भरी दोपहर वीड चढ़ाकर बैठे हैं
वो मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे हैं
निकले थे कहके न वापस आएंगे
मौसम बदला वो फिर आकर बैठे हैं
घर को पीछे छोड़के जो दिल्ली आए
दिल में पूरा गांव बसाकर बैठे हैं #शायरी
Tripty Shukla
रात उस आसमां की चादर पे, एक बाजी बिछी थी तारों की
वो जो टूटे थे ख्वाब बनकर के, सारे प्यादे भुला दिए मैंने
Tripty Shukla
उसकी यादें उदास करती हैं
और बातें उदास करती हैं
स्याह रातों की मुझको आदत है
चांद रातें उदास करती हैं
ख्वाब रहते थे जिनमें भर-भरके
अब वो आंखें उदास करती हैं #शायरी
Tripty Shukla
अबके जाओ भी तो जाने के बाद ना आना
इतने हो जाओ जुदा फिर के याद ना आना
चलो इतना ही सही, बात मेरी रख तो लो
याद आना तो मगर बेमियाद ना आना
रात मुश्किल से सुकूं आके पास बैठा है
फिर कोई ख्वाब में लेके फ़साद ना आना #शायरी
Tripty Shukla
हूबहू तुम तो तुम्हीं जैसे नज़र आते हो
अमां छोड़ो, क्या ख़ाक इश्क फरमाते हो
ये कैसा दर्द है, तबसे दबाके बैठे हो
ज़रा सी बात पे, रह-रहके खिलखिलाते हो
दिल के मसले हैं, परेशान करके छोड़ेंगे
चले भी जाओ, यहां काहे जां फंसाते हो #शायरी
Tripty Shukla
दोस्त कहता है, मगर हद बना के चलता है
अजब शहर है तेरा, बच-बचा के चलता है
दिल ही टूटा है, भला इतने परेशां क्यों हो
फिर बहल जाएगा कि सब यहां पे चलता है
उसने पूछा था, मुझे भूल क्यों नहीं जाते
किसने पूछा था, ये सवाल अब मचलता है
Tripty Shukla
चलो कि फिर उसी गली में जा ठहरते हैं
जहां से कहकहों के काफ़िले ग़ुज़रते हैं
बैठ जाती है शाम काम-धाम तज करके
रंग जब ज़िंदगी के भाल पे बिखरते हैं
वक्त की राह पे गुज़रे हैं मोड़ कुछ ऐसे
गुज़र गए हैं मगर दिल में बसर करते हैं
बात करो...
किसी के इंतज़ार में दिनों को रात करो
लफ़्ज़ की रूह में उतरो, खतों से बात करो
कहां अभी भी ज़िंदगी ठहर के बैठी है
पता लगाओ, ज़रा उससे मुलाकात करो
करी जो दुश्मनी तो एक बार भी न कहा #Poetry