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nikhilsukhwani2507
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Nikhil Sukhwani

लिखता हूं बस

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Nikhil Sukhwani

रास्ता, मंज़िल, मैं
सब
गुमशुदा
    रास्ता, मंज़िल, मैं
सब
गुमशुदा
   #5Words #nojoto

रास्ता, मंज़िल, मैं सब गुमशुदा #5words #Nojoto

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Nikhil Sukhwani

रास्ता , मंज़िल, मैं 
सब 
गुमशुदा #5wordstory #nojoto
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Nikhil Sukhwani

 तो क्या हुआ,जो पंडित को काज़ी कह दिया।

तो क्या हुआ, जो प्रार्थना करके खुद को नमाज़ी कह दिया।

काश ना लगे पर लगे जो मेरे लफ्ज़ो से टीस, तो शायद सामाजिक हो तुम

तो क्या हुआ , जो अरसा पहले खुद को गैर समाजी कह दिया। #nojoto_family #kaazi #namaazi #being_human_not_religion
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Nikhil Sukhwani

सुकून की नींद ला दे कोई तो एक ऐसा पहर दे दो

दवाएं बेअसर हो चुकी हैं, अब तो ज़हर दे दो। #nojoto #zahar #pahar #lonliness
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Nikhil Sukhwani

ज़ाने कैसे लोग है जो कह देते है कि नशा हो या इश्क़ शौक तो खूब पाले पर कभी आदत ना बनने दिया।

अब क्या जवाब दे उन्हें हमने तो जिसे एक दफा देखा , छुआ बस ताउम्र गुलाम बन बैठे फिर नशा हो या इश्क़। कुछ भी

कुछ भी #Quotes

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Nikhil Sukhwani

वो कागज़ कोरा ना था 
हाँ थोड़ा कोहरा ज़रूर था 
रुक जाते कुछ पल तो वो धुंध भी छट जाती और अल्फ़ाज़ तुम्हारे एहसासों के तुम्हे नज़र आते 

पर

ना तुम रुके 
ना कोहरा छटा

और वो कागज़ कोरा ही रह गया।

लेकिन एक सच कहूँ

वो कागज़ कोरा ना था
हाँ थोड़ा कोहरा ज़रूर था #poetry #thoughts #nojoto
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Nikhil Sukhwani

ना इश्क तेरे की आरजू है, ना वफा दोस्ती की चाहिए. इक सूरत अच्छी लगती है, बस दीदार उसी का चाहिए... ना कल से तेरे वाकिफ हू, ना भूत (अतीत) का पता है मुझे. इक आज मे तुझको देखा है, बस ये आज हमेशा चाहिए... ना मंजिल तक तुम साथ चलो, ना राह मे तुम हाथ थामो. #Quotes #Poet #nazm #dpf #writting_love

ना इश्क तेरे की आरजू है, ना वफा दोस्ती की चाहिए. इक सूरत अच्छी लगती है, बस दीदार उसी का चाहिए... ना कल से तेरे वाकिफ हू, ना भूत (अतीत) का पता है मुझे. इक आज मे तुझको देखा है, बस ये आज हमेशा चाहिए... ना मंजिल तक तुम साथ चलो, ना राह मे तुम हाथ थामो. #Quotes #Poet #nazm #dpf #writting_love

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Nikhil Sukhwani

लगता है मरने के बाद ये फ़रिश्ते भी रूह का रूख जन्नत की ओर न मोड़ेंगे शायद
आखिर जीते जी ख़्वाबों को जो मारा है, कुछ तोह इस गुनाह की भी सज़ा होगी। #writing #poet #sher #two_liner #nojoto
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Nikhil Sukhwani

 #writeup #jeevan #nojoto #3rdpost
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Nikhil Sukhwani

पता नही , ये सर्दियों की रातें जाग के ज़ाया करता क्यूँ हूँ, बतिया बुझाके साया करता क्यूँ हूँ।
दुनियां तक की बात तो ठीक है अल्लाह, तू बस ये बता मैं खुदसे खुदको पराया
करता क्यूँ हूँ।

रोज़ अंधियारे मे बैठ जाता हूँ कागज़ कलम लेके,अजनबी अल्फाज़ो से रिश्ता निभाया करता क्यूँ हूँ।
जबकि जानता हूँ मेरे ख़्वाब भी ख़्वाब ही रहने का ख़्वाब देखते हैं,फिर हक़ीक़त में इनको बुलाया करता क्यूँ हूँ

आप लोग सब हो जाओ खफ़ा कोई गम नही, एक परिवार है मेरा उसी को ही सताया करता क्यूँ हूँ।
दोस्त यार सब कह चुके की बहुत हुआ प्यार,अब कुछ और कर, इश्क़ जावेदानी हैं उन्हें बताया करता क्यूँ हूँ।
 #writting #nazm#poem #nojoto #2ndpost #sher
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