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Vikas Sahni

I'm on Instagram as vikassahni2642018 Best friend:- Kavita

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Vikas Sahni

White While listening music
or
while listening lyric,
which was old,
it seemed 
I got a gold
so couldn't attend after then,
house of happiness 
towered top ten.
               ...by Vikas Sahni

©Vikas Sahni #Towered_Top_Ten
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Vikas Sahni

White I remained researching 
or searching sweetness 
having been lost in love,
searched sweetness in stone
while walking on way
though the travelling terminated,
though the sun shone sadly,
though the sun rose redly,
though melody of morn 
became blackness of a needless night,
though could not fly first of all
still someone did call
to me multiple times to the temple.
My pain parted, sadness separated 
after going to god installed in it.
I realised rejoicing 
because joss sticks smelled sweetly,
because earthen lamps lighted
I felt smile 
for a while 
when my poetry picked me up 
in the well world which welcomed.
as a beautiful beloved.
I hoped that 
I should stand by...
Having been thought this 
I kept killing my all times 
with words used as rimes
I was waking despite darkness.
The bad birds stole supports
They had done many reports 
and after all brought blindness 
I still searched sweetness in stone 
I think I should turn off my phone 
as it is already deep dark
Even the dogs don't bark.
                                           ...by Vikas Sahni

©Vikas Sahni #Remained_Researching
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Vikas Sahni

White 

सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में केवल कविता  को चाहना,
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना
शेष शोर हैं,
शेष चोर हैं 
और हैं सिर्फ़ सफलता के आशिक 
इस कायनात में कविता ही है इक,
जिसे इस रूप में 
लिखकर गर्व होता है कि अच्छा किया जो
इतिहास में किसी को
प्रेम नहीं किया अलावा कविता के,
अच्छा किया जो इतिहास में किसी को
दिल नहीं दिया अलावा कविता के,
कष्टों के काल में 
ऐसा सोचकर गर्व होता है,
मातम-मलाल में 
ऐसा सोचकर गर्व होता है,
कविता को वो नहीं नोच सकते,
जिन्हें नोचकर गर्व होता है क्योंकि कविता को कोई
देख  नहीं सकता 
क्योंकि कविता को कोई 
छू नहीं सकता,
जो कभी नहीं था थकता
वह भी 
कदाचित कविता को 
तलाशते-तलाशते 
थक गया 
होगा।
                                                                     ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni 
#कठिनाइयों_के_काल_में
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में 
केवल कविता  को चाहना,
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में 
केवल इस ही को सराहना

#कठिनाइयों_के_काल_में सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना #Poetry

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Vikas Sahni

White #Remained_Realising
#Choiced_Chance
#Glass_of_Gladness_Broke_Badly



This year is passing more mess,
 no one offered even a bless 
and after broken badly.
At this the dark did dance 
I left lucky choiced chance.

Noticing this once more my mate met me,
remained realising her heart deeply.
The heart has stolen soul from me
That's why couldn't completely enhance,
I left lucky choiced chance.

Therefore, there is a difficult deed
A towered temple offered a reed.
A glass of gladness broke at a glance 
I left lucky choiced chance.
                                            ...by Vikas Sahni

©Vikas Sahni #Remained_Realising
#Choiced_Chance
#Glass_of_Gladness_Broke_Badly
This year is passing more mess,
 no one offered even a bless 
and after broken badly.
At this the dark did dance 
I left lucky choiced chance.

#Remained_Realising #Choiced_Chance #Glass_of_Gladness_Broke_Badly This year is passing more mess, no one offered even a bless and after broken badly. At this the dark did dance I left lucky choiced chance. #कविता

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Vikas Sahni

White #मौका_छूट_गया
इस साल और अधिक अहित हुआ,
सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ 
और बुरी तरह टूट गया।
कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।।
****    ****    ****    ****    ****
यह देख दोबारा कविता करीब आई,
अनुभूत करता रहा जिसकी गहराई, 
जिसका दिल मेरा मन लूट गया।
कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।।
****    ****    ****    ****    ****
अतः आज और अधिक हो गया है कठिन काम,
यह देख दिल बहला रहा था अक्षरधाम 
कि मदहोशी का मटका फूट गया।
कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।।
                                     ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #मौका_छूट_गया
इस साल और अधिक अहित हुआ,
सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ 
और बुरी तरह टूट गया।
कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।।
****    ****    ****    ****    ****
यह देख दोबारा कविता करीब आई,
अनुभूत करता रहा जिसकी गहराई,

#मौका_छूट_गया इस साल और अधिक अहित हुआ, सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ और बुरी तरह टूट गया। कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।। **** **** **** **** **** यह देख दोबारा कविता करीब आई, अनुभूत करता रहा जिसकी गहराई,

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Vikas Sahni

#कुछ_बाकी_है
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Vikas Sahni

White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति
आज कविता
जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह।

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Vikas Sahni

White 
A dishonest develops directly 
without working well
but an actual honest man can not
develop despite doing difficult deed
before becoming bad.
Then only from grief to glad
I may move myself,
if the honest 
becomes successful at least in a test.
So God must heed
We must respect the difficult deed
because bard
can work hard
in case of composition carely.
A boy becomes the bard barely.
Have you ever 
harked a heart of hick,
who lights on land with wick,
who is used to farm
without an alarm.
There is only polluted air and glair.
There is no longer large lair.
There are merely marts.
No one respects the arts
made by even a human's hand
therefore the sacks of sand
have become expensive enough
That's why to survive is too tough 
As a result of now how human will win,
I am also pondering...
                                                                ...✍️by Vikas Sahni

©Vikas Sahni #Despite_Doing_Difficult_Deed
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Vikas Sahni

______पुस्तक_पुर______
मन में था बहुत ग़म
इसलिए न लिया कोई कलम,
दिल था बेताब 
इसलिए न लिया कोई किताब 
दिल्ली फाटक के पुस्तक पुर से।
यही सोच इक चीख उठी उर से,
जो कविता के रूप में 
फैल गयी खाली 
किताब की सूरत पे
रात के लगभग एक बजे।
                ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पुस्तक_पुर
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Vikas Sahni

___A STUDY STATION___

I had sad, mind was so sick
so soul didn't want pen pick 
Heart was standing on nook
That's why I bought no book
from fair in popular place,
which was
a study station 
Having been weened
I suffered suffocation,
which typed automatically 
on the screen of studies 
at 1 'O' clock. 
                                 ...by Vikas Sahni

©Vikas Sahni #A_Study_Station
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