थोड़ी पागल हूं, थोड़ी जज्बाती हूं, हा हर जगह ही मैं बस थोड़ा पियर चाहती हूं, लोगो को खुश देखना चाहती हूं, बेशक उनकी खुशियों की कीमत मैं कभी अपनी आंसुओ से चुकाती हूं। बस छोटी छोटी खोवाइसो को जीना चाहती हूं, ना शायर हूं, ना ही कोई गालिब हूं, बस दिल में आए जज्बातों को, एक एक वाक्यों को,कर कुछ पंक्तियां कह जाती हूं।
khusi
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