किस दर पे सदाएं देने जायें, किस बुत से अपना दुखड़ा रोयें,,
किसको पास बिठा कर फ़िर से, सब कुछ भूला बिसरा रोयें,,
कभी लबरेज़ हुए रफ्तार से वो, कभी हम भी कम रफ्तार हुए,
इस ख़ामख़ाह की भाग-दौड़ में, किससे अगला पिछला रोयें,,
#शायरी
janmejay tiwari
ज़ख्मों पे इक नया ज़ख्म सिल रहीं हैं बारिशें,
कुछ इस तरह इस मोड़ पे मिल रहीं हैं बारिशें,,
अजब उलझन अजब आफत अजब हालत,
मुरझा गया है दिल और खिल रहीं हैं बारिशें,,
janmejay tiwari
बिन बोले सब बोल गया वो,
उलझी गिरहें खोल गया वो,,
इन प्यासी-प्यासी आंखों में,
इश्क़ रुहानी घोल गया वो,,
न नींद रही न चैन रहा, ये कैसी अजब दुश्वारी है।
कुछ मिसरों के खातिर, अब तो पागलपन से यारी है।।
एक शे्र मुक्कमल हो जाए, तब तक फिर भी बेहतर है।
कुछ हर्फों पर अटक गए, फिर सांस भी दिल पर भारी है।।
janmejay tiwari
धड़कन की रफ़्तार में अब, देखो थोड़ा तेजी है।
तेरी भोली सूरत में, मैंने लाखों खुशियां देखी हैं।।
रोज़ ख़ुदा की चौखट को, जब अश्कों से हम धोते थे।
तब जाकर सौगात में उसने, घर में बेटी भेजी है।।
#DaughtersDay#Shayari
janmejay tiwari
जब उसको ही सब सौंप दिया, तो अब वो ही ये दस्तार संभाले।
हमको इश्क़ है केवल भोले से अब, हमको वो ही, यार संभाले।।
बस एक उसकी ख्वाहिश में हम कांटों पर भी दौड़ रहे हैं।
अरे गिरते हैं तो गिर जाएं हम, अब वो ही ये रफ्तार संभाले।।
#Shayari
janmejay tiwari
क्या क्या तो दुश्वारी है, पर दर्द मयस्सर नहीं हमें।
तलब हुनर की जारी है, पर दर्द मयस्सर नहीं हमें।।
हिज्र में अक्सर लोगों की, हालत नाजुक हो जाती है।
ये गम भी हमपर तारी है, पर दर्द मयस्सर नहीं हमें।।
#Shayari