ना इश्क तेरे की आरजू है, ना वफा दोस्ती की चाहिए.
इक सूरत अच्छी लगती है, बस दीदार उसी का चाहिए...
ना कल से तेरे वाकिफ हू,
ना भूत (अतीत) का पता है मुझे.
इक आज मे तुझको देखा है, बस ये आज हमेशा चाहिए...
ना मंजिल तक तुम साथ चलो, ना राह मे तुम हाथ थामो. #Quotes#Poet#nazm#dpf#writting_love
ना इश्क तेरे की आरजू है, ना वफा दोस्ती की चाहिए.
इक सूरत अच्छी लगती है, बस दीदार उसी का चाहिए...
ना कल से तेरे वाकिफ हू,
ना भूत (अतीत) का पता है मुझे.
इक आज मे तुझको देखा है, बस ये आज हमेशा चाहिए...
ना मंजिल तक तुम साथ चलो, ना राह मे तुम हाथ थामो. #Quotes#Poet#nazm#dpf#writting_love