं, पैपर सभी अब
जुगाड़ से, क्लियर, अपनी भी रीट हो जाये।

©kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar #Books
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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

सरकार फिर से, अब के, रिपीट हो जाये।
जालौर वाली बस में ,कन्फर्म सीट हो जाये।
लीक तो, हर बरस होते हैं, पैपर सभी अब
जुगाड़ से, क्लियर अपनी भी रीट हो जाये।

©kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar
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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

सरकार फिर से, अब के, रिपीट हो जाये।
कन्फर्म अब के ,अपनी भी सीट हो जाये।
लीक तो, हर बरस होते हैं, पैपर सभी अब
जुगाड़ से, क्लियर अपनी भी रीट हो जाये।

©kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar #Light
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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

फूलचन्द सूं गुरुजी ने, खूब लड़ायों लाड़
भजन ईतों लंबों, बितियां, चैत्र, आषाढ़
 बॉस का स्वभाव, को,राखों थोड़ा ध्यान 
जनहित मं, पापी न, धक्कों देर बार खाड़

©kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar #Light #kushalgiri
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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

#HeartfeltMessage
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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

#poetryunplugged
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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

#poetryunplugged
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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

जब रिश्ते भारी लगते हैं, विरह की काली रातों में।
जब सपने मक्कारी लगते हैं, उन बरसाती रातो मे।
जब प्रणय का दम घूट जाता हो, कोमल कोरे हाथो में।
जब समय व्यर्थ ही लगता हो, कुछ चिकनी- चुपड़ी बातों में।
जब अहम् की बू बस जाती हो, हर पल के जज्बातो में।
जब मिलन के सपने जूठे हो, बेबसी हो मुलाकातों में।
जब प्राण ही प्यासे लगते हो, मुसलाधार बरसातों में।
जब पवन ठिठोली करती हो, खून सने हालातो में।
तब चलना अपनी मस्ती में, अपनी हस्ती सारी भूलकर।
तब बहना दरिया में माँझी , अपनी कस्ती भूलकर।
तब कहना बस इतना, के हा तूने खुद को जान लिया।
तब रहना दुनिया के संग एसे, ज्यूँ खुद को तूने स्वीकार लिया।
फिर जो जीवन हैं एक पल का, वो सदियों पे भारी हैं।
फिर अनुग्रह की बारिश हैं, कुदरत तेरी आभारी हैं

©Dk D #apart
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kavi:-Dr.Durgesh Kumar Dhakar

लुभा के, एहसासों का, ब्रिज बना लिया।
करीब आ के,फिर, हिज्र को बुला लिया।
जिन्दगी,जिन्दगी,लगने लगी थी, उसे
यार ने उसके, बड़ा सा,फ्रिज,मंगवा लिया।

©®कवि: डॉ. दुर्गेश धाकड़

©Dk D #smoking
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शांति,प्रताप ,धर्मेंद्र संग चले है, महेश
त्याग बल से , निषेध हुआ ,पायलट प्रवेश
ढ़ाई चाल राजनीति,की देखे हैं,प्रदेश 
जादूगर ही जीते हैं, ओलम्पिक विशेष





©™ Kavi Dr. Durgesh Kumar dhakar

©Dk D #writing
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