"आज भी तुम जब भी सजती समवर्ती हो, हुबहू लगती हो आसमान में सजे उस चांद की तरह।
हां यह उम्र बीत चली है तुम्हें चाहते हुए, और तुम आज भी बेखबर हो कमबखत कल की तरह।।" #Shayari
Raj Awasthi
""अगर तू मेरा खूबसूरत सफर बन जाए तो मेरा बंजारा कहलाना भी सही ।।
और नहीं चाहिए कोई मंजिल मुझे, (2)
बस तू मिल जाए तो मेरा आवारा कहलाना भी सही ।।""