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simranrana4638
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Simran Rana

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Simran Rana

बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी  
मिट्टी की धीमी सी खुशबू, मीठी सुगंध बन आई थी 
ख्वाजा जो कबसे था सूखा, उसकी प्यास बुझाई थी
बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी 

खेतों में नमी आई, सारी बुआई फिर भर आई थी 
पेड़ों की पत्तियों में, फिर नई चमक सी आई थी 
बारिश की बूंद जो आई थी, ...............................

पंख फेला के नाचा वो, मयूर का दुख भुलाई थी 
झुलसती गर्मी का मौसम, बर्फ सी बन आई थी 
बारिश की बूंद जो आई थी, ...............................

 बादल बोलें ज़ोर से गड़-गड़, बिजली भी चमकाई थी 
नन्हे बच्चे नाव बनाते, सपनो को पार लगाई थी 
बारिश की बूंद जो आई थी, ..............................

©Simran Rana #raindrops
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Simran Rana

खयाल आते है चले जाते है, उन्हें  कागज़ पे उतार लूँ 
लोग आते है चले जाते है, उन्हें ज़ेहन से निकाल दूँ 
वक़्त आता है चला जाता है, कुछ लम्हे गुज़ार लूँ 
शबाब आता है चला जाता है, खुद को संवार लूँ 
अब तो बस तेरा इंतज़ार है तू कब आएगा
तेरे इंतज़ार में सारी ज़िन्दगी गुज़ार दूँ

©Simran Rana #OneSeason
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Simran Rana

डरती हूँ कोई मुझे लाचार ना देख ले
आँखों में मेरी गुस्से का गुब्बार ना देख ले 
सीने में मेरे दर्द का करार ना देख ले 
और जो आंसू में छुपा रही हूँ वो कोई देख ना ले 
इसिलिए खुशी का मुखौटा लगाया है

©Simran Rana #standAlone
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Simran Rana

कुछ लिखने के लिए आज फिर मुझे नींद नहीं आई
और फिर लिखते-लिखते सो गई

©Simran Rana #Light
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Simran Rana

कभी में अच्छा ना लिखऊँ तो मुझे मत भुलाना 
मेरी अच्छाईयों को बुराइयों में ना दबाना 
करूँगी मेहनत लिखुँगी अच्छा, बस मुझपे बदलने का दबाव ना बनाना 
मैं लिखती हूँ जो मेरा दिल कहता है, ज़माने की तरफदारी का इलज़ाम ना लगाना 
और ये महज शब्द नहीं मेरे जज़बात है, इन्हे बेकार समझ मत मिटाना

©Simran Rana #SuperBloodMoon
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Simran Rana

अपने तेरे ग़ैर , ग़ैर अपने हो गए 
तेरे प्यार के वो वादे झूटे , मुलाकातें सपने हो गए 
चल झूठी तो तू थी मै जानता हूँ , पर बेहया कबसे हो गई
सुना है मुझे जलाने के लिए, तू रक़ीब की बाहो में सो गई

©Simran Rana #lost
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Simran Rana

मैं सीखू एसी कला जो मेरे कृष्ण को लुभाए
प्रेमी बन मुझे क्या करना, जब दासी बन मुक्ति हो जाए

©Simran Rana #Krishna
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Simran Rana

तू मुझे याद तो करती होगी 


मेरे खतो को पढ़, धीमा मगर तू मुस्कुराती तो होगी 
और जो मेरा रुमाल तेरे पास है, उससे मेरी खुशबू तो आती होगी 
तू मुझे याद तो करती होगी 

पानी में मेरे अक्स को खुद में देख, तू शरमाती तो होगी 
फिर हिज्र के खयाल से, तू घबराती तो होगी 
तू मुझे याद तो करती होगी 

मैं दूर हूँ तो क्या, ये हवा, ये चिड़िया, ये घटा, मेरा पेगाम तो लाती होगी 
और जब में आऊँगा, तो खुशियों की सोगात होगी 
मै दुल्हा, तू दुल्हन सजी बारात होगी 
तू मुझे याद तो करती होगी

©Simran Rana #AWritersStory
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Simran Rana

क्या मज़ा है दुसरो के जूते में घुस के पहचान बनाने में 
हम अपने हुनर को निखारेंगे जाग के अंधेरी रातो में 
फिर अपने भी जूते चमकेंगे भरी महफिलों और हसीन सोगातो में

©Simran Rana #Streetlight
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Simran Rana

थोड़ी देर और ठहर जा यार, अभी तो समा बाकी है
 और फिर कभी मनवाना तुम अपनी बात
अभी तो शाम होने में भी दो घंटा बाकी है

©Simran Rana

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