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kanchi singh
हम उन्हे रूलाते हैं, जो हमारी परवाह करते हैं…(माता पिता)
हम उनके लिए रोते हैं, जो हमारी परवाह नहीं करते…(औलाद )
और, हम उनकी परवाह करते हैं, जो हमारे लिए कभी नहीं रोयेगें !…(समाज)
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