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kumarbhupesh7616
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Kumar Bhupesh

ये स्पर्श, रूप, रस, गंध भरा लहरों के कंपन सी धरा । अपनी गोद में आश्रय के लिए हैं नमन तुम्हें , हे ! वसुंधरा ।

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Kumar Bhupesh

चाय पर चर्चा
बहुत हो गईं ?
अब पानी पर
कुछ बात करें !

हिन्दू-मुस्लिम से
दिन निपट गए ?
तो देश के नाम
कुछ रात करें !

©Kumar Bhupesh
  #बरसते जज़्बात
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Kumar Bhupesh

चाय पर चर्चा
बहुत हो गईं ?
अब पानी पर
कुछ बात करें !

हिन्दू-मुस्लिम से
दिन निपट गए ?
तो देश के नाम
कुछ रात करें !

©Kumar Bhupesh #बरसते जज़्बात
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Kumar Bhupesh

राजनीति और योग
दोनों का अजब संयोग,
योग में हैं राजनीति
और, राजनीति में योग।

कूदासन की गति तीव्र हैं
पार्टी बदले दिन में चार,
नाड़ी शोधन के नाम पर
वैमनस्यता का फैलाता रोग।

इधर से सुनकर उधर निकलता
अनुलोम पर भारी विलोम,
कपालभाति को उल्टा कर
समाजसेवा का कलुषित भोग।

भ्रामरी के भवसागर में
सिंहासन की अजब दौड़,
वज्रासन में बैठे-बैठे
निपट निहारे आम लोग।

चुनावों में हो मंडूकासन
पवन मुक्तासन में फेंकते,
चुनाव निपटते जनता करती
शशांकासन के अचूक प्रयोग।

संकटासन में जब होता समाज
शवासन में सिस्टम हो जाते,
नटराजासन में नाचती दुनियां
शीर्षासन वाला होता योग।

©Kumar Bhupesh #राजनीति_और_योग
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Kumar Bhupesh

Environment सांस दे जीवन से
रिश्ता जोड़ जाते हैं,
जाते जाते भी
लकड़ियां छोड़ जाते हैं !

रेल की पटरी से लेकर
घर की चौखट खिड़कियां,
यूँ तो जीवन में कितनी
कुर्सियां तोड़ जाते हैं !

डूबने की जद में जब
छोड़ देते आस सब,
फिर वही बन कश्तियाँ
किनारा छोड़ जाते हैं !

दर्द जो समझे नहीं तो
राख सब हो जाएगा,
देख कटते वृक्षों को
अगर मुँह मोड़ जाते हैं !

फ़कत दर्द में हो ढूंढ़ते
हमदर्द कब बन पाओगे,
वृक्ष लगाए जीवन पाएं
ऐसा कुछ छोड़ जाते हैं !

©Kumar Bhupesh
  #EnvironmentDay2021
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Kumar Bhupesh

Environment सांस दे जीवन से
रिश्ता जोड़ जाते हैं,
जाते जाते भी
लकड़ियां छोड़ जाते हैं !

रेल की पटरी से लेकर
घर की चौखट खिड़कियां,
यूँ तो जीवन में कितनी
कुर्सियां तोड़ जाते हैं !

डूबने की जद में जब
छोड़ देते आस सब,
फिर वही बन कश्तियाँ
किनारा छोड़ जाते हैं !

दर्द जो समझे नहीं तो
राख सब हो जाएगा,
देख कटते वृक्षों को
अगर मुँह मोड़ जाते हैं !

फ़कत दर्द में हो ढूंढ़ते
हमदर्द कब बन पाओगे,
वृक्ष लगाए जीवन पाएं
ऐसा कुछ छोड़ जाते हैं !

©Kumar Bhupesh #EnvironmentDay2021
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Kumar Bhupesh

#5LinePoetry हौंसला मत हार,
गिरकर ए मुसाफिर !
अगर दर्द यहाँ मिला हैं,
तो दवा भी यहीं मिलेगी...

दो गज दूरी संग मास्क जरूरी !

©Kumar Bhupesh
  हौसला मत हार

#5LinePoetry

हौसला मत हार #5LinePoetry #कोट्स

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Kumar Bhupesh

#5LinePoetry हौंसला मत हार,
गिरकर ए मुसाफिर !
अगर दर्द यहाँ मिला हैं,
तो दवा भी यहीं मिलेगी...

दो गज दूरी संग मास्क जरूरी !

©Kumar Bhupesh
  हौसला मत हार

#5LinePoetry

हौसला मत हार #5LinePoetry #कोट्स

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Kumar Bhupesh

#5LinePoetry हौंसला मत हार,
गिरकर ए मुसाफिर !
अगर दर्द यहाँ मिला हैं,
तो दवा भी यहीं मिलेगी...

दो गज दूरी संग मास्क जरूरी !

©Kumar Bhupesh
  हौसला मत हार

#5LinePoetry

हौसला मत हार #5LinePoetry #कोट्स

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Kumar Bhupesh

#5LinePoetry हौंसला मत हार,
गिरकर ए मुसाफिर !
अगर दर्द यहाँ मिला हैं,
तो दवा भी यहीं मिलेगी...

दो गज दूरी संग मास्क जरूरी !

©Kumar Bhupesh हौसला मत हार

#5LinePoetry

हौसला मत हार #5LinePoetry #कोट्स

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Kumar Bhupesh

मैं और तुम देखो  कैसा  गुलाब  लाया  हूँ ,
तेरे  लिए  बाकमाल  लाया  हूँ !

टैडी सी  चाही थी  जिंदगी तूने,
ख़ुद में  टैडी का  सार लाया हूँ !

तुमसे वादा एक  निभाई ना गई,
मैं जिंदगी से वादा उधार लाया हूँ !

तेरे  आलिंगन  को देख  निस्तेज,
मैं अंको का पूरा बाज़ार लाया हूँ !

तुमने  जो  खत  लिखे  भी  नहीं,
मैं उसका भी पूरा जबाब लाया हूँ !

ये सिर्फ़ सात दिनों में समाये कैसे,
मैं सात जन्मों का हिसाब लाया हूँ !

तुमने  पढ़े  प्रेम  के  ढाई  आखर
मैं मुहब्बत की पूरी किताब लाया हूँ !

©Kumar Bhupesh #dilkibaat
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