इश्क़ कि राह
शहर में एक नयी राह बनी थी 'इश्क़ की राह',
जहां पर सबको चलता देख मुझे अच्छा लग रहा था,
क्योंकि सभी खुश नज़र आ रहे थे उस राह पर चलते।
तो एक दिन मैं भी 'इश्क़ की राह' का राही बनकर निकली,
जहां पर एक राही अकेला था और टूटा हुआ सा था,
जिसको आगे का सफ़र तय करने के लिए, #Poetry#Love#Thoughts#hindikavita